बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल काफी गरम है. दिवाली से पहले चुनावों की तारीखों का ऐलान संभव है. 74 वर्ष के हो चुके नीतीश कुमार की भी यह अंतिम राजनीतिक पारी मानी जा रही है. इस गहमा गहर्मियों के बीच बिहार की सियासी बयार भी बदलती नजर आ रही है. वजह है बिहार चुनावों का एक सर्वे, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. इस चुनाव पूर्व सर्वे ने जहां तेजस्वी यादव और राहुल गांधी को जहां खुश होने का मौका दे दिया, वहीं नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनाव लड़ रही एनडीए की टेंशन बढ़ा सकती है.
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लोक पोल (Lok Poll) के सर्वे के अनुसार, बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से महागठबंधन (MGB) को 118 से 126 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) 105 से 114 सीटों तक सिमट सकता है. स्पष्ट तौर पर कहा जाए तो महागठबंधन बहुमत के एकदम पास है, जबकि एनडीए भी ज्यादा दूर नहीं है. हालांकि गठबंधन बढ़ पर है. वहीं अन्य पार्टियों को 2 से 5 सीटें मिलने की संभावना है. इस सर्वे को देखकर सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश कुमार की तमाम चुनावी रेवड़ियां फेल हो रही हैं? क्या राहुल गांधी का जादू इस बार बिहार पर चढ़ गया है या फिर बिहार की जनता तेजस्वी जैसे युवा चेहरे पर भरोसा करने लगी है.

सर्वें के अनुसार, वोट शेयर की बात करें तो महागठबंधन को 39% से 42% वोट मिलने का अनुमान है, जबकि एनडीए को 38% से 41% वोट मिल सकते हैं. वैसे तो यह अंतर बेहद मामूली है, लेकिन सीटों की संख्या में महागठबंधन का बढ़त लेना तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ा नैरेटिव सेट कर रहा है.
सर्वे में यह भी बताया गया है कि राहुल गांधी की वोटर अधीकार यात्रा और एनडीए नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों ने वोटरों के मन में बदलाव लाया है. युवा और पहली बार वोट डालने वाले मतदाता महागठबंधन की ओर ज्यादा झुकाव दिखा रहे हैं. इसमें एक बड़ा वर्ग तेजस्वी यादव की ‘नौकरी देने वाली सरकार’ के वादे से प्रभावित हैं.
दो दशकों से नीतीश सरकार है सत्ता में
बिहार की राजनीति लंबे समय से जाति, वर्ग, और क्षेत्रीय समीकरणों पर आधारित रही है. नीतीश कुमार ने 2005 से इन समीकरणों को संतुलित करके अपनी सरकार बनाई है, लेकिन 2025 के चुनाव में ये समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. लोक पोल के सर्वे में यह सामने आया है कि युवा वोटर और महिलाएं इस बार महागठबंधन की ओर ज्यादा झुकाव दिखा रहे हैं. राहुल गांधी की वोटर अधीकार यात्रा ने भी महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाया है.
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वहीं, NDA की ओर से बीजेपी और जेडीयू के बीच समन्वय की कमी भी वोटरों को प्रभावित कर रही है. नीतीश कुमार की बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति ने उनकी विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचाया है. इसके उलट तेजस्वी यादव ने ‘जंगल राज’ के आरोपों का जवाब देते हुए विकास और नौकरी के एजेंडे पर फोकस किया है, जो वोटरों को आकर्षित कर रहा है. इस बार भी मुकाबला कांटे का है. अब देखना ये है कि लोक पोल का ये सर्वे कितना सटीक साबित होता है.



























