Politalks.News/New Delhi. भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने तीनों कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार को करारा झटका देते हुए तीनों कानूनों पर फिलहाल रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने 4 सदस्यीय एक कमेटी बनाई है, जिसके तहत अब इन कानूनों पर चर्चा होगी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच 8 दौर की वार्ता के बाद भी समाधान नहीं निकलने पर ये सख्त रूप अख्तियार किया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई ये कमेटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट को देगी, जिस पर आगे फैसला होगा. वहीं कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के निर्णय पर सवाल उठाते हुए किसानों ने इसे किसान आंदोलन समाप्त करने का तरीका बताया, तो वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने इस कमेटी के सदस्यों के गठन को लेकर सवाल उठाये हैं तो किसान यूनियन ने समिति के पास जाने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हुई सुनवाई में तीनों कृषि कनूनों के अमल पर रोक लगाते हुए कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती तथा उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है. साथ ही कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग की मांग करते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे. यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा.
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वहीं कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी का भले ही सरकार स्वागत कर रही है, लेकिन किसानों ने इसे सरकार की ही चाल बताया. सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान ने बताया कि, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए. यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले. जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा.’
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वहीं किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि, ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी, देश का किसान इस फैसले से निराश हैं.’
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई 4 सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवट, डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शामिल किया गया है. भूपिंदर सिंह मान उन किसान नेताओं में से हैं जो मोदी सरकार के इन तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं जिनके विरोध में किसान केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंद हो चुके हैं. पिछले महीने, यानि 14 दिसंबर को उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक खत लिखकर कुछ मांगें भी सामने रखी थीं.
खैर सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है, तो वहीं किसान अब भी इन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है और अगले दौर की वार्ता 15 जनवरी को होनी है. अब ये देखना होगा कि वार्ता से क्या निकलकर सामने आता है.