Gurjar Movement Leader on Vijay Bainsla. गुर्जर आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं में फिर से एक बार दो फाड़ होते दिख रही है. हालांकि दोनों नेतृत्व दल ओबीसी विसंगतियों और सरकार के साथ समझौते लागू न होने पर गहलोत सरकार से नाराज चल रहे हैं. गुर्जर आंदोलन के स्थापना एवं नेतृत्वकर्ता रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन के बाद उनके सुपुत्र विजय सिंह बैंसला आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और बीते कुछ दिनों से सरकार को समझौता लागू न करने को लेकर कई धमकियां दे चुके हैं. इसी बीच रविवार को गुर्जर आंदोलन की पुरानी टीम ने फिर से सक्रिय होते हुए किसी नए नेतृत्व को स्वीकार करने से साफ तौर पर मना कर दिया.
कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथी रहे गुर्जर नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि कर्नल बैंसला की पगड़ी ही गुर्जर आंदोलन का नेतृत्व करेगी. इस टीम द्वारा विजय सिंह बैंसला को पूरी तरह नजर अंदाज किया जाना गुर्जर नेतृत्व में दो फाड़ का संकेत दे रहा है. बरहाल, पुरानी टीम ने भी सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए समझौते को लागू करने की मांग की है.
राजस्थान में कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन के बाद आंदोलन की पुरानी टीम ने फिर से सक्रिय होते हुए हुंकार भरी है. कर्नल किरोड़ी बैंसला की टीम में शामिल सभी नेताओं ने सरकार के साथ हुए समझौतों पर कोई कार्यवाही न होने से नाराजगी जाहिर की और गहलोत सरकार के खिलाफ हल्लाबोल की तैयारियों का संकेत दिया है. गुर्जर नेताओं ने कहा कि अगर सरकार अगले 15 दिनों में समझौता पूरा नहीं करती है तो गुर्जर समाज महापंचायत बुलाएगी. इससे पहले सरकार के विरोध की चेतावनी भी गुर्जरों द्वारा दी गई है.
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बिना किसी नेतृत्व के आंदोलन की रणनीति बनाने के सवाल पर कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के सहयोगी रहे गुर्जर नेता कैप्टन जगराम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कर्नल किरोड़ी बैंसला की पगड़ी ही हमारा नेतृत्व कर रही है. इसके साथ ही गुर्जरों के इस गुट ने साफ कर दिया है कि वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का विरोध नहीं करेंगे क्योंकि उनकी मांग गहलोत सरकार से है, न की राहुल गांधी से.
सरकार के साथ किए गए समझौते, जिनका गुर्जरों को पूरा होने का इंतजार
- गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान घायल हुये और बाद में मृतक व्यक्तियों मुख्यमंत्री सहायता कोष से 5-5 लाख रुपए की सहायता राशि, सरकारी नौकरी प्रदान करें.
- रीट 2018 के संबंध में अति पिछड़ा वर्ग के 5 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से शेष रहे 372 पदों पर नियुक्तियां दी जाए.
- आरक्षण आन्दोलन के दौरान वर्ष 2006 से 2020 तक दर्ज हुये मुकदमों में से शेष रहे मुकदमों का निस्तारण सरकार द्वारा एक महीने के अन्दर किया जाए.
- कांग्रेस पार्टी द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में किया गया वादा कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के समान पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग के बैकलॉग पदों को भरा जाए.
- एमबीसी वर्ग के 1252 अभ्यर्थियों को शीघ्र नियमित करने की कानूनी प्रक्रिया प्रारम्भ कर विभिन्न विभागों में नौकरी कर रहे एमबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को नियमित किया जाए.
- देवनारायण योजनाओं में हो रही घोर लापरवाही अनियमितताओं व भ्रष्टाचार की जांच समिति बनाकर की जायें तथा योजनाओं में आ रही कमियों जैसे पूरी छात्रवृत्तियां नहीं मिलना, आवासीय विद्यालयों का घटिया निर्माण, अध्यापकों का ना होना, गुरूकुल योजना में प्राईवेट स्कूलों द्वारा बच्चों को अच्छा खाना व स्कूल की सामग्री नहीं देना अन्य कमियों को पूरा किया जाए.
- राजस्थान की सभी भर्तीयों में एवं शिक्षा विभाग संशोधन अधिनियम 2021 के अन्तर्गत जोड़ी गयी न्यूनतम 40 प्रतिशत की बाध्यता को समाप्त किया जाये जिससे अति पिछड़े व कमजोर वर्गों को भर्तीयों का समुचित लाभ मिल सके.
- प्रक्रियाधीन भर्तीयों (वर्ष 2013, 2015, 2016 व 2010 के संबंध में सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट को समाज के प्रतिनिधियों से साझा की जाए. उचित निर्णय कर एम.बी.सी. अभ्यार्थियों को विभिन्न भर्तियों में लाभ दिया जाए.
- देवनारायण योजना के तहत जयपुर में छात्राओं एवं छात्रों के लिये अलग-अलग 200 कमरों को छात्रावास बनाया जाए.
- जिस भर्ती की राज्य लेवल पर परीक्षाएं कराई जाती है उनमें आरक्षण भी राज्य लेवल पर ही लागू किया जाये तथा जिला लेवर आरक्षण के नियम को समाप्त किया जाए ताकि अति पिछड़े वर्ग को पदो में पूरी हिस्सेदारी मिल सके.
- केन्द्र की से 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए.
इधर, विजय सिंह बैंसला की ओर से प्रतिक्रिया आना अभी शेष है. विजय बैंसला पहले ही सरकार को समझौते पर अल्टीमेटम दे चुके हैं कि वे राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को घुसने तक नहीं देंगे, जिस पर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित अन्य कांग्रेसी नेताओं ने तीखे तेवरों से साफ किया कि वे यात्रा के मुद्दे पर झुकने वाले नहीं हैं और जिसमें हिम्मत हो वो यात्रा को रोक कर दिखाए. हालांकि दोनों गुटों की अलग अलग प्रतिक्रिया से सरकार ने चैन की सांस तो जरूर ली होगी. लेकिन विजय सिंह बैंसला का अगला एक्शन लेने का इंतजार रहेगा.