Loksabha Election: राजस्थान के मीणा-गुर्जर बाहुल्य संसदीय सीट टोंक-सवाई माधोपुर इस बार भी बेहद हॉट बनी हुई है. एक ओर यहां बीजेपी अपनी जीत की हैट्रिक जमाने को लालायित है. वहीं कांग्रेस अपने 15 साल से जीत के सूखे को समाप्त करने के लिए जोर लगा रही है. साल 2008 के परिसीमन के दौरान अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव साल 2009 में हुआ और कांग्रेस पार्टी केवल इसी चुनाव में यहां से जीत पायी. उसके बाद से 2014 और 2019 में बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनापुरिया यहां से लगातार जीतते आ रहे हैं. जौनापुरिया जीत के घोड़े पर सवार होकर यहां जीत की हैट्रिक जमाने के लिए एक बार फिर से मैदान में हैं. वहीं उन्हें रोकने के लिए कांग्रेस अपने दिग्गज हरीश मीणा को मैदान में उतार अपना परंपरागत वोट बैंक भुनाने की तैयारी में है.
नमोनारायण मीणा ने दिलाई थी पहली जीत
टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के नमोनारायण मीणा जीते थे. फिर 2014 में जब यह सीट पर दूसरा चुनाव हुआ तो मोदी लहर में बीजेपी के टिकट पर सुखबीर जौनापुरिया ने इस सीट पर कमल खिलाया. जौनापुरिया 2019 में भी इस सीट पर भगवा ध्वज फहराने में सफल रहे. अब वह हैट्रिक लगाने की फिराक में हैं. चूंकि यह यह सीट गुर्जर-मीणा बाहुल्य है और कांग्रेस गुर्जर-मीणा वोट बैंक को अपना परंपरागत वोट मानती है. ऐसे में हरीश मीणा से कांग्रेस को काफी आशाएं हैं. पूर्व में केंद्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के नमोनारायण मीणा के छोटे भाई हरीश मीणा वर्तमान में टोंक जिले के ही देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.
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यही वजह है कि कांग्रेस ने इस सीट को हथियाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है. राजस्थान कांग्रेस के सबसे ताकतवर गुर्जर नेता सचिन पायलट ने खुद इस सीट पर कमान संभाल रखी है. पायलट खुद टोंक से विधायक हैं. ऐसे में ये उनकी नाक का सवाल भी बन गयी है. कांग्रेस ने इस सीट पर दो बार मीणा, तो एक बार अल्पसंख्यक प्रत्याशी पर दाव लगाया. हालांकि जीत केवल एक बार ही मिली. इस बार फिर से मीणा चेहरे को उतार कांग्रेस ने एक बड़ा दाव खेला है. पायलट गुर्जर वोटों को लामबंद करने के लिए जमकर पसीना बहा रहे हैं. चूंकि जौनपुरिया खुद भी गुर्जर समाज से ताल्लुख रखते हैं. ऐसे में गुर्जर वोटों का बंटना निश्चित है. ऐसे में मीणा वोट बैंक पर ही सबकी नजरें टिकी हुई हैं.
मो.अजहरुद्दीन भी लड़ चुके यहां से चुनाव
2009 के आम चुनाव में जीत के बावजूद 2014 में कांग्रेस ने पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन को टोंक-सवाई माधोपुर से टिकट दिया था. हालांकि वह गुर्जर नेता सुखबीर सिंह जौनपुरिया के सामने बुरी तरह से हार गए. चूंकि उस समय देश मे मोदी लहर चल रही थी इसलिए जौनपुरिया को 1 लाख 35 हजार वोटों से विजय मिली. इस बार कांग्रेस का अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारने का फार्मूला फेल हो गया. पुराने फॉर्मूले पर वापसी करते हुए 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर नमोनारायण मीणा को टिकट दिया. हालांकि इस बार उन्हें जौनापुरिया के हाथों करारी शिखस्त का सामना करना पड़ा. जौनापुरिया लगातार तीसरी बार यहां से चुनावी जंग लड़ रहे हैं.
दोनों पार्टियों के पास चार-चार विधायक
टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट आती हैं. इनमें से चार पर कांग्रेस, तो चार पर बीजेपी के विधायक काबिज हैं. ऐसे में इस बार मुकाबला बराबरी का माना जा रहा है. चूंकि खुद सचिन पायलट टोंक विधानसभा सीट पर कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस अपनी ओर से बढ़त मान कर चल रही है. वहीं सुखबीर सिंह जौनापुरिया विकास के दम पर नहीं, बल्कि पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं. क्षेत्र के कई इलाकों में बीजेपी को लेकर नाराजगी है लेकिन मोदी मोदी की गूंज भी सुनाई देती है. वहीं कांग्रेस एक अदद मौका जनता से मांग रही है. देखना रोचक रहेगा कि कांग्रेस के हरीश मीणा किस तरह से टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर तीसरी बार ‘कमल’ खिलने से रोक पाते हैं या नहीं.