jyoti mirdha on beniiwal
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RajasthanUpdates. कांग्रेस छोड़ हाल में बीजेपी का हाथ थामने वाली पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने रालोपा के मुखिया हनुमान बेनीवाल को सीधी चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल में अगर दम है हिम्मत है तो वे अकेले चुनाव लड़कर दिखाएं. नागौर में दोनों एक दूसरे के कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी माने जाते हैं. दोनों ही जाट नेता हैं और बेनीवाल पिछले लोकसभा चुनाव में ज्योति को बड़े अंतर से हरा चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव बेनीवाल ने बीजेपी के साथ गठबंधन करके जीता था. यहां ज्योति ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर अपनी किस्मत आजमायी थी. इस बार भी दोनों के आमने सामने होने की पूरी संभावना जताई जा रही है.

कांग्रेस में घुटनभरा माहौल होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी में शामिल होने के बाद ज्योति मिर्धा पहली बार प्रदेश बीजेपी कार्यालय पहुंची. यहां उन्होंने बीजेपी पदाधिकारियों से मुलाकात करने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि हनुमान बेनीवाल में दम है तो वे गठबंधन छोड़कर अकेले चुनाव लड़े. उन्हें पता चल जाएगा. ज्योति ने आगे कहा कि हनुमान बेनीवाल ने मुझे हराने के लिए बीजेपी से गठबंधन किया था लेकिन अब उनका वो गठबंधन नहीं है. अब चर्चा चल रही है कि वे कांग्रेस से गठबंधन करने जा रहे है. मेरी उनको चुनौती है कि वे अकेले आए, चुनाव लड़े, वहीं घोड़े, वहीं मैदान है. पता चल जाएगा.

बेनीवाल के बयान पर ज्योति का जोरदार पलटवार

हनुमान बेनीवाल के बयान पर पलटवार करते हुए ज्योति मिर्धा ने कहा कि हनुमान बेनीवाल के पास कुछ भी बोलने के लिए नहीं है. उन्हें अपना रिकॉर्ड ठीक करना चाहिए. आज तक मेरे या मेरे परिवार पर किसी तरह की कोई भी ईडी, सीबीआई या इनकम टैक्स की कार्रवाई नहीं हुई. हमारा नाम किसी भी एफआईआर में नहीं है. किसी भी तरह की जांच हमारे खिलाफ पेंडिंग नहीं है.

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इससे पहले हनुमान बेनीवाल ने कहा था कि ज्योति मिर्धा व उनके परिवार पर ईडी की कार्रवाई के दवाब के चलते ज्योति मिर्धा ने बीजेपी जॉइन की हैं. इस पर ज्योति ने कहा कि हनुमान बेनीवाल को अर्नगल बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. जो लोग ज्योति मिर्धा को जानते है. उन्हें पता है कि ज्योति किसी भी दबाव में आने वाली नहीं है.

पुरानी अदावत है बेनीवाल और मिर्धा परिवार की

हनुमान बेनीवाल व मिर्धा परिवार की राजनीति में अदावत लंबे समय से चली आ रही है. नागौर में दोनों एक दूसरे के कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंदी माने जाते हैं. मिर्धा प्रमुख जाट नेता नाथूराम मिर्धा की पोती हैं, जो 6 बार कांग्रेस सांसद रहे और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. नागौर जाट बहुल परिवार का गढ़ है. पिछले लोकसभा चुनाव में बेनीवाल का सीधा मुकाबला ज्योति मिर्धा से ही था लेकिन बीजेपी और रालोपा गठबंधन के चलते मिर्धा को हार का मुख देखना पड़ा. इससे पहले भी मिर्धा 2014 का लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं. इस बार बेनीवाल का प्रभुत्व कम करने के लिए बीजेपी ज्योति को नागौर से ही चुनावी मैदान में उतरने का मन बना रही है.

किसी भी जिम्मेदारी को निभाने को तैयार है ज्योति

ज्योति ने बीजेपी में आने की बात पर कहा कि वह उन्हें सौंपी गई कोई भी जिम्मेदारी निभाने को तैयार हैं. अगर पार्टी मुझसे विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहेगी तो मैं लड़ूंगी. अगर उन्हें लगता है कि यह पार्टी के लिए बेहतर है कि मैं नागौर से चुनाव लड़ूं तो मैं ऐसा करूंगी. वहीं कांग्रेस छोड़ने के कारणों का ​खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां कांग्रेस पार्टी खुद को कमजोर करके क्षेत्रीय पार्टियों को मजबूत कर रही थी. हमारे खुद के काम नहीं हो रहे थे. कार्यकर्ताओं के काम पार्टी में नहीं हो रहे थे. यूं कह लीजिए कि कांग्रेस में घुटन सा माहौल बन गया था. ज्योति ने कहा कि मैने बीजेपी जॉइनिंग के समय कोई शर्त नहीं रखी. मैने इतना ही कहा कि मुझे काम करने का मौका दिया जाए. अब देखना रोचक रहने वाला है कि बीजेपी ज्योति को हनुमान बेनीवाल के सामने खींवसर से विधानसभा चुनावों में मौका देती है या नागौर लोकसभा से चुनावी मैदान में उतारती है.

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