साबरमती आश्रम को संग्रहालय बनाने के फैसले पर बिफरे गहलोत, बोले- ‘गुजरात सरकार का फैसला अनुचित’

साबरमती आश्रम के लिए बनाए गए गांधी आश्रम मेमोरियल प्रोजेक्ट का विरोध, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बरसे गुजरात सरकार पर, साबरमती आश्रम को तोड़कर संग्रहालय में बदलना अनुचित, गहलोत ने गुजरात सरकार के फैसले को बताया चौंकाने वाला और अनुचित, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक भी जता चुके हैं विरोध, अब गांधीवादी सीएम गहलोत ने भी जताया विरोध

गहलोत ने गुजरात सरकार फैसले को बताया चौंकाने वाला और अनुचित
गहलोत ने गुजरात सरकार फैसले को बताया चौंकाने वाला और अनुचित

Politalks.News/Rajasthan. पूरे विश्व में जहां कहीं भी महात्मा गांधी का नाम लिया जाता है, वहां साबरमती आश्रम का भी ज़िक्र होता है. साबरमती आश्रम बापू की धरोहर है. अब केंद्र की नरेंद्र मोदी और गुजरात की विजय रूपाणी सरकार साबरमती आश्रम का रीडेवलपमेंट करना चाहती हैं. अब इस आश्रम को नए सिरे से संवारने की तैयारी है. इसके लिए 1200 करोड़ रुपये का बजट रखा जा रहा है. इस परियोजना को नाम दिया गया है- गांधी आश्रम मेमोरियल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट. लेकिन इसका विरोध हो रहा है. केन्द्र और गुजरात सरकार के इस फैसले का विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि साबरमती आश्रम को तोड़कर संग्रहालय बनाने का गुजरात सरकार का निर्णय चौंकाने वाला और अनुचित है.

‘गुजरात सरकार का निर्णय चौंकाने वाला और अनुचित’- गहलोत
सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि, ‘साबरमती आश्रम को तोड़कर संग्रहालय बनाने का गुजरात सरकार का निर्णय चौंकाने वाला और अनुचित है. लोग इस पवित्र स्थल पर यह देखने के लिए आते हैं कि कैसे गांधी जी ने एक साधारण जीवन जीया और फिर भी समाज के हर वर्ग को लेकर एक विशाल स्वतंत्रता आंदोलन चलाया, खासकर ऐसे समय में जब समाज बेहद विभाजित था’. सीएम गहलोत ने कहा कि ‘बापू ने अपने बहुमूल्य जीवन के 13 वर्ष आश्रम में बिताए हैं’.

‘आश्रम है ये संग्रहालय कहलाने की जगह नहीं’
सीएम गहलोत ने एक बयान जारी कर रहा कि, ‘साबरमती आश्रम अपने सद्भाव और बंधुत्व के विचारों के लिए जाना जाता है. देश-विदेश के लोग यहां कोई भी विश्वस्तरीय इमारत नहीं देखना चाहते. आगंतुक इस जगह की सादगी और आदर्शों की प्रशंसा करते हैं. इसलिए इसे आश्रम कहा जाता है. ये संग्रहालय कहलाने की जगह नहीं है.

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‘आश्रम की गरिमा को नष्ट करना राष्ट्रपिता का अपमान’- गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘साबरमती आश्रम की गरिमा को नष्ट करना हमारे राष्ट्रपिता का अपमान है. ऐसा लगता है कि गांधीजी से जुड़ी हर चीज को बदलने के राजनीतिक मकसद से यह फैसला लिया गया है. ऐसी कोई भी कार्रवाई इतिहास में घट जाएगी और आने वाली पीढ़ियां उन लोगों को माफ नहीं करेंगी जिन्होंने हमारी समृद्ध विरासत, संस्कृति और परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश की’. मुख्यंमत्री अशोक गहलोत ने मांग करते हुए कहा कि, ‘प्रधानमंत्री मोदी को हस्तक्षेप करना चाहिए और निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और ऐतिहासिक आश्रम की रक्षा करनी चाहिए’.

सामाजिक कार्यकर्ता कह चुके- ‘यह गांधीवादी संस्थानों पर कब्जा करने की कोशिश’
देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों और गांधीवादियों के एक समूह ने ऐतिहासिक साबरमती गांधी आश्रम का ‘विकास’ करने की केंद्र सरकार की योजना का विरोध किया है. उनका दावा है कि इससे आश्रम की पवित्रता को नुकसान होगा. गुजराती लेखक प्रकाश शाह, इतिहासकार राजमोहन गांधी और रामचंद्र गुहा, संगीतकार टीएम कृष्णा, उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एपी शाह, एडमिरल (अवकाश प्राप्त) लक्ष्मी नारायण रामदास, पूर्व आईएएस अधिकारी शरद बेहर, पूर्व आईपीएस अधिकारी जुलियो रिबेरियो, वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और कार्यकर्ता हर्ष मंदर, शबनम हासमी, योगेंद्र यादव और तीस्ता सीतलवाड़ सहित 130 गणमान्य लोगों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया कि, ‘यह ‘गांधीवादी संस्थानों पर कब्जा’ करने की कोशिश है‘.

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क्या है गांधी आश्रम मेमोरियल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट
अब हम आपको बताते हैं कि इतना विरोध हो क्यों रहा है दरअसल केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और गुजरात की विजय रूपाणी सरकार ने साबरमती आश्रम का रीडेवलपमेंट करने की योजना बनाई है. सरकार इसे नए सिरे से संवारना चाहती है. इसके लिए 1200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. इस परियोजना को नाम दिया गया है- गांधी आश्रम मेमोरियल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट.

साबरमती आश्रम को लेकर अहम जानकारियां
आपको बता दें कि साबरमती आश्रम के नाम से दुनियाभर में मशहूर यह गांधी आश्रम साबरमती नदी के किनारे स्थित है और महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 से 1930 के बीच यहां रहकर स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था. इस आश्रम का प्रबंधन साबरमती आश्रम संरक्षण एवं स्मारक न्यास करता है.

 

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