Politalks.News/Rajasthan/Gehlot. आठ दिन पहले राजस्थान की सियासत में आए सियायी उबाल में बीते चार दिन की चुप्पी के बाद बीते रोज रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान के बाद एक बार फिर गर्माहट आ गई है. सीएम गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों द्वारा विधायक दल की बैठक का बहिष्कार, 2020 में आए सियासी संकट, ऑब्जर्वर बनकर आए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन की भूमिका सहित बिना नाम लिए सचिन पायलट पर एक बार फिर जमकर निशाना साधा. सीएम गहलोत ने कहा कि कई बार फैसले ऐसे हो जाते हैं, कई कारण हो जाते हैं, मैं उन पर नहीं जाता, मुझे नहीं मालूम किस स्थिति में ये फैसला हुआ, मैं किसी को दोष नहीं देता. अशोक गहलोत ने कहा कि जब एक बार फैसला हुआ तो, ऑब्जर्वर तो आएंगे ही.
रविवार को गांधी जयंती के मौके पर शासन सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जब विधायक दल की बैठक बुलाकर एक लाइन का प्रस्ताव पारित करना होता है, तो ही ऑब्जर्वर आते हैं. लेकिन जब यह लगा कि मैं अध्यक्ष बन जाऊंगा तो नया CM आएगा. इससे 102 विधायक इस कदर भड़क गए कि उन्होंने किसी की नहीं मानी. उन्हें इतना क्या भय था? ऐसा क्यों हुआ, क्या कारण रहे, इस पर तो रिसर्च करना चाहिए. राजस्थान का केस अलग हो गया, यह तो हिस्ट्री में लिखा जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष के बिहाफ पर ही ऑब्जर्वर आते हैं और हम उनसे उसी ढंग से बिहेव करते हैं. ऑब्जर्वर एक बड़ी पोस्ट होती है, ऑब्जर्वर, कांग्रेस प्रेसीडेंट के तरफ से आते हैं. ऑब्जर्वर से हम लोग उसी ढंग से व्यवहार करते है, ऑब्जर्वर को भी चाहिए कि कांग्रेस प्रेसीडेंट की सोच और के हिसाब से काम करें, ताकि वह ऑरा बना रहे.
समर्थक विधायकों की बगावत को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विधायकों को इतना क्या भय था, यह उन्हें कैसे उन्हें मालूम पड़ा, मैं पता नहीं कर पाया, वो कैसे कर पाए? ऐसी नौबत क्यों आई, हमारे सब नेताओं को सोचना चाहिए कि क्या हुआ? सीएम गहलोत ने कहा कि हम सब में कमियां हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास करना चाहिए. हमारे लिए राजस्थान में सरकार बनाना जरूरी है. मैंने अगस्त में ही सोनिया गांधी से कह दिया था कि आप चाहें तो जो सरकार रिपीट कर सके, उसे CM बना दीजिए, मैं सीएम पद छोड़ दूंगा.
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यही नहीं इस पूरे सियासी कांड में खुद की ज़ीरो भूमिका को साबित करने के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आज के खास सिपहसालार और पीसीसी चीफ का बचाव करते हुए बताया कि हाईकमान का आदेश होने के बाद एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना हमारी परंपरा रही है. मैंने सोनिया गांधी से मिलकर कहा कि कांग्रेस विधायक दल का लीडर रहते मेरी जिम्मेदारी थी कि वह प्रस्ताव पारित करवाता, लेकिन वह नहीं हो पाया. खुद पीसाीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधायकों से जाकर कहा कि आप चलिए, एक लाइन का प्रस्ताव पारित करने का तो कायदा होता है. लेकिन विधायकों ने डोटासरा से कहा कि हमारे अभिभावक तो दिल्ली जा रहे हैं, हमें किसके भरोसे छोड़कर जा रहे हैं? सीएम गहलोत ने आगे कहा कि आप सोच सकते हो जिसने मेरी सरकार बचाई थी, ऐसे 102 विधायक थे, मैं कैसे उन्हें धोखा दे सकता हूं, इसलिए मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से माफी मांगना मंजूर किया, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का पार्टी में इतना योगदान रहा है। मुझे तो संकोच हो रहा था, मैं उन्हें जाकर क्या कहूंगा?
इसके साथ ही 2020 में आए सियासी संकट की याद ताजा करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि, ‘BJP तो हर वक्त सरकार को डिस्टर्ब करने की कोशिश करेगी, उसका बस चले तो सरकार गिरा दे. BJP इन विधायकों से मिली हुई थी. अमित शाह के पास बैठकें कर रहे थे, हमारे कुछ विधायक गए थे. अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, जफर इस्लाम, सब बैठकर बातचीत कर रहे थे. हमारे विधायकों को हंस-हंसकर मिठाई खिला रहे थे, कह रहे थे कि थोड़ा इंतजार करो. उस वक्त मेरे साथ रुके हुए विधायकों को होटल से निकलने के 10 करोड़ मिल रहे थे. उस समय जब गवर्नर ने असेंबली बुलाने की घोषणा कर दी ताे बीजेपी 58 करोड़ तक विधायकों को दे रही थी, लेकिन राजस्थान में इनका बस नहीं चला.
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आलाकमान को सख्त मेसेज देने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस बड़ी बयानबाजी के बाद कट्टर गहलोत समर्थक और मुख्यमंत्री के सलाहकार व निर्दलीय विधायक संयम लोढा ने प्रेशर बनाते हुए सरकार के गिरने सम्बंधित बड़ा बयान दिया. लोढ़ा ने सिरोही में एक ऐसा बयान दिया, जिससे कई तरह के मायने निकाले जाने लगे. संयम लोढ़ा ने एक सभा में मौजूद जनता से कहा कि उम्मीद करता हूं अगके सरकार बची रही तो बाकी विकास के काम भी कराएंगे.’