आखिरकार टूटी ‘हाथी की सुस्ती’, मतदान से 8 दिन पहले 2 फरवरी को आगरा में हुंकार भरेंगी मायावती

उत्तरप्रदेश के सियासी दंगल में उतरेगा 'हाथी', 2 फरवरी को मायवती करेंगी पहली जनसभा, कोविड प्रोटोकॉल्स के साथ आगरा में भरेंगी हुंकार, जल्द तय होगा स्थान 10 फरवरी को होना है पहले चरण का मतदान, 'हाथी की सुस्ती' को लेकर चल रही थीं कई सियासी चर्चाएं

...तो टूट ही गई 'हाथी की सुस्ती'!
...तो टूट ही गई 'हाथी की सुस्ती'!

Politalks.News/Uttrapradesh. देश के सबसे बड़े राज्‍य उत्तर प्रदेश में व‍िधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections 2022) का घमासान चरम पर है. पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई है. सियासी गलियारों में केवल इस बात की चर्चा और हैरानी थी कि अभी तक बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने चुनाव प्रचार अभियान शुरू नहीं किया है. कांग्रेस (Congress) पार्टी की यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) ने तो इसको लेकर एक प्रेसवार्ता में कहा कि, ‘मैं मायावती के चुनाव अभि‍यान शुरू न करने पर बेहद हैरान हूं’. लेकिन यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती (Mayawati) आखिरकार चुनाव प्रचार अभियान का आगाज करने जा रही हैं. बसपा सुप्रीमो पहले फेज के मतदान से ठीक 8 दिन पहले आगरा में जनसभा करने जा रही है. हालांकि, कोरोना की वजह से चुनाव आयोग ने फिलहाल नेताओं को जनसभा या रोड शो करने की इजाजत नहीं दी है.

2 फरवरी को आगरा में होगी मायावती की जनसभा- मिश्रा
बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘कू’ पर लिखा कि, ‘अवगत कराना है कि दिनांक 2 फरवरी 2022 को बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री माननीया बहन कु. मायावती आगरा में कोविड नियमों का पालन करते हुए जनसभा को संबोधित करेंगी. जनसभा का समय, स्थान और आगामी जनसभाओं की सूचना मीडिया बंधुओं को शीघ्र उपलब्ध कराई जाएगी’ आपको बता दें कि इससे पहले मायावती ने बीते साल लखनऊ में कांशीराम परिनिर्माण दिवस पर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया था.

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अब तक चुनाव प्रचार से दूर हैं मायावती
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती ने इस बार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का आगाज नहीं किया है. चुनाव तारीखों के ऐलान से पहले जहां बीजेपी और सपा ने कई बड़ी रैलियां कीं तो मायवाती इस दौरान शांत रहीं. मायावती की निष्क्रियता को लेकर उनके वोटर्स ही नहीं राजनीतिक जानकार भी हैरान थे. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस पर हैरानी जताते हुए तंज कसा था कि, ‘मायावती बीजेपी के दबाव में प्रचार नहीं कर रही हैं.’

बसपा का अब तक डोर टू डोर प्रचार पर रहा जोर- फैजान
हालांकि, बसपा प्रवक्ता फैजान खान का कहना है कि, ‘चुनावी रैलियों पर प्रतिबंध चिंता की बात है. वर्चुअली रैली में बीजेपी के बराबर हमारे पास संसाधन नहीं है. ऐसे में हम अपनी बात को पहुंचाने के लिए अपने कैडर के जरिए डोर-टू-डोर प्रचार कर रहे हैं. इसके अलावा मायावती की रैली भले ही नहीं हुई है, लेकिन सतीश चंद्र मिश्रा यूपी के जिलों में जनसभाएं कर चुके हैं. बसपा अध्यक्ष मायावती की बात को लोगों तक पहुंचाने के लिए प्लानिंग कर रहे हैं, क्योंकि वही हमारी नेता हैं’.

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मायावती के नाम है भीड़ जुटाने का रिकॉर्ड
उत्तर प्रदेश में मायावती को बड़ी चुनावी रैलियों के लिए पहचाना जाता है. यूपी की रैलियों में सबसे ज्यादा भीड़ जुटाने का रिकॉर्ड बसपा प्रमुख मायावती के नाम है, जिन्हें सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटते थे. 2007 के बाद से मायावती सिर्फ चुनाव के दौरान ही जनता के बीच नजर आती रही हैं. 2017 के चुनाव में मेरठ और अलीगढ़ से मायावती ने प्रचार की शुरुआत की थी और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सहारनपुर से शुरुआत की थी. लोकसभा चुनाव के बाद मायावती न तो जमीन पर उतरीं और न ही किसी तरह की कोई जनसभा की.

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