Politalks.News/NationalCongress. अंतर्कलह से जूझ रही राष्ट्रीय कांग्रेस को एक बार फिर सोनिया गांधी ने ‘संभाल‘ लिया है. यानी पार्टी के नाराज नेताओं ने गांधी परिवार पर फिलहाल भरोसा जताया है. सोमवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी के बागी नेताओं के रुख को लेकर भाजपा समेत अन्य दलों में सवेरे से ही हलचल मची हुई थी. लेकिन सीडब्ल्यूसी की बैठक में संगठन में बदलाव और नए अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव की तारीख का एलान होने के बाद भी चुनाव टल गए, और इसकी वजह बना देश में चल रहा मौजूदा भयानक ‘कोरोना संक्रमण काल’. यहां हम आपको बता दें कि आपके पसंदीदा ‘पॉलिटॉक्स न्यूज‘ ने बहुत पहले ही बता दिया था कि ‘कांग्रेस को अगले महीने मिलेगा फुल टाइम अध्यक्ष या इस बार कोरोना बनेगा ब्रह्मास्त्र?‘ वहीं हमने यह भी बताया था कि कोरोनाकाल कब तक बनेगा कांग्रेस की ढाल. आज हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हमारी इन दोनों खबरों पर मुहर लग गई है.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी के सभी नेताओं ने हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस को मिली हार की समीक्षा के बजाय देश में चल रहे कोरोना महामारी के संकट पर बातचीत को ज्यादा महत्वपूर्ण माना. यही नहीं बैठक की शुरुआत में घोषित हुई 23 जून को होने वाले कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी कोरोना महामारी के कारण टालने का फैसला किया गया. इस दौरान कांग्रेस नेताओं ने देश में चल रहे कोरोना संकट को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. CWC ने कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर को केंद्र सरकार की उदासीनता, असंवेदनशीलता और अक्षमता का प्रत्यक्ष परिणाम कहा है. इस दौरान सीडब्ल्यूसी ने एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी गलतियों के लिए प्रायश्चित करना चाहिए.
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बैठक में कांग्रेस की वर्तमान अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला. सोनिया गांधी ने कहा कि, ‘कोरोनाकाल में मोदी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा और टीकाकरण का काम राज्यों पर छोड़ दिया. केंद्र सरकार द्वारा सभी को फ्री वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए आर्थिक रूप से अधिक न्यायसंगत होगा.’ वहीं सीडब्ल्यूसी की ओर से कहा गया कि यह वैज्ञानिक स्तर पर दी गई चेतावनी की केंद्र सरकार की ओर से की गई अवहेलना का नतीजा है. साथ ही यह कोरोना महामारी से निपटने के लिए अग्रिम योजना बनाने में असमर्थता और अनिच्छा का भी नतीजा है, जबकि हेल्थ एक्सपर्ट और संसद की स्टैंडिंग कमेटी की ओर से पहले ही इस बाबत चेतावनी दी गई थी.
यानी फिलहाल कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने में न तो पार्टी के असंतुष्ट (नाराज) नेताओं ने जल्दीबाजी दिखाई, साथ ही गांधी परिवार के करीबी नेताओं ने फिर सोनिया गांधी पर ही अपना पूरा भरोसा जताया. सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद गांधी परिवार के लिए यह ‘सुखद‘ कहा जा सकता है कि कांग्रेस के नाराज नेता भी पार्टी को एकजुट करने की कवायद करते रहे. इसके साथ गांधी परिवार के नेतृत्व में ही अब असंतुष्ट और करीबी नेता कोरोना महामारी पर खराब व्यवस्था को लेकर केंद्र सरकार से दो-दो हाथ करने के लिए भी तैयार हैं. बता दें कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने 23 जून को चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा, जिसका बाकी सदस्यों ने विरोध किया. यानी अब कोरोना संकट के बाद चुनाव होगा. कांग्रेस के सदस्यों का कहना है कि कोरोना से उबरने के बाद चुनाव पर फैसला लिया जाएगा.
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पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद राहुल गांधी अभी नेतृत्व करने के लिए तैयार नहीं हैं?
अभी पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आए चंद दिन ही हुए हैं. इन राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन और राहुल गांधी पर सवाल उठ रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों में ‘राहुल गांधी कांग्रेस की कमान संभालने के लिए अपने आपको अभी तैयार नहीं कर पा रहे हैं?’ इससे पहले जनवरी में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी ने तय किया था कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद जून के अंत तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा. लेकिन आज हुई बैठक में कांग्रेस कार्यसमिति ने सामूहिक तौर पर फैसला लिया है कि मौजूदा परिस्थिति में चुनाव कराना ठीक नहीं होगा. गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त से अध्यक्ष पद के चुनाव तीन बार टल चुके हैं.
आज सीडब्ल्यूसी की बैठक में जो हुआ उसके बाद मुख्यमंत्रीअशोक गहलोत गांधी परिवार के और करीब आ गए हैं. दरअसल, पहले से तय डेडलाइन के मुताबिक जून में पार्टी अध्यक्ष का चुनाव करवाने के प्रस्ताव पर चुनाव समिति के कार्यक्रम के मुताबिक केसी वेणुगोपाल ने 23 जून को अध्यक्ष का चुनाव करवाने का प्रस्ताव रखा था. लेकिन सबसे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव का विरोध में कोरोना की भयावह स्थिति का हवाला देते कहा कि, ‘कोरोना के ऐसे भयावह हालातों में फिलहाल चुनाव करवाना ठीक नहीं होगा.’ यही नहीं सीएम गहलोत की बात का कांग्रेस में गांधी परिवार से नाराज चल रहे हैं गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा आदि नेताओं ने भी तुरंत समर्थन किया.
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बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था. इसके बाद राहुक को कई बार मनाने की कोशिश की गई, लेकिन दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हुए. इसके बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बना दिया गया था. अभी भी कांग्रेस की कमान सोनिया के हाथों में ही है. ऐसे में एक बार फिर वही सवाल दोबारा खड़ा हो रहा है कि क्या राहुल गांधी अभी इस पद को अपनाने के लिए तैयार हैं या नहीं? इससे पहले ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में भी ये मुद्दा उठा था, जब बागी नेताओं ने आंतरिक चुनाव की मांग रख दी थी, तभी से कांग्रेेस के भीतर गतिरोध बना हुआ है.
फिलहाल कांग्रेस के सभी नेताओं ने एक मंच पर खड़े होकर मोदी सरकार को घेरने के लिए एकजुटता दिखाई है. हालांकि इसके साथ होना बैठक में सोनिया गांधी के नेतृत्व मेंं ही चार राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर भी चर्चा हुई. अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस हार पर चिंता जाहिर की. सोनिया ने कहा कि इस हार पर ध्यान देना होगा, अगर सच्चाई से मुंह फेरा तो सही सबक नहीं मिलेगा.