Politalks.News/Rajasthan. हाल ही में जारी हुई NCRB की रिपोर्ट के अनुसार महिला अपराध में राजस्थान पहले नंबर पर है. ऐसे में प्रदेश में खराब कानून व्यवस्था को लेकर पहले से हमलावर भाजपा को चुनावी साल शुरू होने से पहले एक और बड़ा मुद्दा मिला गया है. इसी बीच बढ़ते अपराधों के आरोप पर अपने बचाव में बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिए गए एक बयान के चलते राजस्थान से लेकर दिल्ली तक भाजपा नेताओं ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी ने सोशल मीडिया पर गहलोत की महिला विरोधी नीतियों को लेकर ट्रेंड अभियान चलाया जो शनिवार को पुरे देश में नंबर 1 पर रहा. सोशल मीडिया पर #महिलाविरोधीगहलोत के टैग के साथ बीजेपी नेता सीएम गहलोत पर निशाना साध रहे हैं. इस मौके पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि, ‘महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा ना कर पाने पर अशोक गहलोत को एक भी दिन कुर्सी पर रहने का अधिकार नहीं है.‘ वहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने सीएम गहलोत के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
आपको बता दें, गुरुवार को आई NCRB की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में पिछले साल की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जहां 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज हुए थे वहीं 2021 में 4,28,278 मामले दर्ज किए गए हैं. बलात्कार के दर्ज किए गए मुकदमों में राजस्थान देशभर में नंबर वन पर है. वहीं शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विवादित बयान देते हुए कहा कि, ‘राजस्थान में क्राइम कंट्रोल में है. रेप की घटनाएं कौन करता है, कोई विदेशी आता है क्या? अधिकांश घटनाएं परिवार के जान पहचान वाले करते हैं, उनके रिलेटिव करते हैं. परिवार के मिलने वाले होते हैं, जान पहचान वाले होते हैं. रिश्तेदार होते हैं. अधिकांश जगह वो ही करते हैं. जो मुकदमें दर्ज हैं उनमें से ज्यादातार मामलें लगभग 56% मामले फर्जी होते हैं.’ सीएम गहलोत के इस बयान पर बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस बयान के बाद भाजपा सीएम गहलोत और सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया पर #महिलाविरोधीगहलोत ट्रेंड चलाया है जो देश में नंबर 1 पर ट्रेंड कर रहा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनियां ने शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि, ‘राजस्थान के राजनैतिक इतिहास में सबसे बड़ी चुनौती मिली है और जो सबसे बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण और इस समय सोचने वाली और विवश करने वाली बात है वो राजस्थान की कानून व्यवस्था है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने उसको पुख्ता करते हुए जिस तरीके से महिला अपराधों का आंकड़ा बताया है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. वर्षभर में 6337 रेप के मामले, जिसका अनुपात प्रतिदिन 17 रेप के मामले, लेकिन इससे ज्यादा दुभाग्यपूर्ण है कि राजस्थान के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री का वह शर्मनाक बयान जिसमें उन्होंने कहा है कि 56 प्रतिशत मामले झूठे हैं. आंकड़ों पर मत जाइए लेकिन क्या उस घटना को झुठलाएंगे कि एम्बुलेंस के बाहर भूख से बिलखती महिला रोटी मांगती है और उसकी अस्मत लूट ली जाती है.’
सतीश पूनियां ने आगे कहा कि, ‘थाने में बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराने जाने वाली किसी पीड़ित महिला के साथ फिर से थाने में बलात्कार होता है, क्या इसको झुठला देंगे. मुझे लगता है कि हकीकत पर जाएंगे तो यह राजस्थान के लिए दुभाग्यापूर्ण है कि मुख्यमंत्री का बयान उस पर विपक्ष को आरोपित करना और ज्यादा हास्यास्पद है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर अन्तरद्वंद व अन्तरकलह और स्वयं की कुर्सी जाने की असुरक्षा ने उनको विचलित कर दिया. इसलिए बेहतर होता कि भरोसा देते कानून व्यवस्था को बहाल करने का, इस बात का भरोसा देते कि मैं कानून व्यवस्था को ठीक करूंगा, लेकिन विपक्ष को आरोपित करना, ये तो मुझे लगता है और भी ज्यादा गंभीर है. सीएम गहलोत को महिला अपराधों पर, महिलाओं की सुरक्षा ना कर पाने पर एक भी दिन कुर्सी पर रहने का अधिकार नहीं है. राजस्थान की शुचिता के लिए, राजनीति के लिए यह उचित होगा कि वो अपने पद से त्यागपत्र दे दें कि महिलाओं और बच्चियों को सुरक्षा देने में पूरी तरह से नाकाम रहे.’
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वहीं दिल्ली में आयोजित एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि, ‘हाल ही में एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस शासित राजस्थान भारत में बलात्कार के मामलों में नंबर एक पर है. 2021 में राजस्थान में 6,340 मामले थे. राजस्थान के सीएम से जब इस मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने महिलाओं के प्रति असंवेदनशील टिप्पणी की जो दुखद है.’ वहीं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि, ‘राजस्थान सरकार जब तक रेप की घटनाओं को सामान्य अपराध के नजरिए से देखती रहेगी, ये अमानवीयता नहीं रुकेगी. दुष्कर्मों की सूची में अब कोटा का भी प्रकरण जुड़ गया है. मुख्यमंत्री जी को समझना होगा कि लॉ एंड ऑर्डर की आलोचना के पीछे मकसद राजनीति नहीं आपको जगाना है ताकि समाज को असुरक्षित बना रही दरिंदगी रुके. आप किंकर्तव्यविमूढ़ क्यों हैं? समझ से परे है.