Politalks.News/Jammu/G-23Congress. हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए कांग्रेस के दिग्गज वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद की अध्यक्षता में शनिवार को कांग्रेस नेतृत्व से नाराज नेताओं की एक बैठक हुई. गांधी ग्लोबल फैमिली की इस बैठक में कांग्रेस के वे तमाम 23 नेता जुटे जिन्होंने बीती अगस्त में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. कांग्रेस को फिर से मजबूत बनाने के लिए हुई इस बैठक में आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी, राज बब्बर जैसे कांग्रेस के G-23 नेता शामिल हुए. इस दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि कांग्रेस पार्टी गुलाम नबी आजादी के अनुभव का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रही है? वहीं गुलाम नबी आजाद ने कहा कि, ‘मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं.’
जम्मू में हुई इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्यभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि, ‘आज सच बोलने का मौका है और आज सच ही बोलेंगे. सच्चाई ये है कि कांग्रेस पार्टी हमें कमजोर होती दिखाई दे रही है और इसलिए हम यहां इकट्ठा हुए हैं. हमें इकट्ठा होकर कांग्रेस पार्टी को मजबूत करना है.’ सिब्बल ने आगे कहा कि गांधी जी सच्चाई के रास्ते पर चलते थे, हमें इकट्ठा होकर इसे मजबूत करना है. हम नहीं चाहते थे कि गुलाम नबी आजाद साहब को संसद से आजादी मिले. पूछिए क्यों? क्यों कि मैं समझता हूं कि जबसे वह राजनीति में आए हैं कोई ऐसा मंत्रालय नहीं रहा, जिसमें वह मंत्री नहीं रहे. देश में कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसको वह जानते नहीं हैं. टेलिफोन पर जब किसी भी नेता को फोन करते थे, तो उनके यहां आकर बैठक करते थे.’ कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि, ‘मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इस अनुभव को कांग्रेस पार्टी इस्तेमाल क्यों नहीं कर पा रही है?’
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वहीं बैठक को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने खुले शब्दों में कह दिया है कि कोई हमें नहीं बता सकता कि हम कांग्रेसी हैं या नहीं. शर्मा ने कहा ‘जो कांग्रेस में हैं वे महात्मा गांधी की सोच को मानते हैं और उनके अंदर हिम्मत ना हो सच बोलने की ये कैसे हो सकता है. आनंद शर्मा ने कहा कि हममें से कोई ऊपर से खिड़की या रोशनदान से नहीं आया, सब दरवाजे से आए हैं, चलकर आए हैं और सभी छात्र आंदोलन से आए हैं. ऐसे में यह अधिकार मैंने किसी को नहीं दिया मेरे जीवन में की कोई बताए कि हम कांग्रेसी हैं कि नहीं. यह हक किसी का नहीं है. शर्मा ने कहा कि हम बता सकते हैं कांग्रेस क्या है और हम बनाएंगे कांग्रेस को.
वहीं बैठक में पहुंचे दिग्गज कांग्रेसी नेता और आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि,’ हम गांधी ग्लोबल फैमिली के बुलाये पर पहुंचे हैं ताकि गुलाम नबी आजाद का स्वागत किया जा सके. जब देश पर संकट है, ऐसे में आज जरूरत है गुलाम नबी आजाद की.’ इस दौरान केन्द्र पर निशाना साधते हुए तिवारी ने कहा कि, ‘सबसे बड़ी त्रासदी डेढ़ साल पहले साल हुई जब जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया गया. जम्मू कश्मीर को भारत का मुकुट माना गया है. जो लड़ाई 6 अगस्त 2019 को शुरू हुई थी तब तक जारी रहेगी जब तक जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलता. विभाजन की पीड़ा से हम वाकिफ हैं.’ मनीष तिवारी ने आगे कहा कि, ‘गुलाम नबी आजाद की जम्मू कश्मीर और भारत को जरूरत है. इस भारत के ख्याल को जिंदा रखना है तो वक्त आ गया है कि राष्ट्रवादी ताकतों को एक साथ होना होगा.’
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इस दौरान कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा कि, ‘लोग कहते है जी-23, मैं कहता हूं गांधी 23, जी-23 कांग्रेस की भलाई चाहती है, आजाद साहब की यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है आधी भी नहीं हुई है.’ वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि, ‘गुलाम नबी आजाद के राज्यसभा से जाने के बाद यहां मंच पर मौजूद सभी नेता जम्मू कश्मीर की जनता के साथ हैं. जब आजाद यहां के मुख्यमंत्री थे तो प्रदेश का स्वर्णिम युग था जो वापस आएगा. जम्मू कश्मीर के स्टेटेहूड, नौकरियां, सड़कों की बात हम संसद में उठाएंगे.’
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा “आज कई बरसों बाद हम राज्य का हिस्सा नहीं हैं, हमारी पहचान खत्म हो गई है. राज्य का दर्जा वापस पाने के लिए हमारी संसद के अंदर और बाहर लड़ाई जारी रहेगी. जब तब यहां चुने हुए नुमाइंदे मंत्री और मुख्यमंत्री नहीं होंगे बेरोज़गारी, सड़कों और स्कूलों की ये हालत जारी रहेगी.” आजाद ने कहा “मैं राज्यसभा से रिटायर हुआ हूं, राजनीति से रिटायर नहीं हुआ और मैं संसद से पहली बार रिटायर नहीं हुआ हूं.”
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समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार G-23 समूह के एक नेता ने कहा ‘जब दूसरी पार्टियां आजाद को सीट की पेशकश कर रही हैं, प्रधानमंत्री ने उनके बारे में इतना अच्छा कहा. हमारी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व ने उन्हें कोई सम्मान नहीं दिया.’ खास बात है कि कई वरिष्ठ नेताओं को पार्टी ने दरकिनार करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्षी का नेता बनाया है. पार्टी नेतृत्व के इस फैसले के चलते G-23 के नेताओं की नाराजगी और बढ़ गई है.