हरियाणा में किसान संगठनों ने खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले सभी विधायकों का किया बायकॉट

हमने सभी विधायकों से अपील की थी कि हमने हमेशा आप लोगों के लिए वोट किया है, इस बार आप हमारे लिए मतदान करें, लेकिन उन्होंने पूंजीवाद के समर्थन में वोट किया, अब भविष्य में वे जब हमारे गांव आएंगे तो हम उनका सोशल बायकॉट करेंगे- किसान नेता, वहीं कई विधायकों के खिलाफ प्रदेश में शुरू हुए प्रदर्शन भी

हरियाणा में किसान संगठनों ने खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले सभी विधायकों का किया बायकॉट
हरियाणा में किसान संगठनों ने खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले सभी विधायकों का किया बायकॉट

Politalks.News/Haryana. प्रदेश में प्रमुख विपक्ष कांग्रेस की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में मनोहर लाल खट्टर सरकार भले ही बड़े अंतर से जीतने में सफल रही हो, लेकिन खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों और गठबंधन की जेजेपी विधायकों के प्रति किसान संगठनों का गुस्सा अब पहले से ज्यादा बढ़ गया है. जिसके चलते अब किसान संगठनों ने बीजेपी-जेजेपी की गठबंधन सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों के बायकॉट की अपील की है. यही नहीं इन विधायकों के खिलाफ प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं.

बुधवार को विधानसभा में कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के गिरने के बाद अब किसान संगठनों ने सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों का बायकॉट करने, काले झंडे दिखाने और मीटिंग्स न करने देने की बात कही है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘हमने सभी विधायकों से अपील की थी कि हमने हमेशा आप लोगों के लिए वोट किया है, इस बार आप हमारे लिए मतदान करें. लेकिन उन्होंने पूंजीवाद के समर्थन में वोट किया है. अब भविष्य में वे जब हमारे गांव आएंगे तो हम उनका सोशल बायकॉट करेंगे. इन लोगों को किसी आयोजन में नहीं आमंत्रित करेंगे और यदि वे आने की कोशिश करेंगे तो उन्हें एंट्री नहीं दी जाएगी.’

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केन्द्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत तमाम किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार को समर्थन देने वाले सभी विधायकों के बायकॉट की अपील की है. यही नहीं गुरुवार को अंबाला में स्थानीय विधायक असीम गोयल के घर के बाहर भी किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने प्रदर्शन भी किया. दरअसल बुधवार को विधानसभा में विश्वास मत प्रस्ताव पर बहस के दौरान विधायक असीम गोयल ने अपने भाषण में 26 जनवरी को प्रदर्शन कर रहे किसानों को एंटी-नेशनल बताया था.

हालांकि बाद में विधायक गोयल ने सफाई देते हुए कहा था कि वह जेएनयू के कुछ छात्रों की ओर से की गई विवादित नारेबाजी के बारे में कह रहे थे और उन्होंने किसानों को टारगेट नहीं किया था. असीम गोयल के अलावा निर्दलीय विधायक गोपाल गोयल कांडा के घर के बाहर भी प्रदर्शन की बात सामने आई है. गोपाल कांडा सिरसा सीट से निर्दलीय विधायक हैं और कांडा ने भी बीजेपी के नेतृत्व वाली खट्टर सरकार के पक्ष में वोटिंग की थी. इसके साथ ही किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के निशाने पर अब बीजेपी के साथ ही उसकी सहयोगी पार्टी जेजेपी भी आ गई है. किसान नेताओं ने उसकी ओर से बीजेपी के साथ सरकार में बने रहने को किसानों के साथ विश्वासघात करार दिया है.

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संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दर्शन पाल ने कहा है कि, ‘बुधवार को विधानसभा में पारित हुए विश्वास प्रस्ताव ने जननायक जनता पार्टी और उसके विधायकों को एक्सपोज कर दिया है, खासतौर पर जेजेपी के नेता जो किसान परिवारों से आते हैं, उन्होंने यह काम किया है. चौधरी देवीलाल किसान समर्थक नेता थे और उनका परिवार भी हमेशा किसान समर्थक रहा है.’

यहां आपको बता दें, जेजेपी का हरियाणा के किसानों के बीच अच्छा समर्थन माना जाता है. 10 विधायकों के साथ जेजेपी ने बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार में जाने का फैसला लिया था. यही नहीं पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला खट्टर सरकार में डिप्टी सीएम भी हैं. वह पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के पड़पोते हैं और सूबे के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के पोते हैं.

गौरतलब है कि बुधवार को विधानसभा में कांग्रेस द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के बाद हुई वोटिंग में प्रस्ताव के पक्ष में सिर्फ 32 वोट पड़े थे, जबकि अविश्वास प्रस्ताव के विपक्ष में 55 वोट पड़े थे. 88 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में एक सदस्य विधानसभा स्पीकर हैं, उनके वोट की जरूरत तब पड़ती जब वोटिंग बराबरी पर अटक जाती.

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