Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में पल पल बदलते सियासी समीकरण के बीच एक नया राजनीतिक मोड़ आ गया है. बीते दिन रविवार को बहुजन समाज पार्टी ने अपने सभी छह विधायकों को व्हिप जारी कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें ओर बढ़ा दी हैं. बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने व्हिप जारी करते हुए पार्टी के सभी 6 विधायकों को निर्देश दिया है कि अगर गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आता है, तो वो कांग्रेस के खिलाफ अपना वोट दें.
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने सभी 6 विधायकों को नोटिस जारी कर ये भी बताया है कि चूंकि बीएसपी एक राष्ट्रीय पार्टी है और दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1)(B) के तहत किसी राज्य में पूरी पार्टी का विलय असंवैधानिक है. पार्टी का कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है. साथ ही उन्होंने सभी विधायकों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी ने निर्देश की अवहेलना की, तो उस पर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. सतीश चंद्र मिश्रा ने आगे कहा कि यह सभी विधायक बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आए हैं, जो पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती द्वारा जारी किए गए थे. लिहाजा सभी 6 विधायक पार्टी के निर्देश मानने के लिए बाध्य हैं.
बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने सभी छह विधायकों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी भी विधायक ने निर्देश की अवहेलना की तो उस पर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी. मिश्रा ने आगे कहा कि यह सभी विधायक बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आए हैं. पार्टी व्हिप का पालन नहीं करने पर विधानसभा कि सदस्यता से बर्खास्तगी की कार्यवाही भी की जाएगी.
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बता दें, बीते साल 2019 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते विधायक राजेन्द्र गुढा, जोगेन्द्र अवाना, लाखन मीणा, दीपचंद खैरिया, वाजिब अली और संदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. इसको लेकर भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बीते दिनों हाइकोर्ट में याचिका भी दायर की है. इससे पहले विधायक मदन दिलावर ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को बसपा के विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर याचिका दी थी जिसे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने खारिज कर दिया था.
गौरतलब है कि बीते साल सितम्बर में बसपा के सभी छह विधायकों ने बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय कर लिया था. इन विधायकों ने देर रात कांग्रेस में विलय के लिए विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना विलय का पत्र सौंपा था, जिसे सीपी जोशी ने तत्काल मंजूरी दे दी थी. बसपा इस मामले में अब खुद भी अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है.
वहीं बसपा महासचिव सतीश मिश्रा की ओर से जारी किए गए व्हिप पर विधायक राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा की हमारा विलय कांग्रेस में हो चुका है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रति हमने विश्वास जताया है. हम किसी भी तरह के व्हिप को मानने को तैयार नहीं है. विधायक जोगिंदर सिंह अवाना व वाजिब अली ने कहा कि डेढ़ साल बाद बसपा लीडरशिप ने हमें याद किया है. इससे लगता है कि बसपा और भाजपा मिल गए है.
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बता दें, हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में भी इन सभी विधायकों कांग्रेस प्रत्याशी को वोट दिया था. बसपा ने उस समय भी विलय को अवैध बताते हुए निर्वाचन आयोग को शिकायत की थी, लेकिन आयोग ने मामले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया था. अब जबकि सियासी घमासान छिड़ा है तो पार्टी ने एक बार फिर से व्हिप जारी कर दिया है. अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1)(A) पर बहस छिड़ी है तो बसपा विधायकों को लेकर भी नया फैसला आ सकता है और गहलोत खेमे की मुश्किलें बढ सकती हैं.