पॉलिटॉक्स ब्यूरो. केन्द्र की मोदी सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियों व गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने के खिलाफ शुक्रवार को प्रदेश कांग्रेस के हल्लाबोल कार्यक्रम पर पलटवार करते हुए प्रदेश भाजपा ने फ्लॉप शो करार दिया. कांग्रेस के प्रदर्शन पर राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ.सतीश पूनिया ने गहलोत सरकार को अपनी नीतियों को सुधारने की सलाह दी. पूनिया ने कहा कि इस प्रदर्शन में कांग्रेस सरकार ने सरकारी मशीनरी, अधिकारी, कर्मचारियों को पांबद किया, इसके बावजूद भीड़ नहीं आई. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने ये भी कहा कि जो वादे कांग्रेस सरकार ने चुनाव में जनता से किए थे, उन्हें पूरा करना चाहिए. सतीश पूनिया ने निशाना साधते हुए कहा कि गहलोत ने अपने भाषण में प्रदेश की मीडिया को बिकाऊ बताते हुए पत्रकारों को कर्मचारी कहकर उनका मजाक उड़ाया है. एक मुख्यमंत्री को यह शोभा नहीं देता. पूनिया ने किसानों को कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता और सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं दिए जाने के आरोप भी गहलोत सरकार पर लगाए. (Rajendra Rathore)
इसी क्रम में भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) ने कहा, ‘ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि कोई सीएम अपने ही प्रदेश में राज्यपाल को ज्ञापन देने पहुंचा हो’. राठौड़ ने कहा कि गहलोत जब पांच साल सत्ता से बाहर थे, तब दर्जनभर बार सचिन पायलट के नेतृत्व में प्रदेश में धरने प्रदर्शन किए गए जिनमें से एक भी आंदोलन में गहलोत ने भाग नहीं लिया. उप नेता प्रतिपक्ष (Rajendra Rathore) ने गहलोत सरकार पर पंचायतों का पैसा रोकने का आरोप भी लगाया.
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वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अरूण चतुर्वेदी ने कांग्रेस के हल्ला बोल कार्यक्रम को फ्लॉप शो बताया. चतुर्वेदी ने कहा कि पूरी सरकार लगने के बाद भी प्रदेशभर से कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को बुलाने के बाद भी हजार कार्यकर्ता तक नहीं जुटा सके. गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने पर विधवा विलाप कर रही है. इस परिवार ने 600 बार बिना सुरक्षा यात्रा कर एसपीजी का मजाक उड़ाया है.
कांग्रेस के हल्लाबोल प्रदर्शन से पहले विधानसभा में दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कांग्रेस पर बाड़ेबंदी कर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप जड़ा. संविधान दिवस पर बोलते हुए कटारिया ने अपने अभिभाषण में गहलोत सरकार पर हमला करते हुए कहा कि धनबल के आधार पर कंडीडेट तय होते हैं. चेयरमैन के चुनावों के बीच सात दिन का फासला रखा गया. इसी वजह से बाडेबंदी करो, धर्म परिवर्तन कराओ और राजनीति करो. इतनी निम्न स्तर की राजनीति चलेगी तो संविधान कैसे चलेगा.
वहीं पिछली बीजेपी सरकार में शिक्षामंत्री रहे वासुदेव देवनानी ने कहा कि अशोक गहलोत को संघ और मोदी फोबिया हो गया है. उन्होंने कहा कि सीएम को संविधान और संविधान की प्रगति पर भाषण पढ़ना चाहिए था जबकि वे संघ और मोदी के खिलाफ बोलने में ही पूरा भाषण खत्म कर दिया. देवदानी ने गहलोत सरकार और कांग्रेस नेताओं पर संविधान का सम्मान नहीं करने का आरोप मढ़ते हुए कहा कि ऐसे सीएम को पीएम के खिलाफ बोलने का कोई अधिकार नहीं है.