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पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीएम व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को लताड़ लगाई है. अदालत ने ममता के अलावा तीन अन्य लोगों पर गवर्नर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पर रोक लगाई है. कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार मनमाना नहीं है. बोलने की आजादी की आड़ में अपमानजनक बयान देकर किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा धूमिल नहीं कर सकते. अदालत के फैसले पर एक ओर राज्यपाल बोस ने खुशी जताई है, वहीं ममता के वकील ने कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश को हायर बेंच के सामने चुनौती देंगे.

दरअसल गवर्नर आनंद बोस ने अपनी आलोचना पर 28 जून को सीएम ममता बनर्जी, टीएमसी नेता कुणाल घोष और और दो विधायकों सयंतिका बनर्जी व रेयात हुसैन सरकार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. इस पर जस्टिस कृष्ण राव ने अपने आदेश पर कहा कि अगर इस स्टेज पर अंतरिम आदेश नहीं दिया गया, तो आरोपियों को बयानबाजी जारी रखने की छूट मिल जाएगी.

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जस्टिस कृष्ण राव ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक पद पर हैं. वे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सीएम ममता की तरफ से किए जा रहे व्यक्तिगत हमलों का जवाब नहीं दे सकते. हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी. तब तक किसी पब्लिकेशन या सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के जरिए गवर्नर के खिलाफ अपमानजनक या गलत बयानबाजी नहीं की जाएगी.

मैंने उन्हें हमेशा सम्मान देने की कोशिश की – गवर्नर

हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए राज्यपाल आनंद बोस ने कहा, ‘मैंने ममता बनर्जी को हमेशा सम्मान देने की कोशिश की है. हालांकि, उन्होंने जो टिप्पणी की, मुझसे उसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी. मैं सिर्फ यही कहूंगा कि नफरत की इस राजनीति को रोकना चाहिए. अगर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच तनाव भरे संबंध होंगे, तो नुकसान लोगों को होगा.’

वहीं ममता के वकील ने संजय बासु ने कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश को हाईअर बेंच के सामने चुनौती देंगे. संजय बासु ​​​​​के मुताबिक, ​’मुख्यमंत्री को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, जिसकी गारंटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत दी गई है. एक जन प्रतिनिधि और एक महिला के रूप में वह अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती हैं. वह महिलाओं की पीड़ा और शिकायतों से बेखबर नहीं रह सकती हैं.’

यौन शोषण के आरोपों से जुड़ा मामला

पूरा विवाद बंगाल गवर्नर पर लगे यौन शोषण के आरोपों और पिछले महीने दो पार्टी विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह स्थल को लेकर विवाद से जुड़ा है. ममता ने नए दो विधायकों का शपथ ग्रहण विधानसभा में कराने की मांग की, जबकि राज्यपाल राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने के पक्ष में थे. इस पर ममता ने बंगाल गवर्नर पर लगे यौन शोषण के आरोपों के बाद 27 जून को कहा कि महिलाएं राजभवन जाने से डरती हैं. ममता की इस टिप्पणी पर गवर्नर आनंद बोस ने 28 जून को ममता सहित चार लोगों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था. 15 जुलाई को जब मामले की सुनवाई हुई तब ममता बनर्जी अपने बयान पर कायम रहीं.  उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी में कुछ भी अपमानजनक नहीं है.

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस पर राजभवन की महिला कर्मी ने 2 मई को यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला का आरोप है कि वो 24 मार्च को स्थायी नौकरी का निवेदन लेकर राज्यपाल के पास गई थी. तब राज्यपाल ने बदसलूकी की. वहीं 14 मई को गर्वनर के खिलाफ सेक्शुअल हैरेसमेंट का एक और केस सामने आया. उन पर एक ओडिसी क्लासिकल डांसर ने दिल्ली के एक 5 स्टार होटल में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. शिकायत अक्टूबर 2023 में दर्ज कराई गई थी. इन आरोपों के बाद टीएमसी सरकार ने बीजेपी की केंद्र सरकार को घेरा भी था.

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