Politalks.News/UttarPradeshPolitics. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक योगी सरकार को लेकर जबरदस्त हलचल मची हुई है और इसका कारण योगी सरकार के मंत्रिमंडल में होने वाला ‘विस्तार‘ है. तीन महीनों से योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर ‘सुगबुगाहट‘ चली आ रही थी. आखिरकार अब ‘मुहूर्त‘ निकला है. लेकिन अभी भी मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ सियासी परिस्थितियां ‘अनुकूल‘ नहीं हैं. आठ महीने के अंतराल में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में कोरोना से बिगड़े हालात, पंचायत चुनाव के नतीजों, शिक्षकों की नाराजगी, कृषि विधेयक पर किसानों की नाराजगी और जातीय समीकरण को लेकर इसे सबसे महत्वपूर्ण ‘बदलाव‘ माना जा रहा है.
बता दें कि यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पूरा फार्मूला तैयार कर लिया गया है, ‘अमलीजामा पहनाना‘ बाकी रह गया है. पिछले आठ दिनों से दिल्ली से लेकर लखनऊ तक भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कई बैठकें भी हो चुकी हैं. भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की ‘नैया पार‘ लगाने के लिए संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और संगठन मंत्री सुनील बंसल को कमान दी है. अभी तक सुनील बंसल योगी सरकार के कामकाज और संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
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वहीं करीब सवा 2 महीने पहले 20 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नंबर-2 सर कार्यवाह बनाए गए दत्तात्रेय होसबोले पर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी सौंप दी है. दत्तात्रेय ने संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ भारतीय जनता पार्टी को ‘मिशन 22‘ में दोबारा सत्ता दिलाने के लिए अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. बता दें कि कर्नाटक के शिवमोगा के निवासी होसबोलेे पिछले दिनों से यूपी की सियासत में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.
आज लखनऊ के सत्ता के गलियारों में योगी मंत्रिमंडल विस्तार की सुबह से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है. अभी शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से हुई मुलाकात के बाद अब विस्तार होना बिलकुल तय है. बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ ‘मंथन‘ के बाद सरकार से लेकर संगठन तक में बड़े फेरबदल की संभावनाएं बढ़ गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा का उप मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है. ‘डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर से उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कमान सौंपने की चर्चाएं हैं‘. बता दें कि कुछ माह पहले एक और डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को हटाकर अरविंद शर्मा को उनके स्थान पर उपमुख्यमंत्री बनाया जा रहा था लेकिन अब भाजपा हाईकमान ने परिवर्तन करते हुए केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम के पद से हटाकर प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपी जा सकती है.
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बता दें कि प्रदेश के सियासी हालात को लेकर पहले दिल्ली में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की ‘अहम‘ बैठक हुई थी, इसमें उत्तर प्रदेश बीजेपी प्रदेश संगठन के महामंत्री सुनील बंसल भी शामिल थे. इसके बाद दत्तात्रेय होसबाले और सुनील बंसल लखनऊ पहुंचकर दोनों नेताओं ने अलग-अलग बैठक की. जहां एक ओर राजधानी लखनऊ में बुधवार को ही संगठन मंत्री सुनील बंसल ने यूपी के बीजेपी के सभी सांसदों और विधायकों के साथ-साथ पार्टी संगठन के लोगों के साथ वर्चुअल बैठक की. वहीं दूसरी ओर होसबाले संघ के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ बातचीत कर बीजेपी और संघ परिवार के संगठनों के बारे में फीडबैक लिया.
भाजपा के साथ संघ भी ‘यूपी मिशन 2022’ को लेकर हुआ अलर्ट
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. हालांकि भाजपा बंगाल में अपनी सत्ता पर काबिज नहीं हो सकी. देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश में संघ ने अभी से अपनी तैयारी शुरू कर दी है. पिछले कुछ महीनों से यूपी में भाजपा के प्रति माहौल ‘बिगड़ा‘ है. बता दें कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते उत्तर प्रदेश में उपजे असंतोष और पंचायत चुनाव के नतीजों से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई हैं. अगले साल की शुरुआत में ही यूपी विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते ‘सपा और कांग्रेस ने कोरोना संक्रमणकाल में प्रशासनिक अफसरों और अस्पतालों में खराब सिस्टम का आरोप लगाते हुए योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है’. ऐसे में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और बीजेपी की शीर्ष लीडरशिप इससे संभावित नुकसान को लेकर ‘अलर्ट‘ है.
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बता दें कि ‘पंचायत चुनाव में आशा के अनुरूप नतीजे न मिलने से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से दिल्ली आलाकमान खुश नहीं है, पिछले दिनों दिल्ली में हुई यूपी की सियासी हलचल को लेकर हुई बैठक में स्वतंत्र देव सिंह को आमंत्रित भी नहीं किया गया था, इसी के बाद यूपी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की अटकलें तेज हो गई थी‘.
मौजूदा समय में योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 22 राज्यमंत्री हैं. इस तरह से यूपी सरकार में फिलहाल कुल 54 मंत्री हैं, जिसके लिहाज से 6 मंत्री पद अभी भी खाली हैं. चुनावी साल होने के चलते माना जा रहा है कि योगी सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सामाजिक समीकरण साधने का दांव चल सकती हैं और संगठन में व्यापक सुधार कर नए तेवर के साथ अगले साल होने वाले चुनाव में किस्मत आजमाने की रणनीति अपना सकती है. ‘सही मायने में संघ के नए सरकार्यवाह बने दत्तात्रेय होसबोले भी यूपी में भाजपा को मिशन 22 फतेह दिलाने के लिए एक्टिव मोड में आ गए हैं‘.