Shekhawat’s big attack on Congress: राजस्थान के 13 जिलों की ईआरसीपी योजना को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार पर कई बार योजना की अनदेखी के आरोप लगा चुके है. इसके साथ ही सीएम गहलोत ने इस योजना को लागू करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी एक समारोह में सार्वजनिक मंच से मांग की है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधायकों से चल रहे वन टू वन संवाद कार्यक्रम में भी विधायकों से ईआरसीपी को लेकर पीसीसी की तरफ से सवाल किया गया है. कांग्रेस विधायकों से पूछा गया है कि ईआरसीपी को मुद्दा बनाने के लिए आपने क्या किया? इस मामले को लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने कांग्रेस फीडबैक पेपर को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि ईआरसीपी पर खुद कांग्रेस ने अपनी गंदी राजनीति का खुलासा किया है.
ईआरसीपी को लेकर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस विधायकों के फीडबैक पेपर में ईआरसीपी को लेकर पूछे गए सवाल पर मंत्री शेखावत ने कहा कि ईआरसीपी पर खुद कांग्रेस ने ही अपनी गंदी राजनीति का खुलासा किया है.
शेखावत ने कांग्रेस के फीडबैक पेपर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं शुरुआत से कहता आ रहा हूं कि मुख्यमंत्री गहलोत ईआरसीपी की आड़ में घृणित राजनीति कर रहे हैं. अब इन्होंने अपने फीडबैक पेपर से इसका खुलासा भी कर दिया है. कांग्रेस के लिए ईआरसीपी योजना नहीं चुनावी मुद्दा है. मंत्री शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत बस किसी तरह से पीएम मोदी और केंद्र सरकार को बदनाम करने में लगे हैं. ये वो चिकने घड़े हैं, जिन पर पानी नहीं ठहरता है.
दरअसल, मंत्री शेखावत ईआरसीपी योजना पर शुरू से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर ईआरसीपी को लेकर लगातार भ्रम फैलाने का आरोप लगाते रहे हैं. मंत्री शेखावत कहते रहे हैं कि गहलोत सरकार ईआरसीपी को राजनीतिक हथियार के रूप में काम में लेना चाहती है. इन 13 जिलों नहीं, अपितु पूरे राजस्थान में जिस तरह की भ्रांति पैदा करने का प्रयास गहलोत सरकार ने किया, खुद गहलोत साहब ने खुद किया. पूर्वी राजस्थान में राज्य की करीब 40 प्रतिशत आबादी रहती है. इतनी बड़ी आबादी के हिसाब से ईआरसीपी परियोजना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है. केंद्र सरकार परियोजना पर राज्य सरकार को हर संभव मदद देने को तैयार है, लेकिन राज्य सरकार अर्नगल बातें बनाकर परियोजना को आगे बढ़ाना नहीं चाहती है.
ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के प्रावधानों पर केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पहले चरण में सीडब्ल्यूसी द्वारा तकनीकी स्वीकृति तभी दी जाती है, जब परियोजना को भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार 75 प्रतिशत निर्भरता पर नियोजित किया गया हो, जो सुनिश्चित करता है कि चार वर्षों में से कम से कम तीन वर्षों के दौरान हेडवर्क्स पर नियोजित पानी उपलब्ध हो, लेकिन गहलोत सरकार महज 50 प्रतिशत पर नियोजन करना चाहती है. इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने कई बार आपत्ति दर्ज कराई है, पर गहलोत सरकार इस मानक को पूरा करने के बजाय केंद्र को बदनाम करते हुए पूर्वी राजस्थान के साथ ही मध्यप्रदेश के लोगों के हितों पर भी कुठाराघात करने का काम कर रही है.
शेखावत ने यह भी कहा था कि ईआरसीपी को उन्होंने उन टॉप 5 प्राथमिकता वाले राष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स की सूची में शामिल किया, जिन पर भारत सरकार प्राथमिकता के साथ इंटरलिंकिंग ऑफ रिवर्स की योजना में काम करेगी.