कुतिया भी मर जाती है तो नेताओं का शोक संदेश आता है, किसानों की मौत पर कोई बोला तक नहीं- मलिक

किसान अपना घर बार छोड़कर आए थे, हादसों में मरने वालों के लिए भी आप संवेदना भेजते हो, लेकिन किसानों को नहीं भेज रहे हो, एक भी किसान की मौत होती है तो दर्द होता है- सत्यपाल मलिक

मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने की कड़ी टिप्पणी
मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने की कड़ी टिप्पणी

Politalks.News/Rajasthan. केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 110 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को लेकर नेताओं के रुख पर मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक ने कड़ी टिप्पणी की है. एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने मंगलवार को झुंझुनूं पहुंचे सत्यपाल मलिक ने कहा कि, ‘एक कुतिया भी मर जाती है तो उसके लिए हमारे नेताओं का शोक संदेश आता है, लेकिन 250 किसान अब तक मर गए, लेकिन कोई बोला तक नहीं. यह हृदयहीनता मुझे दर्द पहुंचाती है. किसान अपना घर बार छोड़कर आए थे, हादसों में मरने वालों के लिए भी आप संवेदना भेजते हो, लेकिन किसानों को नहीं भेज रहे हो. एक भी किसान की मौत होती है तो दर्द होता है.’

डिडवाना से दिल्ली जाते समय कुछ देर के लिए झुंझुनूं में रुके राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आगे कहा, ‘सब अपनी-अपनी जगह ठीक है, मेरा मानना है कि किसान आंदोलन का जल्द ही हल हो जाएगा. एमएसपी ही बड़ा मुद्दा है, अगर एमएसपी को कानूनी रूप दे दें, तो आसानी से यह मुद्दा हल हो जाएगा.’ मलिक ने कहा कि यह मुद्दा अब देश भर के किसानों तक पहुंच चुका है. ऐसे में जल्द से जल्द समस्या का समाधान हो. राज्यपाल ने कहा कि संवैधानिक पद पर रहते हुए मैं किसानों, नेताओं को सिर्फ सलाह दे सकता हूं, मेरी सिर्फ इतनी ही भूमिका है.

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इससे पहले रविवार को अपने पैतृक स्थान यूपी के बागपत में भी किसानों के पक्ष में अपनी आवाज मुखर करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि, ‘आज की तारीख में किसानों के पक्ष में कोई भी कानून लागू नहीं है. इस स्थिति को ठीक करना चाहिए. जिस देश का किसान और जवान असंतुष्ट होगा, वह देश आगे बढ़ ही नहीं सकता. उस देश को कोई बचा नहीं सकता. इसलिए, अपनी फौज और किसान को संतुष्ट करके रखिए.’ मलिक ने किसानों की दशा का जिक्र करते हुए कहा था, ‘इन बेचारों की स्थिति आप देखिए. वे लोग जो चीज (फसल) उपजाते हैं, उसके दाम हर साल घट जाते हैं और जो चीजें खरीदते हैं, उनके दाम बढ़ते जाते हैं. उन्हें तो पता भी नहीं है कि वे गरीब कैसे होते जा रहे हैं. वे जब (बीज की) बुवाई करते हैं, तब दाम कुछ होता है और जब फसल काटते हैं तब वह 300 रुपये कम हो जाता है.’

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सत्यपाल मलिक ने ने कहा था कि मैं एक किसान परिवार से हूं, इसलिए उनकी समस्याओं को समझ सकता हूं. मैं किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए किसी भी हद तक जाऊंगा, यह गलत रास्ता है. यही नहीं मलिक ने यह भी कहा था कि किसानों को दबाकर भेजना, अपमानित करके दिल्ली से भेजना, पहले तो ये जाएंगे नहीं, ये जाने के लिए नहीं आए. गवर्नर को चुप रहना पड़ता है, सिर्फ दस्तखत करने पड़ते हैं, किसी बात पर बोलना नहीं पड़ता, हालांकि मैं जरूर बोलता हूं. मलिक ने आगे कहा कि किसानों के मामले में मैंने देखा कि क्या-क्या हो रहा है, तब मैंने PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों से कहा कि मेरी दो प्रार्थना हैं, एक कि इन्हें दिल्ली से खाली हाथ नहीं भेजना और दूसरा इनके ऊपर बल प्रयोग नहीं करना. इस दौरान सत्यपाल मलिक ने यह भी खुलासा किया था कि जिस दिन किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी का शोर मचा था, तो 11 बजे मैंने इसे रुकवाया और कहा था कि यही मत करना.

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