Politalks.News/Uttarakhand. देश में अगले साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. देवभूमि उत्तराखंड में होने वाले आगामी चुनाव कांग्रेस सहित बीजेपी के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. बीजेपी द्वारा एक के बाद एक मुख्यमंत्रियों के बदलाव के बाद सत्ता में वापसी करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है. तो वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए पुनः अपनी जमीन तैयार कर रही है. वहीं देवभूमि में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी दिल्ली की ही तर्ज पर सत्ता हासिल करने की तयारी में जुटी हुई है. लेकिन देवभूमि में इस बार जो असल मुकाबला है वो कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही देखने को मिलेगा. दोनों पार्टियों के लिए ये चुनाव बहुत अहम है. इसलिए अब दोनों ही पार्टियों को अचानक से देवभूमि के दिगज्ज नेता रहे एनडी तिवारी की याद सताने लगी है.
जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तरखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं दिग्गज नेता एनडी तिवारी की. चुनाव के नजदीक आते ही दोनों ही राजनीतिक दल बीजेपी और कांग्रेस एनडी तिवारी को अपना नेता बताने में जुट गए हैं. कभी एक साथ एक ही पार्टी में रहने के बावजूद एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले हरीश रावत को एनडी तिवारी की याद सताने लगी है. चुनाव से पहले हरीश रावत चुनाव जीतने के लिए अपनी हर रणनीति को मुकाम पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. हरीश रावत यह अच्छे से जानते हैं कि प्रदेश में एनडी तिवारी एक महती भूमिका में रहे हैं और आज भी उनके समर्थकों में उनके लिए उतना ही सम्मान और आदर है. ऐसे में हरीश रावत कभी तो तिवारी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हैं तो कभी उनके गांव जाकर लोगों को सम्मानित करते हैं. अब हरीश रावत अपने ही अंदाज में उनके समर्थकों को अपने पक्ष में लाने में जुटे हैं.
इसके साथ ही हरीश रावत समय-समय पर बीजेपी पर एनडी तिवारी के नाम पर राजनीति करने का भी आरोप लगाते रहे हैं. हाल ही में अपने एक बयान में हरीश रावत ने कहा है कि ‘बीजेपी केसी पंत को भी कांग्रेस से अपनी पार्टी में लेकर गई थी, लेकिन केसी पंत की मौत कैसे हुई ये तक लोगों को नहीं पता. अब बीजेपी चुनाव हारने की कगार पर है, तो उसे दस्त लग गए हैं, वो एनडी तिवारी के नाम की गोली खाकर दस्त ठीक करने के मूड में है.’ हरीश रावत के इस बयान के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा गरम है कि अपने धुरविरोधियों की अचानक रावत को याद कैसे आने लगी. साथ ही कभी एक दूसरे को फूटी आंख ना सुहाने वाले नेताओं के सम्मान की भी फिकर होने लगी है.
अकेले हरीश रावत ही नहीं है जिन्हें एनडी तिवारी की याद सता रही है. रावत के अलावा कुछ दिन पहले ही सत्ताधारी पार्टी में कैबिनेट मंत्री रहे और कांग्रेस में वापसी करने वाले यशपाल आर्य ने भी एनडी तिवारी को लेकर पुष्कर सिंह धामी सरकार पर बड़ा हमला बोला है. आर्य ने बीजेपी पर एनडी तिवारी को लेकर कोरी राजनीति का आरोप लगाया. आपको बता दें कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए 2016 में ‘उत्तराखंड रत्न’ पुरस्कार की शुरुआत की थी, जिसके तहत तिवारी को भी सम्मानित किया गया था, लेकिन प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इस पुरस्कार को बंद कर दिया गया. लेकिन अब बीजेपी एनडी तिवारी को मरणोपरांत वही सम्मान दे रही है!
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तो वहीं बीजेपी भी कांग्रेस की तर्ज पर पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को भुनाने में जुट गई है. बीजेपी को पता है कि आगामी विधानसभा चुनाव उनके लिए जीतना आसान नहीं है. इसिलए बीजेपी ने प्रदेश के 21 साल पूरे होने पर एनडी तिवारी को ‘उत्तराखंड गौरव’ सम्मान देने का एलान किया है. साथ ही धामी सरकार ने तिवारी के ननिहाल को जाने वाली भद्यूनी गांव की सड़क को भी उनके नाम पर रखने की घोषणा की है. वहीं कांग्रेस द्वारा तिवारी के नाम पर राजनीति को लेकर कैबिनेट मंत्री बंशीधऱ भगत ने सवाल उठाये हैं. भगत ने भाजपा के कदम को सही ठहराते हुए कांग्रेस पर सवाल दागा कि वह किस मुंह से तिवारी के नाम पर सियासत कर सकती है!
बंशीधर भगत ने आगे कहा कि ‘जिस व्यक्ति का जीवन राजनीति में कट गया, उसको लेकर कोई भी घोषणा राजनीति से जुड़ी ही होगी, लेकिन कांग्रेस इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी. कांग्रेस ने एनडी तिवारी को जीवन के अंतिम क्षणों में वो सम्मान नहीं दिया जिसके वो हकदार थे.’ फ़िलहाल विधानसभा चुनाव में अब 4 महीनों से भी कम का समय बचा है. एनडी तिवारी के मरणोपरांत कांग्रेस बीजेपी दोनों अपने अपने तरीकों से तिवारी के समर्थकों को भुनाने में जुटी है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि तराई-भाबर और पहाड़ी इलाकों के कुछ हिस्सों में एनडी तिवारी का अच्छा खासा प्रभाव था. और इस बात को दोनों ही दल अच्छे से जानते हैं. यही कारण है कि दोनों दल तिवारी को खुद के करीब दिखाना चाहती हैं ताकि वोट बैंक का फायदा मिल सके.