Politalks.News/Rajasthan. गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन रविवार को हो चुका है, जिसमें अनुमान के विपरीत कांग्रेस ने गजब की एकजुटता का प्रदर्शन किया है. जादूगर की अनुभवी सोशल इंजीनियरिंग के आगे गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद सरकार गिरने का दावा करने वाली बीजेपी को गजब की मायूसी हाथ लगी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जहां बमंत्रिमंडल को लेकर हुए फैसलों का स्वागत किया है तो भाजपा का फोकस उन विधायकों के बयान पर है जो मंत्री नहीं बन पाए हैं. प्रदेश भाजपा के नेता अब अपने बयानों के जरिए ऐसे विधायकों की नाराजगी और सुलगाने में जुटे हैं. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़, विधायक व प्रवक्ता रामलाल शर्मा और वासुदेव देवनानी की ओर से जारी बयान तो यही इशारा कर रहे हैं.
यहां आपको याद दिला दें कि भाजपा के सभी दिग्गज गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन के मसले के लंबा खींचने पर एक ही दावा करते आ रहे थे कि जिस दिन गहलोत मंत्रिमंडल का पुनर्गठन होगा उसी दिन सरकार गिर जाएगी. बात करें वरिष्ठ दिग्गज भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया की तो, कटारिया पिछले 6 महीने से लगातार इस तरह का दावा करते आ रहे हैं. वहीं शांतिपूर्ण तरीके से हुए गहलोत मंत्रिमंडल पुनर्गठन के बाद भाजपा दिग्गजों को मायूसी ही हाथ लगी है. चलिए अब बात करते हैं मंत्रिमंडल पुनर्गठन को लेकर क्या कुछ कहा भाजपाई दिग्गजों ने.
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पूनियां ने परमार और जौहरी के कंधे पर रखी बंदूक!
राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कांग्रेसी दिग्गजों की बयानबाजी पर तंज कसा है. पूनिया ने ट्वीट में लिखा है कि, ‘मंत्रिमंडल के रुझान आने शुरू…देखते रहिए आज तक-इंतजार करिए कुछ दिन तक…‘ पूनियां ने अपने ट्वीट के साथ एक खबर भी पोस्ट की है जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस विधायक दयाराम परमार और जौहरी लाल मीणा से जुड़ी है. दयाराम परमार ने सीएम को पत्र लिख पूछा है कि सीएम गहलोत बताए की मंत्री बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए होती है. इधर अलवर से टीकाराम जूली के प्रमोशन के बाद विधायक आमने-सामने हो गए. राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधायक जौहरी लाल मीणा ने कैबिनेट में शामिल हुए टीकाराम जूली पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कह दिया कि तिजोरी की रखवाली चोर को नहीं दी जाती. उधर, टीकाराम ने भी पलटवार करते हुए कह दिया कि मुझे कोई सर्टिफिकेट न दे. कांग्रेस के दिग्गजों की बयानबाजी ने भाजपा को तंज कसने का मौका दे दिया है.
पहले कमियां गिनाने में थे लगे अब करेंगे दुरुस्त- राठौड़
वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि, ’13 जिले का मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. ऐसे में असंतुलित मंत्रिमंडल कब तक संतुलित होकर चलेगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा’. राठौड़ ने कहा कि,’बसपा से कांग्रेस में आए 5 विधायक और 11 निर्दलीय विधायकों को भी इस पुनर्गठन से निराशा ही हाथ लगी, जिन्होंने कांग्रेस सरकार को अपना समर्थन दे रखा था’. राठौड़ ने कहा कि,’नवनियुक्त मंत्रियों में वह भी शामिल हैं जो पिछले 3 वर्षों से अपने पत्र और वक्तव्यों के जरिए सरकार को घेरने और कमियां गिनाने में लगे थे. उम्मीद है अब वो सारी कमियों को दुरुस्त कर देंगे’. राठौड़ ने सियासी गलियारों में उठ रहे सवालों का मामला उठाया है. इस बार के मंत्रिमंडल पुनर्गठन में जातिगत समीकरण साधने में तो कांग्रेस कामयाब हो गई है लेकिन क्षेत्रीय समीकरण पू्री तरह से गड़बड़ाया हुआ है.
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देवनानी बोले- बांटी रेवड़ियां
इधर, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने मंत्रिमंडल पुनर्गठन को रेवड़िया बांटने की प्रक्रिया बताते हुए एक बयान जारी कर कहा कि, ‘सरकार बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन तो कर लिया, लेकिन इससे कांग्रेस में अंतर्कलह थमने के बजाय और बढ़ेगी’. देवनानी ने कहा कि,’मंत्रिमंडल विस्तार केवल रेवड़ियां बांटने के सिवाय और कुछ नहीं है’. देवनानी ने टीकाराम जूली को कैबिनेट मंत्री बनाने पर हुए विरोध और शपथ ग्रहण समारोह से कई विधायकों की दूरी को लेकर भी सवाल उठाया है. वहीं राज्यमंत्री बनाई गई जाहिदा खान के पति पर दुष्कर्म के आरोप के बारे में जानकारी देते हुए यह तक कह दिया कि,’ऐसे में कांग्रेस सरकार से महिलाओं की अस्मिता की रक्षा के लिए क्या अपेक्षा की जा सकती है’. देवनानी ने कहा कि,’सरकार में सलाहकार और संसदीय सचिव बनाने का निर्णय भी रेवड़ियां बांटने के समान ही है’.
असंतोष का खामियाजा भुगतेगा प्रदेश- रामलाल
भाजपा विधायक व प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने भी बयान जारी कर कहा है कि, ‘मंत्रिमंडल पुनर्गठन से वंचित रहे कांग्रेस विधायकों की भावनाओं को सुलगाना शुरू कर दिया है’. शर्मा ने कहा कि,’जिस प्रकार टीकाराम जूली के विरोध में कांग्रेस के विधायकों ने बोलना शुरू किया और बहुजन समाज पार्टी के कांग्रेस में शामिल हुए 6 में से एकमात्र विधायक को ही मंत्री बनाने और सरकार को समर्थन दे रहे किसी भी निर्दलीयों को मंत्री पद न देने से यह असंतोष और तेजी से बढ़ेगा. इसका खामियाजा प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ेगा’.