Varun Gandhi on Geetapress: एक जमाने में बीजेपी के हिंदुत्व का फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले वरुण गांधी एक बार फिर सत्ता की पिच पर बीजेपी की ओर से खेलते हुए दिखाई दे रहे हैं. गीता प्रेस मामले में उन्होंने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए मोदी सरकार द्वारा गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का समर्थन किया है. उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी के लोकसभा सांसद वरुण गांधी ने संस्थान को पुरस्कार दिए जाने पर कांग्रेस नेताओं द्वारा की जाने वाली आलोचना को गलत बताया. वरुण ने कहा कि अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार बनती है.
दरअसल, गीता प्रेस गोरखपुर को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है. 100 वर्ष पुरानी गीता प्रेस प्रबंधन ने पुरस्कार की एक करोड़ रुप्ए की राशि को ग्रहण करने से इनकार कर दिया है. हालांकि पुरस्कार लेने पर सहमति जताई है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया है. उन्होंने कहा गीता प्रेस को पुरस्कार देना वैसे ही है जैसे सावरकर और गोडसे को देना है.
यह भी पढ़ें: गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने पर विवाद- कांग्रेस विरोध के बाद संस्था का पुरस्कार राशि लेने से इनकार
इस पर बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने का समर्थन करते हुए कहा है कि गीताप्रेस सिर्फ एक प्रकाशक नहीं, एक संपूर्ण आंदोलन है. वरुण गांधी ने एक दूसरे की आस्था के परस्पर सम्मान को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पहचान बताते हुए गीता प्रेस की आलोचना करने वालों पर बिना नाम लिए निशाना साधते हुए यह भी जोड़ा कि अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार बनती है.
बीजेपी सांसद ने सोशल मीडिया पर अपने विचार शेयर करते हुए लिखा, ‘वरुण गांधी ने ट्वीट कर कहा, गीताप्रेस सिर्फ एक प्रकाशक नहीं, एक संपूर्ण आंदोलन है, जिसने गरीब से गरीब परिवार को उनके धर्म से उच्चस्तरीय भाषा में लिखी त्रुटिहीन पुस्तकों के माध्यम से जोड़ा. अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार बनती है.’
एक दूसरे की आस्था का परस्पर सम्मान ही एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की पहचान है।
गीताप्रेस सिर्फ एक प्रकाशक नहीं, एक संपूर्ण आंदोलन है। जिसने गरीब से गरीब परिवार को उनके धर्म से उच्चस्तरीय भाषा में लिखी त्रुटिहीन पुस्तकों के माध्यम से जोड़ा।
अकारण आलोचना नकारात्मकता का आधार बनती है।
— Varun Gandhi (@varungandhi80) June 20, 2023
एक जमाने में वरुण गांधी को बीजेपी में हिंदुत्व का फायर ब्रांड नेता कहा जाता था, लेकिन किसान आंदोलन और अन्य कई विषयों पर वरुण गांधी ने अपनी ही सरकार से अलग लाइन लेकर कई तरह के सवालों को खड़ा कर दिया था. इसके बाद बीते कुछ महीनों में सियासी गलियारों में यही सवाल उठ रहे थे कि अब बीजेपी और वरुण गांधी का रिश्ता कुछ ही दिनों का शेष है. यहां तक कि उनके आगामी आम चुनावों में टिकट को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे थे, लेकिन गीता प्रेस मामले में सरकार के साथ खड़े होकर वरुण गांधी ने अपनी तरफ से स्पष्ट तौर पर एक राजनीतिक संदेश दे दिया है.
गौरतलब है कि हाल में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध करते हुए एक ट्वीट किया है, जिसका जमकर विरोध हो रहा है. जयराम रमेश ने कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना वैसे ही है जैसे सावरकर और गोडसे को देना है. बताया यह भी जा रहा है कि जयराम रमेश की इस प्रतिक्रिया से कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता नाराज हैं. उन्होंने गीता प्रेस को लेकर जयराम रमेश के बयान को गैर जरूरी बताया है. उनके अनुसार, हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार में गीता प्रेस की बड़ी भूमिका रही है. ऐसे में उन्हें ऐसा बयान देने से पहले अंदरूनी चर्चा करनी चाहिए थी. इधर, शीर्ष कांग्रेसियों ने इस मामले में अभी तक चुप्पी साधी हुई है.