Politalks.News/Bharat/RahulGandhi. देश में शायद एकमात्र नेता राहुल गांधी हैं जो किसी न किसी कारण से मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं. अब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल एक ‘गलती’ थी. कांग्रेस नेता ने कहा कि उस दौरान जो भी हुआ, वह ‘गलत’ था. हालांकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य से बिलकुल अलग था, क्योंकि कांग्रेस ने कभी भी देश के संस्थागत ढांचे पर कब्जा करने का प्रयास नहीं किया और आज जो हो रहा है, वो उससे भी बुरा है. राहुल गांधी ने मंगलवार को अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु के साथ एक ऑनलाइन चर्चा में बहुत से मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी.
ऑनलाइन चर्चा में संवाद के दौरान कांग्रेस में मचे कलह पर भी राहुल गांधी का दर्द छलका. राहुल गांधी ने कहा कि मैं कांग्रेस पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र को बढ़ावा देने की बात कई सालों से कर रहा हूं. इसके लिए मेरी ही पार्टी के लोगों ने मेरी आलोचना की थी. मैंने अपनी पार्टी के लोगों से कहा कि पार्टी में अंदरुनी लोकतंत्र लाना निश्चित तौर पर जरूरी है. राहुल गांधी ने कहा कि मैं एक दशक से कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र का पक्षधर रहा हूं. मैंने युवा और छात्र संगठन में चुनाव को बढ़ावा दिया है. मैं पहला व्यक्ति हूं, जिसने पार्टी में लोकतांत्रिक चुनावों को महत्वपूर्ण माना है. हमारे लिए कांग्रेस का मतलब आजादी के लिए लड़ने वाली संस्था, जिसने भारत को संविधान दिया है. हमारे लिए लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं बरकरार रखना महत्वपूर्ण है.
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बसु के साथ ऑनलाइन चर्चा में राहुल गांधी ने कहा कि वह कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र के पक्षधर हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी, देश को उसका संविधान दिया और समानता के लिए खड़ी हुई है. आपातकाल पर पूछे गए सवाल के जवाब में राहुल ने कहा कि, ‘मुझे लगता है कि वह एक गलती थी. बिलकुल, वह एक गलती थी और मेरी दादी (इंदिरा गांधी) ने भी ऐसा कहा था.’ आपातकाल के अंत में इंदिरा गांधी ने चुनाव की घोषणा की थी. इस बाबत देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बसु से कहा था कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें हारने का डर था. इस संबंध में पूछे गए सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि आपातकाल में जो भी हुआ वह ‘गलत’ था और उसमें और आज की परिस्थिति में मूलभूत अंतर है.
राहुल गांधी ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान जब संवैधानिक अधिकार और नागरिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था और मीडिया पर भी कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे और बहुत सारे विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था, वह बुनियादी तौर पर आज की परिस्थितियों से अलग था. लेकिन कांग्रेस ने कभी भारत के संस्थागत ढांचे पर नियंत्रण का प्रयास नहीं किया और स्पष्ट तौर पर कहें तो कांग्रेस के पास ऐसी क्षमता ही नहीं है, कांग्रेस की यह शैली ही नहीं है कि वह उसे ऐसा करने की इजाजत दे.
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राहुल गांधी ने आगे कहा कि लेकिन आज देश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) कुछ ऐसा कर रहा है, जो अपने मौलिक रूप में भिन्न है. राहुल ने कहा कि RSS देश के संस्थानों में अपने लोगों की भर्ती कर रहा है. राहुल ने कहा कि, ‘अगर हम भाजपा को चुनाव में हरा भी दें, तब भी हम संस्थागत ढांचे में उनके लोगों से छुटकारा नहीं पा सकेंगे.’ राहुल ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ हुई बातचीत को याद करते हुए कहा कि नाथ ने उन्हें बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते थे क्योंकि वे आरएसएस के लोग थे और उन्हें जैसा कहा जाता था, वैसा वह नहीं करते थे. राहुल गांधी ने कहा, ‘इसलिए, यह जो कुछ भी हो रहा है, बिलकुल अलग हो रहा है.’
