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Bengal Politics: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में हुगली नदी के पूर्वी तट पर स्थित है डायमंड हार्बर. इसे क्षेत्र को मूल रूप से हाजीपुर के नाम से जाना जाता है क्योंकि यह हाजीपुर खाड़ी के तट पर स्थित था. पर्यटन और ​बीच के तौर पर पहचाने जाने वाले डायमंड हार्बर को अंग्रेजों ने समुद्री शिपिंग के लिए बनाया था. आजादी के बाद जब 1952 में पहला चुनाव हुआ तो देशभर में कांग्रेस की लहर होने के बावजूद इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कब्जा जमाया. कमल बासू यहां से पहले सांसद बने. इसके बाद 1967 तक यह क्षेत्र कभी माकपा तो कभी कांग्रेस के कब्जे में रहा. फिर कुछ ऐसा घटा कि 1967 से लेकर अगले चार दशकों तक इस लोकसभा सीट पर केवल माकपा के उम्मीदवार जीतकर सदन में पहुंचते रहे.

15वें लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के सोमेन मित्रा (2009-2014) ने माकपा के इस तिलस्प को तोड़ा और पार्टी के लिए पहली जीत दर्ज की. उसके बाद प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने 2014 और 2019 में यहां से चुनाव जीता. इस बार वे फिर से मैदान में हैं और जीत की हैट्रिक लगाने के लिए तैयार हैं. बीजेपी की ओर से अभिजीत दास (बॉबी) और इंडिया गठबंधन की ओर से माकपा के प्रतिकुर रहमान चुनौती पेश कर रहे हैं.

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साल 2019 के आम चुनाव में टीएमसी के अभिजीत बनर्जी ने बीजेपी के निलंजन रॉय को 3,20,594 मतों के भारी अंतर से हराया था. वहीं 2014 में यह मार्जिन केवल 71 हजार वोटों का था. 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी के अभिजीत दास तीसरे नंबर पर रहे थे. उन्हें केवल 200,858 वोट​ मिले. माकपा के अब्दुल हसंत को 437,187 वोट मिले थे.

डायमंड हार्बर का जातिगत समीकरण

डायमंड हार्बर मूलतः एक ग्रामीण इलाका है और यहां केवल 14.61% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है और 85.39% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. पिछले कुछ सालों में यहां शहरी विकास काफी ज्यादा हुआ है. इस संसदीय क्षेत्र में 7 विधानसभाएं आती हैं. इन सभी पर टीएमसी के विधायकों का कब्ज है. डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र में 18 लाख से ज्यादा मतदाता मतदान निवास करते हैं. मटियाब्रुज, बजबज, महेशतला, फलता, सतगछिया मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं. इस क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी 38 फीसदी से ऊपर है. ये चुनाव में जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. डायमंड हार्बर क्षेत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का अनुपात क्रमशः 20.63 और 0.18 फीसदी है. ऐसे में यहां टीएमसी की स्थिति काफी मजबूत है.

डायमंड हार्बर का सियासी गणित

इस बार के चुनाव में पांच निर्दलीय समेत कुल 12 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला अभिषेक बनर्जी, अभिजीत दास उर्फ बॉबी और रहमान में ही हैं. अभिजीत दास इससे पहले भी लोकसभा चुनाव 2009 में इस सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि जीत नसीब नहीं हुई थी. इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के प्रत्याशी मजनू लस्कर भी कुछ हद तक चुनाव पर असर डाल सकते हैं. वजह है कि हाल में इंडियन सेक्यूलर फ्रंट के विधायक नौशाद सिद्दिकी यहां काफी सक्रिय हुए हैं और ऐसा माना जा रहा है कि उनका इलाके में प्रभाव भी बढ़ा है. हालांकि अभिषेक बनर्जी का यहां जीत की हैट्रिक लगाना पक्का माना जा रहा है लेकिन गठबंधन की ओर से लड़ रहे रहमान और आईएसएफ के मजनू उनके वोट बैंक में सेंध लगा दी तो बीजेपी का कमल इस समुद्री भूमि पर पहली बार खिलते दिख सकता है.

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