गुजरात की कांग्रेस नेता गनीबेन नागाजी ठाकोर. इन्होंने भारतीय जनता पार्टी के गढ़ गुजरात में अपना ऐसा सिक्का जमाया है जिसकी चमक खुद नरेंद्र मोदी तक फीकी नहीं कर पा रहे हैं. गनीबेन ने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भी जीत दर्ज कर अपना परचम लहराया है. इस बार 2024 आम चुनावों में बनासकांठा संसदीय सीट को जीतकर न केवल बीजेपी की क्लीन स्वीप की हैट्रिक को रोका है, बल्कि राज्य की इकलौती लोकसभा सीट कांग्रेस को दिलाई है. शेष 25 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार जीतकर संसद में पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं. गुजरात में बीजेपी इस बार क्लीन स्वीप हैट्रिक की उम्मीद कर रही थी लेकिन कांग्रेसी उम्मीदवार गनीबेन ठाकोर ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए बनासकांठा से चुनाव जीत लिया. बनासकाठा में बीजेपी ने रेखाबेन चौधरी को टिकट दिया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस जीत के बाद गनीबेन स्पॉटलाइट में बनी हुई हैं.
गुजरात में बीजेपी ने इस बार काफी सारे चेहरे बदल नए चेहरों को टिकट थमाया था. पिछले दो बार के नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए थे. इसी रणनीति के तहत बनासकाठा लोकसभा सीट से पिछले आम चुनाव में निर्वाचित हुए परबत भाई पटेल का टिकट काटा गया. यहां से रेखाबेन को मैदान में उतारा. इस बार भी इन्हीं परिणामों के एक बार फिर रिपीट होने की उम्मीद की जा रही थी.
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कांग्रेस ने अपनी विश्वस्त गनीबेन ठाकोर पर दांव खेला. वजह थी कि गुजरात की कुछ सीटों पर पिछले कुछ सालों से गनीबेन ही कांग्रेस का असल चेहरा रही हैं. कांग्रेस का यह कदम सटीक रहा. गुजरात में पिछले कुछ दशकों से बीजेपी सरकार होने के बावजूद गनीबेन ने करीबी मुकाबले में रेखाबेन को 30406 वोटों के अंतर से हराया. गेनीबेन ठाकोर को 671883 वोट मिले जबकि रेखा चौधरी ने 641477 वोट हासिल किए.
2013 से बनासकांठा बीजेपी के कब्जे में
बनासकांठा संसदीय सीट की बात करें तो यह सीट कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस जीतती आ रही है. 1991 में यह सीट बीजेपी ने जीती. अगले आम चुनाव 1996 में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई. 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में यह सीट फिर से बीजेपी के कब्जे में आयी. वहीं 2004 और 2009 में कांग्रेस के प्रत्याशी जीते. 2013 के उपचुनाव में बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की और 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में जीत को बरकरार रखा. हालांकि इस बार फिर यह सीट बीजेपी के हाथ से फिसल गई और सत्ताधारी पार्टी का क्लीन स्वीप हैट्रिक मारने का सपना, केवल सपना बनकर रह गया.
क्यों चर्चा में आयी गनीबेन ठाकोर
48 वर्षीय गेनीबेन ठाकोर दो बार विधायक रह चुकी हैं. ठाकुर 2022 और 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुई थीं. उन्होंने 2017 का चुनाव 6655 वोटों के करीबी अंतर से जीता था. इससे पहले 2012 में भी उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. गेनीबेन तब चर्चा में आई थीं जब उन्होंने ठाकोर समुदाय की अविवाहित लड़कियों को फोन से दूर रहने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि लड़कियों को फोन से दूर रहना चाहिए और पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा था कि अविवाहित लड़कियों के फोन पर इस्तेमाल पर बैन लगाने में कुछ गलत नहीं है. इस बयान के बाद गनीबेन खासी चर्चाओं में रहीं थी. उनका विरोध भी हुआ था लेकिन इस जीत के बाद उन्होंने काफी हद तक लोगों के मुंह पर टेप लगाने का काम तो कर ही दिया है.