कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के चयन पर अगले हफ्ते चर्चा होने की संभावना है. संसद सत्र के बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होगी, जिसमें पक्के तौर पर अगले अध्यक्ष के बारे में चर्चा होगी. हालांकि बैठक की सूचना देते हुए प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला इसकी पुष्टि नहीं की है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस अगले अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गंभीर है, क्योंकि राहुल गांधी इस्तीफा देकर पार्टी से हट गए हैं और सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा भी अध्यक्ष बनने की इच्छुक नहीं हैं.
कांग्रेस को ऐसे अध्यक्ष की जरूरत है जो मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी में नई जान फूंक सके. बताया जाता है कि गांधी परिवार के विश्वस्त सलाहकार सैम पित्रोदा ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 134 वर्ष पुरानी पार्टी को नया रूप देने के लिए करीब 20 सुझाव दिए हैं. इसमें एक सुझाव यह है कि पार्टी को कार्पोरेट कंपनी की तर्ज पर ढाला जाए, जिसमें एक मुख्य तकनीकी अधिकारी की नियुक्ति हो, पार्टी का मानव संसाधन विभाग हो और हर पदाधिकारी की जिम्मेदारी तय हो.
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक आठ या 10 अगस्त को हो सकती है, जो कि संसद सत्र के समापन पर निर्भर है. इसमें राहुल गांधी से एक बार फिर इस्तीफे पर पुनर्विचार करने के लिए अनुरोध किया जाएगा. पार्टी अध्यक्ष के मुद्दे पर गुरुवार को कांग्रेस महासचिवों की बैठक हुई थी. प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस नेताओं से साफ कह दिया है कि अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम का जिक्र न किया जाए.
गौरतलब है कि शशि थरूर और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि प्रियंका को अध्यक्ष पद संभाल लेना चाहिए. महासचिवों की बैठक में एक महासचिव ने भी थरूर और कैप्टन की बात दोहराई, जिस पर प्रियंका ने साफ मना कर दिया. प्रियंका भी कांग्रेस महासचिव हैं. राहुल गांधी ने मई में इस्तीफा दिया था. कांग्रेस कार्यसमिति ने अब तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया है. कांग्रेस में उनके उत्तराधिकारी के चयन पर अब तक कोई औपचारिक बैठक भी नहीं हुई है.
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राहुल के इस्तीफे के बाद से अब तक कांग्रेस को एक के बाद एक कई झटके लग रहे हैं. गोवा में कांग्रेस के विधायक सामूहिक रूप से भाजपा में शामिल हो गए. कर्नाटक में जदएस-कांग्रेस सरकार भी गिर गई. कई राज्यों में पार्टी में गुटबंदी बढ़ रही है. यूपीए अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में सक्रिय हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कांग्रेस इस समय नेतृत्व विहीन है.
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के कई नेताओं का दम निकला हुआ है. झारखंड, महाराष्ट्र और हरियाणा में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जम्मू-कश्मीर में भी जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने के आसार बन रहे हैं. इन परिस्थितियों में कांग्रेस के नए अध्यक्ष या अंतरिम अध्यक्ष का चुनाव जरूरी है.
सैम पित्रोदा की रिपोर्ट में कांग्रेस के पुनर्गठन के लिए मिशन 2020 तय करने के साथ ही शुरू में 60 दिन के कार्यक्रम प्रस्तावित किए गए हैं. इसके तहत केंद्र में ही नहीं, राज्यों में भी मुख्य तकनीकी अधिकारी नियुक्त करने का प्रस्ताव है. इन पर पार्ट को तकनीकी आधार पर संगठित करने की जिम्मेदारी रहेगी. वे सोशल मीडिया और आंकड़ों की जानकारी रखने वालों के संपर्क में रहेंगे. यह सुझाव कांग्रेस के डाटा एनालिटिक्स विभाग के नाकाम रहने के बाद आया है, जिसकी जिम्मेदारी 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रवीण चक्रवर्ती को सौंपी गई थी.
पित्रोदा ने कांग्रेस कार्यसमिति के पुनर्गठन का सुझाव देते हुए कहा है कि कांग्रेस कार्यसमिति को एक 10 सदस्यीय निदेशक मंडल का गठन करना चाहिए. इसमें बाहरी लोगों और विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया जा सकता है. यह नया निदेशक मंडल हर तीन महीने में पार्टी अध्यक्ष और कांग्रेस कार्यसमिति के साथ बैठक करेगा और सलाह देगा.
पित्रोदा ने महासचिवों को राज्यों का प्रभार सौंपने की मौजूदा परिपाटी बदलने का सुझाव भी दिया है. उनका कहना है कि महासचिवों की जिम्मेदारी इस तरह तय होनी चाहिए, जैसे राजनीतिक महासचिव, प्रशासनिक महासचिव, वित्तीय और आर्थिक मामलों के महासचिव आदि. एक महासचिव को चुनाव का प्रभार सौंपा जा सकता है.
दिल्ली के राजनीतिक विश्लेषक एन. भास्कर राव ने कहा कि सैम पित्रोदा अच्छे टैक्नोक्रेट हो सकते हैं, लेकिन राजनीति के जमीनी हालात की जानकारी उनको नहीं है. इसलिए पार्टी को कार्पोरेट की तर्ज पर ढालने का उनका जो सुझाव है, वे कारगर नहीं हो सकते. पार्टी का जमीन से जुड़ना और संगठन का विस्तार करना बहुत जरूरी है. इसके लिए कांग्रेस को अपने सेवा दल जैसे आनुषांगिक संगठनों को भी सक्रिय करने की जरूरत है.