Politalks.News/Delhi. आज पूरा देश आजादी के 75 साल पुरे होने का जश्न मना रहा है. आजादी के इस अमृत महत्सव के तहत हर भारतवासी के मन में एक अलग उमंग दिखाई दे रही है. इस ख़ास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नरेंद्र मोदी ने लाल किले से नौवीं बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया. इससे पहले नरेंद्र मोदी ने राजघाट पहुंच राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये. इसके बाद उन्होंने लाल किले की प्राचीर पर पहुंच देशवासियों का अभिवादन किया. तिरंगा फहराने के बाद 21 तोपों की सलामी भी दी गई. पीएम मोदी ने देश को सम्बोधित करते हुए 83 मिनट के अपने भाषण में उन्होंने देश के सामने 5 संकल्प रखे. इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद, भाषा और लोकतंत्र का भी जिक्र किया. वहीं महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस और वीर सावरकर को यादकर नमन किया. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘आज का ये दिवस ऐतिहासिक है. एक पूण्य पड़ाव, एक नई राह , एक नए संकल्प और नए सामर्थ्य के साथ कदम बढ़ाने का ये शुभ अवसर है.’
देश आज 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. पुरे देश में आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर उमंग का माहौल है. तिरंगे के रंग में रंगा साफा, नीली जैकेट और सफ़ेद कुर्ता पायजामा में देश के यशश्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 साल पूरे होने पर लाल किले के प्राचीर से देश को संबोधित किया. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘मैं विश्व भर में फैले हुए भारत प्रेमियों को, भारतीयों को आजादी के इस अमृत महोत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं. न सिर्फ हिंदुस्तान का हर कोना, लेकिन दुनिया के हर कोने में आज किसी न किसी रूप में भारतीयों के द्वारा या भारत के प्रति अपार प्रेम रखने वाला विश्व के हर कोने में ये हमारा तिरंगा आन-बान-शान के साथ लहरा रहा है. हिंदुस्तान का कोई कोना, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हो, आहुति न दी हो. आज हम सब देशवासियों के लिए ऐसे हर महापुरुष को, हर त्यागी और बलिदानी को नमन करने का अवसर है.’
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लिए अपनी जान गंवाने वाले वीरों को नमन करते हुए अपने संबोधन में कहा कि, ‘देश कृतज्ञ है मंगल पांडे, तात्या टोपे, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, राम प्रसाद बिस्मिल ऐसे अनगिनत ऐसे हमारे क्रांति वीरों ने अंग्रेजों की हुकूमत की नींव हिला दी थी.’ पीएम मोदी ने वीर सावरकर और संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर को भी याद कर कहा कि उन्हें याद करने का यह सही समय है. आजादी के इतने दशकों के बाद पूरे विश्व का भारत की तरफ देखने का नजरिया बदल चुका है. समस्याओं का समाधान भारत की धरती पर दुनिया खोजने लगी है. विश्व का ये बदलाव, विश्व की सोच में ये परिवर्तन 75 साल की हमारी यात्रा का परिणाम है.’ इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आने वाले 25 साल के लिए देशवासियों से ‘पांच प्रण’ लिए. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘हमें पहला प्रण लेंगे होगा कि देश अब बड़े संकल्प पर आगे चलेगा और वो संकल्प है विकसित भारत.’ दूसरा प्रण ये है कि किसी के भी मन के कोने में, मन के भीतर अगर गुलामी का एक अंश ही है तो हमें उससे मुक्ति पानी होगी.’
पीएम मोदी ने तीसरा प्रण का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए.’ चौथा प्रण ये है कि, हमें समाज में एकता और एकजुटता जो आजादी से साथ लेकर चले आ रहे हैं उसे आगे भी इसी तरह जारी रखना होगा. पांचवा और आखिर प्रण ये है कि हमें, अपने कर्तव्यों का पालन हर हाल में करना होगा. चाहे फिर वो देश को आगे बढ़ाने का काम हो या फिर देश के लिए कुछ कर गुजरने का.’ पीएम मोदी ने अपने संबोधन में परिवारवाद और भ्रष्टाचार को लेकर भी बड़ा बयान दिया. पीएम मोदी ने कहा कि, ‘आज हम दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. भ्रष्टाचार और ‘परिवारवाद’ या भाई-भतीजावाद. हमें अपनी संस्थाओं की ताकत का एहसास करने के लिए, योग्यता के आधार पर देश को आगे ले जाने के लिए ‘परिवारवाद’ के खिलाफ जागरूकता बढ़ानी होगी. भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है, हमें इससे लड़ना है. उन्होंने कहा कि जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें लौटाना होगा. बैंक लूटनेवालों की संपत्ति जब्त हो रही है.’
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वहीं लाल किले से पीएम मोदी ने भाषा का जिक्र करते हुए कहा कि, ‘हमने देखा है कि कभी कभी हमारे टेलेंट भाषा के बंधनों में बंध जाते हैं. ये गुलामी की मानसिकता का परिणाम है. हमें हमारे देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए.‘ नारी शक्ति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, ‘मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं. मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता. मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं. वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में. हम नारी का अपमान करते हैं. क्या हम नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं.’