BJP ने बिहार (Bihar) में JDU नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पर काटने की तैयारी शुरू कर दी है. उसकी रणनीति है कि 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुख्यमंत्री बनना चाहिए. बिहार में नीतीश कुमार की अपनी हैसियत है. पहले उन्होंने राजद-कांग्रेस के सहयोग से मुख्यमंत्री संभाला था. अब वह भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री बने हुए हैं. BJP के रणनीतिकार मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में Article 370 हटने के बाद हिंदी भाषी राज्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और बढ़ी है, जिसके सहारे वह बिहार में भी अपनी सरकार बना सकती है.
बिहार में भाजपा हमेशा सहयोगी की भूमिका में ही रही है. उसे कभी भी अपना मुख्यमंत्री बनाने का मौका नहीं मिला. जहां मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा का अपना वजूद है, वहीं बिहार में उसकी स्थिति ऐसी नहीं है. मप्र और छत्तीसगढ़ में भाजपा लंबे समय तक निरंतर सरकार चला चुकी है, जबकि राजस्थान में हर विधानसभा चुनाव में सरकार बदल जाती है. इसके तहत वहां फिलहाल कांग्रेस की गहलोत सरकार है.
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बिहार में जदयू नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए हैं और उनकी स्थिति कमजोर नहीं है. पिछले लोकसभा चुनाव में तालमेल के तहत 17-17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें 16 सीटें जदयू ने और 17 सीटें भाजपा ने जीती थी. पिछले कुछ दिनों से बिहार के भाजपा नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने मांग उठा रहे हैं कि नीतीश कुमार को अब केंद्र में भूमिका निभानी चाहिए और बिहार में मुख्यमंत्री बने रहने का दावा छोडकर उन्हें भाजपा नेता को मुख्यमंत्री बनने में सहयोग देना चाहिए.
बिहार के एक अन्य नेता महाचंद्र सिंह (Mahachandra Singh) ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव में जदयू को इतनी सीटें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की लोकप्रियता के कारण मिली हैं. महाचंद्र प्रसाद सिंह हाल ही हिंदुस्तान आवाम पार्टी (Hindustan Awam Party) छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं. भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल (Prem Ranjan Patel) भी यह बात कह चुके हैं. इन नेताओं के बयानों पर JDU के नेता भी पलटवार करने से नहीं चूक रहे हैं. जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि संजय पासवान (Sanjay Paswan) का दिमाग खराब है, वह मानसिक रूप से बीमार हो चुके हैं. वहीं वरिष्ठ जदयू नेता केसी त्यागी (KC Tyagi) ने भी भाजपा नेताओं को सलाह दी है कि वे ऐसी बयानबाजी न करें, जिससे अगले विधानसभाओं में एनडीए की संभावनाओं को नुकसान पहुंचे.
जदयू की राजनीतिक मजबूरी है कि वह कुछ विवादास्पद मुद्दों पर भाजपा से दूरी बनाकर रखे. इनमें धारा 370 और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दे शामिल हैं. नीतीश कुमार को उम्मीद है कि भाजपा से दूरी बनाए रखने से विपक्षी महागठबंधन की पार्टियों के मतदाताओं का झुकाव उनकी तरफ बढ़ेगा, जिसका फायदा उन्हें विधानसभा चुनाव में मिलेगा, क्योंकि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस, राजद जैसी प्रमुख पार्टियों की स्थिति इस समय डांवाडोल चल रही है. इस स्थिति में कांग्रेस और राजद के मतदाता जदयू को समर्थन दे सकते हैं.
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केंद्र में मोदी के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद भाजपा और जदयू में मतभेदों की खबरें आई थी. इसके बाद से विपक्षी पार्टियों का झुकाव भी नीतीश कुमार की तरफ बढ़ रहा है. राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) कह चुके हैं कि नीतीश कुमार अगर भाजपा से नाता तोड़ते हैं तो उनका महागठबंधन में स्वागत है. यह नीतीश कुमार की घर वापसी ही होगी. कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह (Akhilesh Prasad Singh) और प्रेम चंद्र मिश्रा (Prem Chand Mishra) भी नीतीश कुमार से भाजपा का साथ छोड़ने की अपील कर चुके हैं.