Politalks.News/Haryana. लोकसभा के बाद राज्यसभा में पारित हुए किसानों से जुड़े कृषि बिल अब राज्यों गठबंधन सरकारों की मुसीबत बनती जा रही हैं. इसमें पहला नंबर है हरियाणा की खट्टर सरकार में भागीदार बने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी का. बिल को लेकर पार्टी में फूट पड़ते दिख रही है. आगाह करने के बावजूद जेजेपी के दो विधायकों ने कृषि बिल के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. दोनों विधायकों ने पार्टी स्टैंड के खिलाफ जाते हुए कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया. साथ ही इस्तीफे की धमकी भी दी है जिसके बाद जजपा के साथ बीजेपी की मुश्किलें भी बढ़ रही है. जजपा के 10 विधायकों के साथ मनोहर लाल खट्टर फिर से मुख्यमंत्री के आसन पर विराजमान हुए हैं. अगर जजपा को किसी भी वजह से समर्थन वापिस लेना पड़ा तो खट्टर सरकार का गिरना तय है.
जजपा हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में शामिल है और पार्टी प्रमुख दुष्यंत चौटाला सरकार में डिप्टी सीएम हैं. रविवार को राज्यसभा में कृषि बिल पारित होने के बाद जब विपक्ष ने हंगामा किया तो दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस पर किसानों को भरमाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कृषि बिल में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म करने की बात नहीं कही गई है. लेकिन जब भारतीय किसान संघ ने अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया तो दुष्यंत चौटाला के आश्वासन के बावजूद उनके दो विधायकों बरवाला विधानसभा सीट से जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग और शाबाबाद के विधायक राम करन काला ने कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
जजपा का वोट बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा है. इसे देखते हुए बरवाला के विधायक सिहाग ने कहा है कि उन्हें जब भी लगेगा कि किसानों के हितों के साथ समझौता किया जा रहा है, वे अपने पद से इस्तीफा देने से भी नहीं हिचकेंगे. कृषि बिल के बारे में सिहाग ने कहा कि इससे देश के किसान बड़े बड़े कॉरपोरेट के हाथों गिरवी रख दिए जाएंगे.
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सिहाग की तरह शाबाबाद के जजपा विधायक काला ने भी विरोध प्रदर्शन में अपनी मौजूदगी को जायज बताया. उनका कहना है कि किसानों की बात हर हाल में सुनी जानी चाहिए. वहीं दुष्यंत चौटाला ने विधायकों को समझाते हुए कहा कि नए कृषि बिल में एमएसपी को खत्म करने की बात कहीं नहीं कही गई है. चौटाला का कहना है कि जिस दिन से किसानों को उनकी फसल का एमएसपी मिलना बंद हो जाएगा, उस दिन वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.
गौरतलब है कि दुष्यंत चौटाला उस परिवार से आते हैं जिसकी राजनीति हमेशा से किसानों पर आधारित रही है. ऐसे में संसद में भारी हंगामे के बीच कृषि सुधार से जुड़े दो बिल पारित हो गए. एक तरफ जहां केंद्र सरकार ने इन दोनों बिल को ऐतिहासिक बता रहा है, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों बिल की तारीफ कर चुके हैं, वहीं विपक्षी दलों का इसके खिलाफ विरोध जारी है. हरियाणा में तक किसानों और संगठनों की ओर से बिल का विरोध किया जा रहा है. सोमवार को एक प्रदर्शन के दौरान छुटपुट हंगामे की खबर आई और प्रदर्शनकारियों ने एक ट्रेक्टर को आग लगा दी.
जजपा सरकार में सहभागी होने के चलते बिल का विरोध नहीं कर सकती लेकिन जिस तरह विधायकों ने मुखर होकर बिल का विरोध किया है, दुष्यंत चौटाला की हवाईयां उड़ी हुई हैं. हालांकि जजपा की ओर से कुछ इस्तीफे हो जाते हैं तो भी खट्टर सरकार को कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला क्योंकि उनके पास जजपा के 10 विधायकों के साथ 4 अन्य पार्टियों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है. लेकिन अगर चौटाला अपना समर्थन वापिस ले लेते हैं तो खट्टर सरकार का गिरना निश्चित है.
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कृषि विधेयक के खिलाफ हरियाणा और पंजाब के किसान आंदोलित हैं. किसानों की नाराजगी को देखते हुए बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिरोमणि अकाली दल की तरफ से केंद्र सरकार में एकमात्र केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार को मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद हरियाणा में जजपा पर साथ छोड़ने का दबाव बढ़ गया है. ऐसे में पार्टी प्रमुख और सरकार में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कशमकश में फंसे हुए हैं.
ऐसे में दुष्यंत चौटाला अपने विधायकों को मनाने में जुटे हुए हैं, वहीं सुनने में आ रहा है कि बिल के विरोध में पार्टी के कुछ अन्य विधायक भी विरोध के मूड में हैं. आने वाले दिनों में दो तीन विधायक एनडीए सरकार के विरोध में खड़े हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो जजपा में फूट की दरार बढ़ सकती है और चौटाला के पास सिवाय समर्थन वापिस लेने के और कोई चारा नहीं रहेगा.