Politalks.News/Rajasthan. लंबी सियासी कलह के बाद प्रदेश में मंत्रिमंडल पुनर्गठन (Cabinet Reshuffle) के बाद माना जा रहा था कि हालात सामान्य होने लगे हैं. लेकिन अब मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे सिरोही से निर्दलीय विधायक और नवनियुक्त सीएम सलाहकार (CM advisor) संयम लोढ़ा (Sanyam Lodha) का दर्द जुबां पर आ गया है. सीएम सलाहकार लोढ़ा का हाल ही में किया गया एक ट्वीट प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का कारण बना हुआ है. सियासी जानकारों के कहना है कि अपनी बात को बेबाकी से रखने वाले विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर इशारों में बहुत कुछ कहा है. लोढ़ा ने ट्वीट कर बगावत करने वालों को मंत्री बनाने पर इशारों ही इशारों में कटाक्ष किया है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि सचिन पायलट कैंप (Sachin Pilot) के दखल के चलते लोढ़ा मंत्री बनते बनते रह गए थे. अब गाहे बगाहे लोढ़ा इस तरह के ट्वीट कर अपनी बात रखते रहते हैं.
…तो फिर चाहते हुए भी सीएम गहलोत नहीं बना पाए थे मंत्री
आपको बता दें कि संयम लोढ़ा पूर्व दिग्गज कांग्रेसी रहे हैं इस बार के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय चुनाव लड़े और शानदार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे. संयम लोढ़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास सिपहसालार माने जाते हैं, लेकिन चाहते हुए भी सीएम गहलोत उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं कर पाए थे. विधायक संयम लोढ़ा को मत्रिमंडल पुनर्गठन में जगह नहीं मिल पाई थी. सिरोही से निर्दलीय चुनाव जीते विधायक संयम लोढ़ा की नाराजगी दूर करने के लिए सीएम अशोक गहलोत ने सीएम सलाहकार बना दिया. लेकिन सीएम सलाहकार के पास मंत्रियों जैसी प्रशासनिक पावर नहीं है. ऐसे में अब संयम लोढ़ा के ट्वीट से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
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लोढ़ा का ट्वीट- चाहने वालों को नहीं मिलते चाहने वाले, मैंने हर दगाबाज के साथ महबूब देखे हैं..
सीएम गहलोत के सलाहकार एवं विधायक संयम लोढ़ा ने 16 जनवरी को ट्वीट किया है कि, ‘चाहने वालों को नहीं मिलते चाहने वाले, मैंने हर दगाबाज के साथ महबूब देखे हैं‘. विधायक ने इस ट्वीट में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी, रणदीप सुरजेवाला, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन को टैग किया है. विधायक लोढ़ा के इस ट्वीट से साफ है कि उनके मन में गहलोत सरकार को गिरने बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद मंत्री नहीं बनाए जाने का दर्द है.
सियासी कलह के दौरान सीएम गहलोत के साथ डटकर खड़े रहे थे लोढ़ा
आपको बता दें, जून 2020 में पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों द्वारा बगावत के चलते हुई सियासी कलह के दौरान सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा न केवल मुख्यमंत्री गहलोत के साथ लगातार उनके खेमे में डटे रहे बल्कि अन्य निर्दलीय विधायकों को भी गहलोत खेमे में रखने में अहम भूमिका निभाई थी. इस दौरान संयम लोढ़ा ने मानेसर जाने वाले कांग्रेस विधायकों को भी जमकर आड़े हाथ लिया. लेकिन अब जब गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों को मंत्री पद से नवाज दिया गया है, तो विधायक संयम लोढ़ा का ‘सालता’ दर्द जुंबा पर आ ही गया है.
पायलट कैंप के दखल के बाद लोढ़ा नहीं बन पाए थे मंत्री!
सियासी जानकारों का कहना है कि सियासी कलह के बाद जब मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर बैठकें हुई तो पायलट कैंप के दखल के बाद एक भी निर्दलीय विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया. इसके पीछे तर्क ये दिया गया था कि जब कांग्रेस पार्टी के पास पूरा बहुमत है तो निर्दलीय विधायक को क्यों मंत्री बनाया जाए. मंत्री बनाना ही है तो कांग्रेस पार्टी के विधायकों को बनाया जाए. जबकि निर्दलीय विधायकों ने गहलोत सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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सिर्फ नाम मात्र का है सीएम सलाहकार का पद
मंत्रिमंडल पुनर्गठन में मंत्री नहीं बना पाने पर सीएम गहलोत ने विधायक रामकेश मीणा, संयम लोढ़ा, दानिश अबरार, जितेंद्र सिंह और राजकुमार शर्मा को सीएम सलाहकार के पद से नवाजा था. ‘सीएम सलाहकार’ सुनने और कहने में भले अच्छा लगे लेकिन सीएम सलाहकारों के पास मंत्रियों जैसी प्रशासनिक पावर नहीं है. ये सिर्फ नाम मात्र के सलाहकार है. क्योंकि एक विधायक के तौर पर सीएम को सलाह तो दे सकते हैं. लेकिन सरकारी योजनाओं को लागू करने में मंत्रियों को मिलने वाली प्रशासनिक शक्तियां इनके पास नहीं है. सीएम सलाहकार पद का न तो सांविधानिक और ना ही कानूनी कोई अस्तित्व है.