बिहार चुनाव: 5 हाई प्रोफाइल सीटें, जहां बागी कर सकते हैं खेला

बिहार विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़ाया एनडीए और महागठबंधन का बीपी, नाराज बागियों से वोट बैंक में सेंध लगने की आशंका, मान मनुहार में जुटे करीबी

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बिहार विधानसभा चुनाव में जैसे-जैसे वोटिंग की तारीख जैसे जैसे करीब आ रही है, सियासी समीकरण उतने ही उलझते जा रहे हैं. जहां एक ओर एनडीए और महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों की पूरी फौज उतार दी है, वहीं प्रदेश की 5 हाई प्रोफाइल सीटों पर बागी उम्मीदवारों ने दोनों गठबंधनों की नींद उड़ाई हुई है. निर्दलीय बनकर उतरे कई बागी, पूर्व विधायक, स्थानीय नेता और जातीय आधार पर मजबूत चेहरे इस बार बिना पार्टी चिह्न के मैदान में हैं और ‘खेला’ करने के मूड में हैं. वजह है कि बिहार चुनाव से पहले लगभग सभी दलों में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष बढ़ा है. ऐसे में इन उम्मीदवारों ने उक्त सीटों पर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.

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  1. मधेपुरा: दो निर्दलीयों के कूदने से बढ़ा रोमांच

मधेपुरा विधानसभा सीट पर राजद के चंद्रशेखर यादव और जदयू के उमेश मंडल के बीच परंपरागत मुकाबले में निर्दलीय प्रणव प्रकाश और अजय रंजन ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. प्रणव प्रकाश शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम हैं और खुद IT कंपनी में बड़े ओहदे पे काम कर चुके हैं. वहीं अजय रंजन पूर्व सांसद शरद यादव के करीबी माने जाते हैं. पप्पू यादव गुट का समर्थन मिलने से उनका जनाधार मजबूत हुआ है. मधेपुरा में यादव-मुसहर-महादलित वोटों का बंटवारा तय है. ये दोनों बड़े नाम राजद और जदयू के वोट काटने का काम भी बखूबी कर रहे हैं.

2. वैशाली: निर्दलीय विजय मंडल तय करेंगे हार-जीत

वैशाली में राजद और कांग्रेस दोनों गठबंधन के उम्मीदवारों की मौजूदगी से पहले ही उलझन भरी थी. अब निर्दलीय विजय मंडल मैदान में हैं. उन्हें पप्पू यादव का अप्रत्यक्ष समर्थन भी मिल रहा है. विजय मंडल यादव एवं अति पिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ रखते हैं. ऐसे में राजद और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवारों की हार जीत का फैसला विजय मंडल के प्रदर्शन पर निर्भर होते दिख रहा है.

3. मुजफ्फरपुर: बीजेपी-कांग्रेस दोनों को सेंध का डर

मुजफ्फरपुर सीट पर एनडीए और राजद दोनों को उनके वोट बैंक में सेंध लगने का डर है. कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद पूर्व पार्टी जिलाध्यक्ष डॉ.अमरेश चौधरी निर्दलीय मैदान में हैं. चौधरी इलाके में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कामों के लिए लोकप्रिय हैं. वहीं बीजेपी के अजय निषाद को इस बार बगावत का सामना करना पड़ रहा है. उनके करीबी माने जाने वाले नेता शंभू पटेल ने टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. पटेल का निषाद और कुर्मी समुदाय में गहरा प्रभाव है. एनडीए को डर है कि उनके वोट कटने से विपक्ष को बढ़त मिल सकती है.

4. औरंगाबाद: बीजेपी का बीपी बढ़ा रहे सुशील

औरंगाबाद विधानसभा सीट बीजेपी की मजबूत सीट मानी जा रही थी लेकिन अब मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. यहां रिटायर्ड कर्नल सुशील कुमार सिंह निर्दलीय के रूप में प्रचार में साफ छवि और राष्ट्रवाद के मुद्दे उठा रहे हैं. युवा वोटरों में उन्हें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. सुशील जीते या न जीते लेकिन बीजेपी को नुकसान होना तय है.

5. बक्सरः सोशल मीडिया से टक्कर दे रहे संदीप

भारतीय जनता पार्टी से जुड़े संदीप सिंह टिकट न मिलने पर निर्दलीय बक्सर विधानसभा सीट से ताल ठोक रहे हैं. उनका प्रचार सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड कर रहा है. संदीप एबीवीपी के छात्र नेता रह चुके हैं और युवाओं में उनकी अच्छी खासी पैठ है. संदीप युवा रोजगार और शिक्षा के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि उनकी युवा छवि बीजेपी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा रही है.

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