Arun Chaturvedi thundered on Gehlot government: चुनावी वर्ष में जयपुर ब्लास्ट मामले के मार्फत सरकार को घेरने के लिए प्रदेश भाजपा के नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़कर फ्रंटफुट पर आकर बयानबाजी कर रहे है. इस मामले में राजस्थान हाइकोर्ट द्वारा दोषियों को पुख्ता सबूत नहीं होने के कारण जैसे ही बरी किया वैसे ही भाजपा नेता इस मामले को लेकर सरकार को जमकर घेर रहे है. अब इस मामले में पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने मांग करते हुए कहा कि इस मामले में राजस्थान सरकार ने जो लापरवाही की है, इसके लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करवानी चाहिए.
भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जयपुर में हुए बम ब्लास्ट से जयपुर शहर दहल गया था, 71 लोगों की जान गई थी, 185 घायल हुए व कई जिंदगी भर के लिए अपंग हो गए, घायल हुए लोगों के लिए खून देने के लिए ब्लड बैंक के बाहर लोगों की कतार लग गई थी और जनता और पीडित परिवारों को भी आशा थी, गुनहगारों को फांसी की सजा मिलेगी. निचली अदालत ने तथ्यों के आधार पर व प्रभावी पैरवी से आरोपियों को सजा दी थी, लेकिन इसके विपरीत कांग्रेस सरकार ने हाइकोर्ट में बम ब्लास्ट मामले में प्रभावी पैरवी नहीं की, इसका जिम्मेदार कौन है, यह प्रश्न जयपुर की जनता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूछती है.
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अरुण चतुर्वेदी ने आगे कहा कि राजस्थान की सरकार छोटे-छोटे मामले में एडवोकेट जनरल व सुप्रीम कोर्ट के बडे-बडे वकीलों को लाखों रूपए एक-एक दिन की पैरवी करने के लिए देती है. इस मामले में 48 पेशी में सरकार की ओर से जूनियर सरकारी अधिवक्ता उपस्थित हुआ, अतिरिक्त महाधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता से पैरवी नहीं करवाई, हाईकोर्ट में सरकार की ओर से लचर पैरवी के कारण से आंतकवादी जिन्होंने जयपुर शहर को खून से झलनी करने का काम किया था, ऐसे में मजबूत पैरवी करने काम सरकार ने क्यों नहीं किया, देश और प्रदेश की जनता यह जानना चाहती हैं.
चतुर्वेदी ने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार के समय रकबर माबलिंचिग के मामले में अलवर कोर्ट में ट्रायल के दौरान आपराधिक मामले के वरिष्ठ अधिवक्ता नासिर अली को हर तारीख पेशी पर सरकार की ओर से पक्ष रखने के लिए भेजा गया, जयपुर शहर में जब 71 लोग बम ब्लास्ट में मारे जाते है तब राजस्थान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में प्रभावी पैरवी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता की नियुक्ति क्यों नहीं की गई. बम धमाके के समय राजस्थान में भाजपा की सरकार थी जो इस केस को स्पेशल कोर्ट में ले जाकर गुनहगारों को फांसी की सजा तक लेकर गई, लेकिन जैसे ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार आई तुष्टिकरण की राजनीति करते हुए परिणाम जनता के सामने है.
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चतुर्वेदी ने कहा कि विधायक इस्तीफा प्रकरण में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड ने याचिका दायर की थी तब कांग्रेस पार्टी ने विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए सीनियर वकील खडे कर दिए थे. इस प्रकरण में जब राजेन्द्र राठौड ने सुनवाई की मांग की तब वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसके विरोध में जमकर पैरवी की और लगातार हर सुनवाई में स्वयं मौजूद रहे. बसपा विधायकों के असंवैधानिक रूप से कांग्रेस में विलय किये जाने के मामले में जब भाजपा विधायक मदन दिलावर ने न्यायालय में चुनौती दी तब सरकार ने लाखों रूपए खर्च कर महंगे और नामी वकील बसपा विधायकों के लिए खडे किये. जयपुर बम ब्लास्ट मामले में सरकार ने लापरवाई की पराकाष्ठा की, सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल या कोई भी वरिष्ठ अधिवक्ता जयपुर बम ब्लास्ट की सुनावाईयों में शामिल नहीं हुआ.
चतुर्वेदी ने बताया कि 2008 में देश में जगह-जगह बम ब्लास्ट और आंतक की चार घटनाएं हुई थी, समझोता एक्सप्रेस, मालेगांव ब्लास्ट, हैदराबाद मक्का मस्जिद व अजमेर दरगार ब्लास्ट, ऐसे चार मामले हुए उसके बाद जयपुर में मई 2008 में सीरियल बम बलास्ट हुआ. यह चारों आतंकी हमले जो कांग्रेस सरकार के द्वारा एनआईए को ट्रांसफर कर दिए जाते है, जो सेन्ट्रल एंजेंसी है, लेकिन जयपुर सीरियल ब्लास्ट का मामला एनआईए को ट्रांसफर नहीं किया गया इसके उलट इन चारों मामलों में कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता दिग्विजय सिंह व अन्य नेताओं ने एक नरेटिव खडा करने की कोशिश की और बहुसंख्यक हिंदूओं को टार्गेट करते हुए ”भगवा आतंकवाद, हिंदू आतंकवाद“ जैसे घृणित नामों को गढा.
चतुर्वेदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस का अतीत आंतकियों की हिमायत करने वाला रहा है, कांग्रेस की पृष्ठ भूमि पर ”अफजल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिंदा है“ जैसे देश विरोधी नारे पनपे, कांग्रेसी नेता रात को 1 बजे आतंकियों की फांसी रूकवाने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाते है, यह सीधे सीधे वोट बैंक की राजनीति के कारण एक विशेष वर्ग को तुष्टिकरण की नीति के चलते कांग्रेस ने देश में किया है. हमारी मांग है कि राजस्थान सरकार ने जो लापरवाही की है, पीडितो को न्याय दिलाने का झूंठा ढोंग बंद कर वास्तविकता में न्याय दिलाए, इसके लिए सरकार को चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश कर, मजबूत पैरवी करवाए.