दुष्यंत ने कांग्रेस के साथ जाने के दिए संकेत, कर्नाटक की तर्ज पर बन सकते हरियाणा के मुख्यमंत्री

यदि ऐसा होता है तो JJP अपने उदय के पहले विधानसभा चुनाव में ही सीएम की कुर्सी तक पहुंच जाएगी जो कि अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. देश में हुए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब साफ हो गई है. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन बहुमत के साथ सत्ता में वापसी के लिए तैयार है तो वहीं हरियाणा में भाजपा को बड़ा झटका लगा है. हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बहुमत के आंकड़े से दूर हैं. कांग्रेस अब JJP के साथ मिलकर सरकार बनाने में जुट गई है. वहीं चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद दुष्यंत चौटाला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सत्ता की ‘चाबी’ मेरे पास है. इसी के साथ चौटाला ने आगे कहा कि जनता ने बीजेपी के खिलाफ वोट दिया है. चौटाला के इस बयान के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) कांग्रेस के साथ जा सकते हैं.

हरियाणा में आये चौकानें वाले परिणामों के बाद अब सत्ता के गलियारे में इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि हरियाणा में भी कर्नाटक की तरह JJP को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपकर कांग्रेस सरकार बना सकती है. यदि ऐसा होता है तो जेजेपी अपने उदय के पहले विधानसभा चुनाव में ही सीएम की कुर्सी तक पहुंच जाएगी जो कि अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. एक साल से भी कम समय में जेजेपी ने हरियाणा की राजनीति में अच्छी खासी पकड़ बना ली है और वह अपने पहले ही चुनाव में 10 सीटें जीतकर निर्णायक भूमिका में आ गई है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से मिले फ्री हैंड के बाद हरियाणा में कांग्रेस के तारणहार भूपेंद्र सिंह हुड्डा अब जेजेपी के दुष्यंत चौटाला और अन्य जीते हुए निर्दलीय विधायकों के संपर्क में हैं.

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बता दें, जननायक जनता पार्टी (JJP) लंबे समय तक हरियाणा की राजनीति में राज करने वाली इंडियन नेशनल लोकदल से ही निकली है. जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला का संबंध पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के परिवार से है. जननायक जनता पार्टी पिछले साल उस वक्त अस्तित्व में आई जब पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला और उनके भाई दिग्विजय चौटाला को इनेलो से बाहर कर दिया गया. दुष्यंत चौटाला को इनेलो से बाहर निकाले जाने की बड़ी वजह चाचा अभय चौटाला से साथ उनके बिगड़े संबंध थे.

JJP प्रमुख दुष्यंत चौटाला ने उस वक्त राजनीति में कदम रखा जब इंडियन नेशनल लोकदल (INLO) अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी. हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल को 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी का एक भी कैंडिडेंट जीत दर्ज नहीं कर पाया. 2013 की शुरुआत में इंडियन नेशनल दल के मुखिया ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में जेल जाना पड़ा.

दुष्यंत के पिता अजय चौटाला हमेशा हिसार से चुनाव लड़ा करते थे. इसलिए 2014 के लोकसभा चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला को हिसार से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया गया. 25 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला ने जीत दर्ज की, बल्कि 16वीं लोकसभा के सबसे युवा सांसद भी चुने गए. सांसद बनने के बाद दुष्यंत की पार्टी पर पकड़ मजबूत होने लगी. 2014 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने उचाना से विधानसभा चुनाव भी लड़ा. हालांकि इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला को पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेम लता के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.

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