Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मतदान के तुरंत बाद प्रदेश के वर्तमान डिप्टी सीएम एवं बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने पहुंचे. नागपुर में हुई मुलाकात बेहद खास और पूर्ण रूप से राजनीतिक बताई जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोहन भागवत के साथ-साथ पूर्व महासचिव भैयाजी जोशी संघ मुख्यालय में मौजूद थे. फडणवीस करीब 15 से 20 मिनट संघ मुख्यालय में रहे. संघ ने महाराष्ट्र चुनावी प्रचार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फडणवीस नागपुर दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं. संघ ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में भाजपा नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के पक्ष में जनमत तैयार किया था.
हालांकि फडणवीस ने इस मुलाकात को केवल शिष्टाचार भेंट बताया है. उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत नागपुर में ही थे. इस वजह से वे उनसे मिलने आए है. उन्होंने कहा कि मैं एग्जिट पोल के आधार पर अटकलें नहीं लगाता. हम अंतिम नतीजों का इंतजार कर रहे हैं. हमें विश्वास है कि महायुति विधानसभा चुनाव में अधिक सीटों के साथ जीतेगी. हालांकि भागवत से फडणवीस का यूं ही मिलना राजनीतिक गलियारों में राजनीतिक विशेषज्ञों के गले नहीं उतर रहा है.
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सीएम बनने को मचल रहे फडणवीस
2014 से 19 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस को एकनाथ शिंदे सरकार में राज्य का डिप्टी सीएम बनाया गया. पहले वे इसके लिए तैयार नहीं थे लेकिन आलाकमान के निर्देश पर उन्होंने इस पद को नहीं, बल्कि इस जिम्मेदारी को मान लिया. चूंकि एक्जिट पोल काफी हद तक बीजेपी के हक में आ रहे हैं, तो इस मुलाकात के पीछे देवेंद्र फडणवीस की फिर से मुख्यमंत्री बनने की इच्छा बताया जा रहा है. हालांकि फडणवीस और शिंदे दोनों ही अपने आपको सीएम दौड़ से बाहर बता रहे हैं लेकिन बीजेपी नेता और शिवसेना नेताओं से पूछे तो वे अपने ही नेता को मुख्यमंत्री चेहरा बता रहे हैं. अगर किसी भी तरह से बीजेपी 100 से अधिक सीटें लाने में कामयाब हो जाती है तो निश्चित तौर पर बीजेपी में से किसी का सीएम बनना तय है. ऐसे में अगर संघ बीच बचाव करता है तो देवेन्द्र फडणवीस का नाम सबसे उपर आएगा.
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शिंदे के हाथ से निकली बाजी, अजित बनेंगे किंगमेकर!
शिवसेना से अलग होने के बाद एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर ही दावा ठोक दिया और उसका मालिकाना हक भी प्राप्त कर लिया. अब किसी भी परिस्थिति में उनका उद्धव ठाकरे या महाविकास अघाड़ी से हाथ मिलाना संभव नहीं है. उनके पास दो ही विकल्प है. यहां तो बीजेपी के साथ बने रहें या फिर अलग हो जाएं. अलग होने में उन्हें फायदा नहीं है. वहीं अजित पवार के पास अभी भी द्वार खुले हुए हैं. अगर बीजेपी और शिवसेना 130-135 तक आते हैं तो अजित पवार के हाथों में सरकार के ताले की चाबी रहेगी. ऐसे में उनके पास किंगमेकर बनने का मौका रहेगा. अजित के अपने चाचा शरद पवार से सुलह करने के रास्ते भी खुले हुए हैं.