बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद प्रदेश की राजनीति में सबसे बड़ा सवाल उमड़ रहा है. जनता से लेकर राजनीतिक हलकों तक एक ही चर्चा है. वो है – कौन होगा राज्य का अगला मुख्यमंत्री? क्या नीतीश कुमार एक बार फिर सीएम बनेंगे? अगर नीतीश कुमार सीएम बनते हैं तो ‘सुशासन बाबू’ रिकॉर्ड 10वीं बार प्रदेश की सत्ता की कुर्सी संभालेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो 20 साल बाद राज्य को नया मुख्यमंत्री मिलेगा. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार तस्वीर बदल सकती है. इस बार मुख्यमंत्री का पद भारतीय जनता पार्टी के खाते में जा सकता है, जबकि जदयू के पाले में जनता दल (यूनाइटेड) के पाले में जा सकता है. कुछ विषय विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि इस बार राज्य में दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं. चिराग पासवान की एलजेपी को दूसरा डिप्टी सीएम का पद मिल सकता है.
वहीं सोशल मीडिया के ट्रेंड कुछ और ही संकेत दे रहे हैं. वहां अभी भी बड़ी संख्या में लोग मान रहे हैं कि सीएम नीतीश कुमार ही होंगे. इस अटकल को कमजोर करने वाली एक अहम बात ये है कि पूरे चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने एक भी बार नीतीश को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित नहीं किया.
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उधर, बीजेपी की हालिया राजनीति को देखते हुए ‘चौंकाने वाले फैसले’ अब कोई नई बात नहीं. चिराग पासवान को उप मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा भी जोर पकड़ रही है लेकिन राजनीतिक तौर पर इसे कम संभावित माना जा रहा है. कारण — चिराग पासवान फिलहाल केंद्र की राजनीति में मजबूत स्थिति में हैं और मंत्री बनने के बाद उनका दिल्ली से हटकर बिहार की ओर लौटना फिलहाल मुश्किल माना जा रहा है.
नीतीश के स्वास्थ्य को देखते हुए भी किसी अन्य का मुख्यमंत्री बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. नीतीश अपने सुपुत्र निशांत कुमार को भी पार्टी की बागड़ोर सौंपना चाह रह हैं लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को ये कुबूल नहीं है और न ही बीजेपी निशांत को सीएम पद ऐसे ही सौंपने देगी. चिराग पासवान के मुख्यमंत्री बनने की अभी कोई संभावना दूर दूर तक नहीं है. वो भी जब, तब बीजेपी 89 सीटों के साथ राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गयी है. नीतीश से दूरी भी मुनासिब नहीं क्योंकि नीतीश भी 85 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर हैं और उनके बिना एनडीए का बहुमत में आना संभव नहीं है. नीतीश का सीएम बनने के लिए महागठबंधन से हाथ मिलने की संभावना भी खत्म है क्योंकि महागठबंधन के पास केवल 35 सीटें हैं और दोनों को मिलकर बहुमत जुटाना नामुमकिन होगा.
खैर, जो भी हो, मुख्यमंत्री पद के भावी उम्मीदवार का फैसला आने वाले दो से तीन दिन में हो जाएगा. कई नेताओं की दिल्ली में लॉबिंग लगातार जारी है. नीतीश भी तसल्ली के साथ आने वाले फैसले का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि ये कहना भी गलत न होगा कि नीतीश का पलड़ा सबमें भारी है, फिर भी राजनीति के भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, इसके भांपना भी किसी के लिए आसान नहीं है.



