राहुल गांधी ने आगे कहा कि हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं है, न्यायपालिका से उम्मीद नहीं है, आरएसएस और बीजेपी के पास बेतहाशा आर्थिक ताकत है. व्यवसायों को विपक्ष के पक्ष में खड़े होने की इजाजत नहीं है. लोकतांत्रिक अवधारणा पर ये सोचा-समझा हमला है. मणिपुर में राज्यपाल BJP की मदद कर रहे हैं, पडुचेरी में उपराज्यपाल ने कई बिल को पास नहीं होने देना, क्योंकि वो RSS से जुड़ी थीं. कांग्रेस ने कभी भी संस्थानों का फायदा उठाने की कोशिश नहीं की, जबकि वर्तमान सरकार भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है.
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राहुल गांधी ने आश्चर्य जताया कि यह सवाल क्यों नहीं पूछा जाता कि भाजपा, बसपा और सपा में आंतरिक लोकतंत्र क्यों नहीं है. राहुल ने कहा, ‘ये मैं हूं, जिसने पार्टी में युवा और छात्र संगठनों में चुनाव करवाया, इसके लिए मेरी बहुत आलोचना भी हुई. मुझे सूली पर भी चढ़ाया गया, पर आंतरिक लोकतंत्र की बात BJP और BSP जैसी पार्टियों के बारे में कोई नहीं पूछता. ये हमसे ही पूछा जाता है क्योंकि कांग्रेस लोकतंत्रवादी है.’
कौशिक बसु के साथ ऑनलाइन संवाद के दौरान पिता राजीव गांधी की हत्या को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि उनकी हत्या की आशंका पहले से थी. उनकी हत्या की जानकारी फोन पर दी गई और जब हत्या हुई तो मैंने कहा ‘अच्छा ये हो गया!.’ यह बेहद दर्दनाक था लेकिन इसने मेरी हिंसा से लेकर अन्य बातों की समझ बढ़ाई. मेरे पिता के हत्यारे प्रभाकरन की मौत को देख कर भी मुझे बुरा लगा, लगा कि यह भी किसी का पिता होगा. यही नहीं मैंने प्रियंका से फोन पर बात की. उन्होंने भी कहा कि “मुझे भी तुम्हारी तरह बुरा लग रहा है.”
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ऑनलाइन संवाद के दौरान राहुल गांधी से सवाल पूछा गया कि अगर आप वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री होते तो दुनिया की ताकतों का सामना कैसे करते? इस सवाल के जवाब में राहुल कहा कि मुझे चीन का वैश्विक नजरिया समझ आता है. अमेरिका हमारा दोस्त है लेकिन उसके पास वैश्विक नजरिए की कमी है. वो भारत की तरह आंतरिक मामलों में उलझा है. फिलहाल भारत के पास रणनीति नहीं है. भारत को टकराव की नहीं सहअस्तित्व के रणनीति की जरुरत है. मैं मतभेदों के बावजूद संवाद पर ध्यान देता.
इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि, ‘कुछ समय पहले मैं विदेश मंत्री से बात कर रहा था. उन्होंने कहा कि भारत को बहुधुर्वीय दुनिया के मुताबिक रणनीति बनानी होगी. यह कोई रणनीति नहीं है. भारत में हम अतीत की यादों में अटके हैं, कोई कल्पना नहीं है. मैं भविष्य की बात करना चाहता हूं.’
गौरतलब है कि 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जबरदस्त जीत हासिल की थी. लेकिन, इंदिरा की जीत पर सवाल उठाते हुए उनके प्रतिद्वंद्वी राजनारायण अदालत पहुंच गए थे. इंदिरा गांधी के खिलाफ रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण ने उन पर चुनाव जीतने के लिए गलत तरीकों का प्रयोग करने का आरोप लगाया था. इस पर इंदिरा गांधी के चुनाव को निरस्त कर दिया गया और इसी के चलते इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था.