Politalks.News/Rajasthan. देश और प्रदेश में बिजली संकट गहराता जा रहा है. कोयले की कमी के कारण प्रदेश में गहराए बिजली संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. बिजली संकट को लेकर गहलोत ने कहा कि, ‘आज जो संकट कोयले को लेकर आया है. उससे केंद्र राज्यों की मदद करे’. 600 करोड़ बकाया के मसले पर सीएम गहलोत ने कहा कि,’ये बात मायने नहीं रखती है ये एक बड़ा संकट है और केन्द्र सरकार को इसको लेकर राज्यों की मदद करनी चाहिए.’ गहलोत के बयान पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने पलटवार करते हुए कहा कि, ‘प्रदेश में बिजली संकट होने पर आप केन्द्र पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ नहीं झाड़
सकते हैं. प्रदेश में बिजली के अभूतपूर्व संकट के लिए आपकी सरकार का कुप्रबंधन पूर्णतः जिम्मेदार है’. देश प्रदेश में बिजली संकट पर राजनीति जारी है. लेकिन बिजली संकट का खामियाजा आमजनता और किसान भुगत रहे हैं. शहरों और ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती की जा रही है.
बिजली संकट है बड़ा केन्द्र सरकार करें कॉर्डिनेशन- गहलोत
बिजली संकट पर सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि, ‘देखिए ये कोई विवाद का विषय नहीं होना चाहिए, ये पूरे देश के अंदर, विशेष रूप से नॉर्थ इंडिया के अंदर बड़ा क्राइसिस है और हो सकता है क्राइसिस बढ़े आगे और केंद्र सरकार को पूरे राज्यों को को-ऑर्डिनेट करना चाहिए कि अधिकांश राज्य बिजली संकट को लेकर केंद्र सरकार को कन्वे कर चुके हैं, ये संकट कितना बड़ा होगा वो कोई नहीं कह सकता’. कोल इंडिया को नसीहत देते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘कोल इंडिया को चाहिए कि वो खुद आगे आए और राज्यों से बातचीत करे यह उसकी जिम्मेदारी है. क्या रिक्वायरमेंट है, क्या उनकी दिक्कत है क्योंकि नहीं मिल पा रहा कोयला’. सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘कोल माइन्स में पानी भर गया बरसात से, वो तो एक कारण हुआ. पर जहां तक मुझे जानकारी मिली है, कई जो प्लांट थे जो कॉन्ट्रेक्टर थे उनके, वो कॉन्ट्रेक्टर खुद ही फेल हो गए. तो ये क्राइसिस पूरी कंट्री में है, करीब-करीब काफी राज्यों में है और दिल्ली राजधानी है, वो तो आप देख रहे हो कि क्या हो रहा है, ब्लैकआउट होने तक की बातें होने लग गई हैं’,
‘दाम बढ़ने के बावजूद नहीं मिल रहा कोयला’
बिजली संकट पर निशाना साधते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘चीन में पूरा क्राइसिस है, यूरोप में क्राइसिस है. दुनिया के मुल्कों में कोयले के जो दाम लगातार बढ़ रहे हैं. दाम बढ़ने के बावजूद भी कोयला नहीं मिल रहा है. स्थिति बड़ी अजीबोगरीब बन रही है, सुनकर ही आश्चर्य होता है कि कोई कहे कि अगर मार्च तक ये कोल का संकट रहेगा, ये सुनकर ही हमें आश्चर्य होता है और दुःख होता है’.
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‘केन्द्र सरकार ले जिम्मेदारी, 600 करोड़ का बकाया है मामूली बात’
सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘ऐसे वक्त में केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है बहुत बड़ी कि तमाम राज्यों को संकट से निकाले’. केन्द्र द्वारा राज्यों के बकाया का मुद्दा उठाने पर सीएम गहलोत ने कहा कि, ‘500-600 करोड़ बकाया है, ये तो बहुत मामूली बातें हैं. जहां करोड़ों-अरबों रुपए का कोयला खरीदते हैं, वहां 600 करोड़ रुपए क्या मायने रखते हैं? इस प्रकार की खबरें देने का कोई फायदा नहीं है’.
‘कोल संकट से उभारना केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी’
सीएम गहलोत ने आशा जताते हुए कहा कि, ‘कोल संकट से उभारना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और मुझे उम्मीद है कि जो केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हैं, वो सक्षम हैं. मुझे उम्मीद है कि वो जिस प्रकार से को-ऑर्डिनेट कर रहे हैं राज्यों को बिजली को लेकर, वो कोई हल निकाल लेंगे’, सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार को आगाह किया कि, ‘राज्यों के ऊपर जिम्मेदारी डाल दें कि कोई कमी नहीं है कोयले की, ये कहना ही मैं समझता हूं कि पूरी तरह से बेईमानी है. कोयले की कमी है, सबको मालूम है, राज्य संकट में हैं और उस संकट से निकालने की जिम्मेदारी केंद्र की बनती है’.
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बिजली संकट पर केन्द्र पर आरोप लगाकर जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़े राज्य सरकार- राठौड़
इधर सीएम गहलोत द्वारा बिजली संकट से पल्ला झाड़ने और केन्द्र सरकार पर जिम्मेदारी डालने के बयान पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने पलटवार किया है. राठौड़ ने कहा, ‘मुख्यमंत्री जी, कोल इंडिया कंपनी के चेयरमैन के बयान से स्पष्ट है कि कोयला प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार कितनी गंभीर रही है. सरकार ने पूरे साल कोयला नहीं लिया और 600 करोड़ रुपये भी बकाया है. प्रदेश में बिजली संकट होने पर आप केन्द्र पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है’. राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘प्रदेश में हाहाकर मचने के बाद अब जाकर गहलोत सरकार आनन-फानन में अपने अफसरों को इधर-उधर भेजकर भागदौड़ कर रही है, प्रदेश में बिजली के अभूतपूर्व संकट के लिए आपकी सरकार का कुप्रबंधन पूर्णतः जिम्मेदार है’.
‘किसान और ग्रामीण जनता सबसे ज्यादा परेशान’
किसानों और ग्रामीण जनता के परेशान होने का हवाला देते हुए राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि, ‘पिछले 10 साल में पहली बार है जब गांवों में 8-10 घंटे बिजली कटौती होने से किसान सबसे ज्यादा परेशान है. एक तरफ किसान डीएपी खाद को लेकर घंटों लाइन में खड़ा रहने को मजबूर है वहीं बिजली संकट की सबसे ज्यादा मार भी किसान झेल रहा है. जबकि किसानों के लिए यह समय फसलों की बुवाई का होता है’.
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प्रदेश में गहराया बिजली संकट, कटौती जारी
गहराए संकट के बीच राजनीति जारी प्रदेश में बिजली संकट गहराया हुआ है. कोयले की कमी के चलते बिजली उत्पादन इकाइयों में उत्पादन ठप पड़ा है. बिजली कंपनियों के द्वारा सभी जिला मुख्यालयों और सभी नगरपालिका क्षेत्रों में दिन के समय 1 घंटे की बिजली कटौती की जा रही है. जबकि ग्रामीण इलाकों में 3 से 4 घंटे की कटौती की करने का फैसला लिया गया है. राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में बिजली कटौती की जा रही है.