300 करोड़ की रिश्वत को ठोकर मारने वाले गवर्नर सत्यपाल मलिक ने अब हिंदू-मुसलमान को दी ये नसीहत

देश में ना महंगाई पर बहस हो रही है ना देश में बेरोजगारी पर बहस हो रही है, उन सवालों पर बहस हो रही है जिनका कोई मुद्दा नहीं, यह चालीसा वाले ये जो आपको लड़ा रहे हैं, लड़ो मत इकठ्ठा रहो, पेट और रोज़ी के जो सवाल हैं उन पर लड़ो- सत्यपाल मलिक, जे&के का राज्यपाल रहते मलिक ने 300 करोड़ रु. की रिश्वत को ठोकर मार दी, यदि उन दो फाइलों पर अपनी स्वीकृति के दस्तखत भर कर देते तो अंबानी की एक कंपनी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक नेता उन्हें 300 करोड़ रु.आसानी से दिलवा देते

'देश जा रहा है विनाश की ओर’
'देश जा रहा है विनाश की ओर’

Politalks.News/SatyaPalMalik. जम्म-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए अद्भुत साहस का काम करने वाले वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. मलिक ने कहा कि, ‘हमारा देश विनाश की तरफ बढ़ रहा है. देश में ना महंगाई पर बहस हो रही है ना देश में बेरोजगारी पर बहस हो रही है. नौजवान सड़कों पर मारमारा फिर रहा है. उन सवालों पर बहस हो रही है जिनका कोई मुद्दा नहीं. मैं हिंदू-मुसलमान से यह कहना चाहूंगा यह चालीसा वाले ये जो आपको लड़ा रहे हैं, लड़ो मत इकठ्ठा रहो, पेट और रोज़ी के जो सवाल हैं उन पर लड़ो.’ यही नहीं किसानों के मुद्दे पर बड़ा बयान देते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा कि, ‘किसानों को एक बार फिर प्रदर्शन करते हुए धरने पर बैठ जाना चाहिए क्योंकि सरकार उनके मसलों को सुलझाने में नाकामयाब रही है.’

दरअसल, रविवार को उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के आवास पर भी पहुंचे. इस दौरान राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पत्रकरों से बात करते हुए भाजपा सरकार पर जम कर निशाना साधा. मलिक ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि सरकार ने किसानों से जो वादे किये थे वह पूरे होते नजर नहीं आ रहे हें. मुझे डर है कि किसानों को दोबारा लड़ाई में जाना पड़ेगा. खास तौर पर जो MSP पर वादा किया गया था उसे तुरन्त मान लेना चाहिए था.’

यह भी पढ़े: प्रशांत किशोर की बिहार में सक्रिय सियासी एंट्री ने BJP की उड़ाई नींद तो तेजस्वी बोले- पीके, यह कौन है?

वहीं पत्रकारों द्वारा पूछे गए लाउडस्पीकर के सवाल पर बोलते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हमारा देश विनाश की तरफ जा रहा है, ना तो कोई रोज़गार के बारे में बात कर रहा है, ना महंगाई के बारे में और ना ही शिक्षा के बारे में. लाउडस्पीकर जैसे विवाद लोगों को बांटने और भ्रमित करने के लिए ही हैं. मैं कैसे बताऊं, मैं सरकार नहीं हूं. कुछ चीजें समझाईं जो बाद में इन्होंने मानी. हो सकता है देर से मानें या हो सकता है मजबूरी होगी. मलिक ने कहा कि किसानों के साथ गलत हो रहा है. सरकार जो भी कमिटमेंट करे उसको पूरा करना चाहिए. मैंने जिस चीज की शिकायत की है उनके यहां रेड हो रही है. उनके यहां माल बरामद हुआ है. मैं जब रिटायर होऊंगा मुझसे भी पूछताछ होगी. जब जांच होगी तो मैं और बताऊंगा, अभी बहुत लोग फंसेंगे.’

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के तौर पर सत्यपाल मलिक ने जो अद्भुत काम किया है, इतना साहसिक कार्य किसी अन्य राज्यपाल ने भारत में पहले कभी नहीं किया. जे&के का राज्यपाल रहते मलिक ने 300 करोड़ रु. की रिश्वत को ठोकर मार दी. यदि सत्यपाल मलिक उन दो फाइलों पर अपनी स्वीकृति के दस्तखत भर कर देते तो अनिल अंबानी की एक कंपनी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक नेता उन्हें 300 करोड़ रु. आसानी से दिलवा देते. जब मलिक ने छह-सात माह पहले इस प्रकरण को सार्वजनिक जिक्र किया तो एकाएक किसी को विश्वास नहीं हुआ, क्योंकि आरएसएस के कार्यकर्त्ता इस तरह के अनुचित कार्यों से प्राय: दूर ही रहते हैं.

यह भी पढ़े: छब्बे जी बनने कोलकाता पहुंचे पी चिदम्बरम दुबेजी बनकर लौटे, दीदी का तो पता नहीं अपनों से बने बुरे

आपको बता दें, राज्यपाल सतपाल मलिक द्वारा इस भ्रष्टाचार को सार्वजनिक करने की हिम्मत ने अब रंग दिखा दिया है. जम्मू-कश्मीर के वर्तमान उप-राज्यपाल मनोज सिंह ने जो कि खुद मलिक की तरह लोकप्रिय छात्र-नेता रहे हैं, दोनों मामले सीबीआई को सौंप दिए हैं. बता दें, जिन दो मामलों की जांच चल रही है, उनमें एक जम्मू का कीरू हाइडल पाॅवर प्रोजेक्ट है और दूसरा प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के स्वास्थ्य बीमे से संबंधित है. इन दोनों मामलों में जम्मू-कश्मीर के हजारों करोड़ रु. खपने थे.

यहां आपको यह भी बता दें कि उक्त मामलों में पहले तो इनके टेंडर जारी करने में घपले हुए और फिर जब टेंडर जारी किए गए तो उनमें कई शर्तो का पालन नहीं किया गया. यहां तक की अंबानी की कंपनी को 61 करोड़ रू. का अग्रिम भुगतान भी हो गया. लगभग 4 हजार करोड़ के दूसरे प्रोजेक्ट में भी पता नहीं कितना घपला होता. सरकारी अफसरों ने सारी अनियमितताओं की अनदेखी कर दी और टेंडर भी पास कर दिए. यदि राज्यपाल आपत्ति नहीं करते तो हमेशा की तरह सारा खेल आराम से चलता रहता लेकिन विभागीय जांच से पता चला कि इन दोनों कंपनियों को हरी झंडी दिखाने के काले काम में सरकार के ऊँचे अफसरों की भी मिलीभगत है. हालांकि उन अफसरों के खिलाफ पुलिस ने रपट लिख ली है और केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जांच शुरु कर दी है. लेकिन यहां इसमें कोई दो राय नहीं कि उप-राज्यपाल मनोज सिंहा ने पर्याप्त सख्ती और मुस्तैदी दिखाई, वरना जम्मू-कश्मीर को भारी नुकसान भुगतना पड़ता.

Leave a Reply