पॉलिटॉक्स न्यूज़/मध्यप्रदेश. एमपी में पिछले महीने हुई भारी सियासी उठापटक के बाद चौथी बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान जल्दी ही अपने मंत्रिमंडल का गठन करने जा रहे हैं और यह भी सम्भव है कि आने वाले सप्ताह में शिवराज सिंह अपने मंत्रिमंडल को शपथ दिलवा सकते हैं. लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंत्रिमंडल गठन में जो पेंच फंसा है वो यह कि कोविड-19 को देखते हुए शिवराज अभी छोटा मंत्रिमंडल रखना चाहते हैं, जिसमें केवल 6 से 10 सीनियर नेताओं को ही मंत्री बनाया जाए, जिससे की काम सुचारू रूप से चलता रहे. वहीं कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए एमपी के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि जब भी मंत्रिमंडल बने उसमें उनके सभी लोगों को शामिल किया जाए. इस मामले को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहले गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और फिर शुक्रवार को सिंधिया ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने भी यही बात दोहराई. अब मंत्रिमंडल में संख्या को लेकर अब फैसला जेपी नड्डा को लेना है.
केंद्रीय नेतृत्व द्वारा इस मुद्दे पर एक-दो दिन में ही निर्णय लेने की संभावना है. निर्णय होने के तुरंत बाद ही शपथग्रहण का कार्यक्रम होगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में एमपी के सीनियर नेताओं के साथ अलग-अलग चर्चा कर ली है. इस सम्बंध में शिवराज सिंह का मानना है कि प्रदेश में कोविड-19 के बीच कुछ गतिविधियां समानांतर रूप से शुरू हो गई हैं, मसलन गेहूं की खरीदी आदि. स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, कृषि एवं सहकारिता, पंचायत के साथ वित्त व वाणिज्यिक कर विभाग में गतिविधियां बढ़ गई हैं. इसी को देखते हुए मंत्रिमंडल में अभी सीनियर मंत्री ही रहें, जिन्हें पूर्व का अनुभव है. इसी के मद्देनजर सीएम शिवराज सिंह अभी छोटा मंत्रिमंडल बनाए जाने के पक्ष में हैं जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे से पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शामिल किया जा सकता है.
दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया का तर्क है कि प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल में उनके लोगों को शामिल किया जाना आवश्यक है. वहीं पार्टी के प्रमुख नेताओं का कहना है कि यदि इसी लाइन पर ही आगे बढ़ा गया तो मंत्रियों की पहली सूची में पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को भी शामिल करना पड़ेगा. ऐसे में प्रदेश के वरिष्ठ नेतृत्व शिवराज सिंह, वीडी शर्मा और सुहास भगत ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद केंद्रीय नेतृत्व को इस बारे में अवगत करा दिया गया है. अब फैसला पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को करना है.
ऐसे में यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बात रखी जाती है तो पहली सूची में तुलसी सिलावट के साथ गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया और प्रभुराम चौधरी के नाम मंत्रिमंडल में शामिल होंगे. इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए वरिष्ठ नेता बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना और राज्य वर्धन दत्तीगांव के साथ ही हरदीप सिंह डंग के बारे में भी भाजपा को सोचना होगा. वहीं दूसरी तरफ भाजपा के सीनियर नेताओं में गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह, विजय शाह, गौरीशंकर बिसेन और मीना सिंह के नाम की चर्चा जोरों पर है.
बता दें, प्रदेश में बीते माह आए सियासी भूचाल के बाद सिंधिया समर्थक 22 कांग्रेस विधायकों ने अपने इस्तीफे सौंपकर 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया था. ऐसे में संख्याबल के चलते प्रदेश में चौथी बार भाजपा सरकार के मुखिया के नाते 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने शपथ ग्रहण की थी. उसके बाद से से कोरोना संक्रमण की विश्वव्यापी समस्या से देशभर में लॉकडाउन चल रहा है जिसके कारण प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन भी टलता आ रहा है. वहीं प्रदेश में कोरोना के बढ़ते संकट के कारण शिवराज सरकार की प्राथमिकता संक्रमण के नियंत्रण पर लगी हुई है. तीन सप्ताह से अकेले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ही ‘वन मैन आर्मी’ की तर्ज पर कमान संभाले हुए हैं. लेकिन मुख्यमंत्रियों से वीडियो कान्फ्रेंस में हुई चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया. ऐसे में लॉकडाउन आगे बढ़ने से सबसे ज्यादा निराशा मंत्री बनने के दावेदारों को हुई है.
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गौरतलब है कि प्रदेश के मंत्रिमंडल में अधिकतम मुख्यमंत्री सहित 35 सदस्य रह सकते हैं. सूत्रों की मानें तो शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक 10 लोगों को शपथ दिलाए जाने की संभावना है. इसके बाद 24 स्थानों के लिए भाजपा अपने विधायक दल में से दावेदारों को चुनेगा. दो दर्जन चेहरों का चुनाव ही सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि कई पुराने चेहरे भी इस बार दावेदारों की कतार में हैं. उथल-पुथल के दौरान भाजपा को सत्ता के साकेत तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वालों की भी पुख्ता दावेदारी है.
बहराल, प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर मंत्रिमंडल के जल्दी ही गठन का दबाव बढ़ गया है. मंत्रिमंडल में खासतौर पर उपचुनाव वाले क्षेत्रों का ख्याल रखा जाएगा. सरकार के स्थायित्व की खातिर निर्दलीय के अलावा सपा-बसपा के सदस्यों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना है, क्योंकि कमल नाथ सरकार में भी इन विधायकों ने काफी दबाव बनाया था और ताजा उलटफेर में भी उन्होंने अपनी पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर शिवराज सरकार को समर्थन देने का एलान भी किया है.