Politalks.News/Rajasthan. वल्लभनगर और धरियावद उपचुनाव को लेकर प्रचार में भाषा के प्रयोग से राजस्थान की राजनीतिक गलियारे सन्न है. वल्लभनगर में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करने आए केन्द्रीय न्याय विधि राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने सीएम गहलोत के लिए अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया था. राजस्थान की राजनीति में सियासी बयानबाजी में अब तक अभद्र भाषा का प्रयोग देखने को नहीं मिलता था लेकिन कल बघेल ने सारी मर्यादा तोड़ दीं. केंद्रीय न्याय-विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दिए बयान को लेकर सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने उन पर पलटवार किया है. लोकेश शर्मा ने कहा कि, ‘मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए इस स्तर के शब्द बोल रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक है’.
घटिया और अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल कोरी पब्लिसिटी के लिए- शर्मा
केंद्रीय न्याय-विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर दिए बयान को लेकर सीएम के ओएसडी लोकेश शर्मा ने कहा है कि, ‘सीएम अशोक गहलोत के लिए इस स्तर के शब्द बोल रहे हैं, यह बेहद शर्मनाक हैं. लोकतंत्र में आलोचना का तात्पर्य अभद्रता और बेअदबी नहीं हैं’. शर्मा ने कहा कि, ‘घटिया और अमर्यादित शब्दों पर आमजन सोचे कि कोरी पब्लिसिटी पाने के लिए और कितना गिरेंगे’
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केन्द्रीय मंत्री बघेल ने सीएम गहलोत के खिलाफ उगला था ‘जहर’!
आपको बता दें कि, ‘केंद्रीय न्याय-विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बुधवार को वल्लभनगर के खरसान में भाजपा प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के दौरान सीएम गहलोत के लिए अमर्यादित शब्दों का प्रयोग किया था. बदजुबानी की सारी हदें पार करते हुए केंद्रीय न्याय-विधि राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘एक हजार झूठे जिस दिन मरे होंगे उस दिन अशोक गहलोत पैदा हुए होंगे’. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बघेल यहीं नहीं रूके, किसानों का सम्पूर्ण कर्जा माफी का चुनावी वादा पूरा करने की बात पर बघेल ने भाषा की मर्यादा की सारी सीमाएं लांघते हुए यहां तक कह डाला कि, ‘जिसकी बात में फर्क होता है, उसके बाप में फर्क होता है’.
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‘पार्टी विद द डिफरेंस’ वाली पार्टी के नेताओं पर कौन लगाएगा लगाम?
आपको याद होगा कि पॉलिटॉक्स न्यूज़ ने हाल ही में अपनी खबर में बताया था कि राजस्थान में भाजपा नेताओं की जुबान इन दिनों जहर उगल रही है. एक के बाद एक विवादित और अमर्यादित बयानों की झड़ी सी लगी हुई है. भारतीय जनता पार्टी में क्या ‘प्रधान’, क्या विधायक और क्या जिला प्रमुख सभी की जुबानें बेलगाम हो चली हैं. अब इसी कड़ी में केन्द्रीय मंत्री बघेल का नाम भी जुड़ गया है. ‘पार्टी विद दे डिफरेंस’ कहलाना पसंद करने वाली पार्टी भाजपा में क्या इन नेताओं की जुबान पर लगाम लगाने वाला कोई नहीं है? प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय संगठन में क्या इन बेलगाम बयानों को नोट करने या इनसे सवाल करने वाला कोई नहीं है क्या?