पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश की राजधानी दिल्ली में 8 फरवरी को प्रदेश की जनता वोट के जरिए राज्य की सरकार का चुनाव करेगी. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव होगा. 11 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी, 2020 को खत्म हो रहा है. इसे देखते हुए 15 फरवरी तक सरकार चुनाव जाना जरूरी है. चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही दिल्ली में तत्काल प्रभाव से आचार संहिता लागू हो गई है. दिल्ली के जंगी मैदान में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से है.
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जैसाकि चुनाव आयुक्त अरोड़ा ने पीसी में बताया, दिल्ली की 1.46 करोड़ जनता राज्य की सरकार का चुनाव करेगी. 70 विधानसभा सीटों में से 58 सामान्य और 12 एससी के लिए आरक्षित हैं. 14 जनवरी को चुनाव का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. 21 जनवरी को नामांकन करने की अंतिम तिथि होगी और 24 जनवरी तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. चुनाव के लिए 13797 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे और 2689 जगहों पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव कार्य में 90 हजार कर्मचारियों की तैनाती होगी.
दिल्ली विधानसभा चुनाव का शेड्यूल
- कुल विधानसभा सीट – 70 (58 सामान्य, 12 SC)
- कुल वोटर्स – 1.46 करोड़ (1,46,92,136)
- नोटिफिकेशन – 14 जनवरी, 2020
- नामांकन की अंतिम तिथि – 21 जनवरी
- नाम वापसी की अंतिम तिथि – 24 जनवरी
- मतदान की तिथि – 8 फरवरी
- नतीजें – 11 फरवरी
- सरकार का गठन – 15 फरवरी तक
- कुल पोलिंग बूथ – 13750
- स्थानों पर वोटिंग होगी – 2689
- चुनाव के लिए जरूरी कर्मचारी – 90 हजार
गौरतलब है कि देश की राजधानी दिल्ली में कुल 70 विधानसभा सीटें हैं. आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने सत्ता को बचाए रखने की चुनौती है. केजरीवाल अपने पांच साल के कामकाज और केवल स्थाई मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में है. वहीं बीजेपी 21 साल से सत्ता का वनवास झेल रही है और एक बार फिर सीएए, धारा 370, राम मंदिर सरीखे राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर दिल्ली जीतने की हरसंभव कोशिश में जुटी है. वैसे प्रदेश में बढ़ता प्रदूषण, साफ पानी, महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे भी अहम भूमिका में रहेंगे. आम आदमी पार्टी का नेतृत्व अरविंद केजरीवाल, वहीं पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवाड़ी बीजेपी का नेतृत्व कर रहे हैं. पूर्व सीएम शीला दीक्षित के कराए गए विकास को सामने रख कांग्रेस भी जंगी मैदान में है.
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पिछली बार के विधानसभा चुनाव (2015) में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर कब्जा जमाया था. तीन सीटों पर बीजेपी के विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला. कुछ कंपनियों के सर्वे के हालिया सर्वे के मुताबिक वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पलड़ा अन्य दोनों पार्टियों के मुकाबले भारी पड़ रहा है लेकिन नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से धारा 370 हटाने जैसे मुद्दों पर बीजेपी जीत का दावा ठोक रही है. वहीं कांग्रेस अपनी खोई हुई साख बचाने में जुटी है.