Politalks.News/Punjab. पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में नई सियासी पारी पर अडिग हैं. मनाने पर भी नहीं मान रहे हैं. अमरिंदर ने कांग्रेस नेताओं के साथ किसी तरह की बातचीत से इनकार किया है. कैप्टन ने दो टूक कहा है कि, ‘अब तालमेल का वक्त नहीं बचा है. काफी सोच-विचार कर उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला लिया है और वो उस पर कायम हैं’. पंजाब के सियासी सिंह अमरिंदर सिंह ने फिर साफ कर दिया है कि कांग्रेस में नहीं रहेंगे और जल्द अपनी पार्टी बनाएंगे. कांग्रेस से पर्दे के पीछे बातचीत की खबरों को नकार दिया है. साथ ही सहयोग के लिए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का आभार जताते हुए कैप्टन ने कहा कि, ‘अब कांग्रेस में नहीं बने रह सकता’. कैप्टन की नाराजगी से कांग्रेस को नुकसान होना तय दिख रहा है. कैप्टन जीतेंगे नहीं लेकिन कांग्रेस का खेल जरुर बिगाड़ देंगे. अब इसको लेकर दिल्ली से चंडीगढ़ तक चिंता की लकीरें दिखने लगी है. सूत्रों का कहना है कि, ‘दिग्गज कांग्रेसियों ने कैप्टन से बात की है’
‘बीत चुका सुलह का समय’
‘कैप्टन’ सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने पूर्व सीएम का ट्विटर पर बयान जारी किया. इसमें कैप्टन ने कहा, ‘कांग्रेस से पर्दे के पीछे बातचीत की खबरें गलत हैं. सुलह का समय अब खत्म हो चुका है. मैं सोनिया गांधी के सहयोग के लिए उनका आभारी हूं, लेकिन अब कांग्रेस में नहीं रहूंगा’. यहां हम आपको बता दें कि अपनी पार्टी बनाने का ऐलान कर चुके कैप्टन ने फिलहाल कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है और ना ही कांग्रेस की ओर से उनके खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है.
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‘जल्द करूंगा पार्टी की घोषणा, बीजेपी और अकाली से अलग हुए जुटों से होगा समझौता’
कैप्टन ने आगे कहा है कि, ‘मैं जल्द ही अपनी पार्टी की घोषणा करूंगा और किसानों के मुद्दे के समाधान के बाद सीट बंटवारे पर बीजेपी और अकाली दल से अलग हुए गुटों के साथ समझौता करूंगा. मैं पंजाब और इसके किसानों के हित में मजबूत सामूहिक ताकत बनाना चाहता हूं’. नवजोत सिंह सिद्धू से लंबे समय तक टकराव के बाद कांग्रेस में अपमानित महसूस करने वाले कैप्टन ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
पंजाब से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस चिंतित
कैप्टन के तेवरों को देखते हुए पंजाब से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस की चिंता जरूर बढ़ी हुई है. कांग्रेस को अगले विधानसभा चुनाव में कैडर वोट बंटने का डर सता रहा है. कांग्रेस समझ चुकी है कि अमरिंदर भले ही न जीत सकें लेकिन उनकी जीत के लिए खतरा जरूर बनेंगे. कांग्रेस हर हालत में अमरिंदर को नई पार्टी बना चुनाव लड़ने से रोकना चाहती है, इसके लिए कांग्रेस के कुछ सीनियर नेताओं से उनकी मुलाकात और बात हुई है. सूत्रों का कहना है कि कैप्टन ने इन्हें भी स्पष्ट जवाब दे दिया है. अब पंजाब में कांग्रेस के हालात को देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व विकल्प की भी तलाश में है. खासकर, कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पारी से निपटने के लिए भी मंथन चल रहा है. कांग्रेस जल्द जिला प्रधानों की भी घोषणा कर सकती है. इससे संगठन को बांधकर रखने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए नवजोत सिद्धू को जल्द दिल्ली बुलाया जा सकता है.
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अमरिंदर के कांग्रेस से ‘तलाक’ के ये हैं बड़े नुकसान
‘कैप्टन’ की बगावत और पार्टी बनाते ही कांग्रेस में टूट के आसार हैं. बताया जा रहा है कि सिद्धू की ताजपोशी से कई बड़े नेता नाराज हैं. वह धीरे-धीरे कर कैप्टन के साथ जा सकते हैं. वहीं कांग्रेस का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस का पक्का वोट बैंक है. कैप्टन करीब 42 साल कांग्रेस में रहे है. 3 बार पंजाब प्रधान और 2 बार साढ़े 9 साल सीएम रहे. ऐसे में उनके अलग चुनाव लड़ने पर वोट बैंक बंटेगा. साथ ही बात की जाए भविष्य की तो कांग्रेस में टिकट बंटवारे के वक्त सबको संतुष्ट करना मुश्किल होगा, खासकर, कलह में फंसी पंजाब कांग्रेस के लिए हालात चुनौतीपूर्ण होंगे. ऐसे में बागी कांग्रेसी कैप्टन का दामन थाम कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं.