उपराष्ट्रपति के लिए हुए चुनावों में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने जीत दर्ज की. मंगलवार को हुए मतदान में 788 में से 767 (98.2%) सांसदों ने वोट डाला. राधाकृष्णन को 452 वोट और सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिले. 15 वोट अमान्य करार दिए गए. राधाकृष्णन ने इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से हराया. रेड्डी की हार करीब करीब तय थी लेकिन चुनाव में कम से कम 14-15 विपक्षी सांसदों के NDA के पक्ष में क्रॉस वोटिंग ने पूरे विपक्ष की एकजुटता की पोल खोलकर रख दी है.
दरअसल, एनडीए के पास के पास 427 सांसद हैं. वाईएसआर कांग्रेस के 11 सांसदों ने राधाकृष्णन को समर्थन दिया, जिसे जोड़कर 438 वोट ही बनते हैं. राधाकृष्णन को 452 वोट मिले हैं. यानी कहीं न कहीं विपक्ष के सांसदों द्वारा क्रॉस वोटिंग की गयी है. वोटिंग के बाद विपक्ष ने अपने सभी 315 सांसद एकजुट होने का दावा किया. हालांकि, नतीजों में ऐसा नहीं दिखा. बीजेपी ने दावा भी किया है कि विपक्ष के सांसदों ने न केवल क्रॉस वोटिंग की, बल्कि जानबूझकर अमान्य वोट डाले हैं.
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उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान गुप्त मतपत्र से होती है. कोई नहीं जानता कि किसने किसे वोट दिया. हालांकि, सांसद पार्टी लाइन और गठबंधन के अनुसार ही वोट करते हैं. इसी वजह से विपक्ष के भीतर क्रॉस वोटिंग की आशंका बिहार और तमिलनाडु चुनाव से पहले चिंता का विषय बनी हुई है.
विपक्षी गठबंधन में शामिल राजद के नेता तेजस्वी यादव ने क्रॉस वोटिंग से इनकार करते हुए पार्टी सांसदों के इंडिया ब्लॉक के साथ खड़े होने का दावा किया है. वहीं एनसीपी-एसपी, शिवसेना-यूबीटी सहित अन्य दलों ने भी यही रटा रटाया जवाब दिया है, लेकिन आंकड़े जो कह रहे हैं, उससे भी तो इनकार नहीं किया जा सकता है.
इधर, पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल पार्टी के नेता अभिषेक बनर्जी ने क्रॉस वोटिंग करने वाले सांसदों के 15 से 20 करोड़ रुपए में बिकने का दावा किया. उन्होंने कहा कि मुझे पता चला है कि एनडीए ने प्रत्येक व्यक्ति पर 15 से 20 करोड़ रु खर्च किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि बिकने वाले सांसद लोगों का भरोसा और भावना बेच रहे हैं.
बरहाल सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति के तौर पर आज शपथ ग्रहण करने वाले हैं. चुनाव से पहले ही उनकी जीत तय थी लेकिन विपक्ष के क्रॉस वोटिंग के दावे ने मुकाबले को थोड़ा सा कड़ा कर दिया था. हालांकि बीते 23 सालों में उपराष्ट्रपति चुनाव में यह सबसे कम मार्जिन वाली हार रही. माना जा रहा है कि राधाकृष्णन के कुर्सी पर आसीन होते ही विपक्ष द्वारा क्रॉस वोटिंग के मुद्दे पर हंगामा किया जाना निश्चित है.



























