Politalks.News/Bharat. संसद में पास हुए किसानों से जुड़े तीन बिलों को लेकर देशभर में किसानों का प्रदर्शन जारी है. किसान बिल के विरोध में विपक्षी दलों के अलावा देश के किसान संगठनों ने 25 सितंबर को देशव्यापी भारत बंद का ऐलान किया गया है, जिसे किसानों और करीब 250 छोटे-बड़े किसान संगठनों ने समर्थन दिया है. राज्यों के किसानों में इन विधेयकों को लेकर भारी गुस्सा व्याप्त है. किसानों के साथ ही विपक्ष भी मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद है और बिल को वापस लेने की मांग पर अड़ा है. हालांकि, सरकार बिल को वापस लेने के मूड में नहीं है. बिलों के विरोध में आज पंजाब के किसान रेल रोको अभियान की शुरुआत की गई है जिसको देखते हुए रेल विभाग ने कई ट्रेनों का टाइम बदला है और कुछ को रद्द किया है.
कृषि बिलों पर देशव्यापी आंदोलन को देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारें बड़े पैमाने पर पुलिस बंदोबस्त कर रही हैं. इसी पुलिस बंदोबस्त के बीच किसान नेताओं का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल रूट जाम किये जाएंगे, जिसके चलते इसे चलते रेल मंत्रालय ने अगले दिन दिनों तक कई ट्रेनों को रद्द किया है तो कुछ का समय बदला है. खासतौर पर पंजाब और हरियाणा से होकर गुजरने वाली ट्रेनों को रद्द किया गया है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में इन विधेयकों को पेश किया है और मंगलवार व बुधवार को ये विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गए. पारित किए गए तीन बिल कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता व कृषि सेवा करार विधेयक-2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक हैं.
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कृषि बिल पर पंजाब और हरियाणा में सबसे अधिक विरोध है जबकि हरियाणा में तो खुद बीजेपी की सरकार है. पंजाब और हरियाणा के किसानों ने कृषि विधेयकों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से लंबी लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है. इसके लिए अब वे 25 सितंबर के पंजाब बंद का सफल बनाने की रणनीति में जुट गए हैं. किसानों ने साफ कर दिया है कि वे कृषि विधेयकों को बिल्कुल स्वीकर नहीं करेंगे. पंजाब में तीन दिन का ‘पंजाब बंद’ का आव्हान किया गया है जिसमें अगले तीन दिन तक चक्का जाम रहेगा. किसान ट्रैक पर बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं. हालांकि सब पार्टी कार्यकर्ताओं को आपातकालीन सेवाओं को न रोकने को कहा गया है. तीन दिन तक चलने वाले इस अभियान के दौरान किसान, मोदी सरकार से बिल वापस लेने की मांग करेंगे.
पंजाब में किसान मजदूर संघर्ष समिति, क्रांतिकारी किसान यूनियन, भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी), कीर्ति किसान यूनियन, भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां), भाकियू (दोआबा), भाकियू (लाखोवाल) और भाकियू (कादियां) सहित 30 से ज्यादा किसान संगठनों ने कृषि बिलों के विरोध में ‘पंजाब बंद’ को समर्थन दिया है, साथ ही 24 से 26 सितंबर के बीच रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया हुआ है.
किसानों के विरोध को देखते हुए और ऐहतियात के तौर पर रेलवे दो दिनों तक यानि 24 से 26 सितंबर तक रेलगाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगा दी है. ऐसे में पंजाब गृह विभाग ने भी सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं और बंद के दौरान तमाम सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. हालात बिगड़ने पर डिप्टी कमिश्नर जरूरत पड़ने पर धारा 144 लगा सकते हैं.
इधर, किसान को-आर्डिनेशन कमेटी के सदस्य सतनाम सिंह बहिरू ने पटियाला में कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को फुसलाने के लिए एमएसपी में जो बढ़ोतरी की है, वह बेहद मामूली है. यह एलान किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. वहीं यूनियन की कार्यकारी प्रदेश महासचिव हरिंदर कौर बिंदू व वरिष्ठ नेता शिंगारा सिंह मान ने बताया कि 25 सितंबर को पंजाब बंद के दौरान धरना-प्रदर्शन किए जाएंगे और 24 से 26 सितंबर तक रेले रोक कर केंद्र सरकार के खिलाफ अर्थी फूंक प्रदर्शन किए जाएंगे.
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दूसरी ओर, मुक्तसर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व हरसिमरत कौर बादल निवास के समक्ष पिछले आठ दिनों से चल रहे किसानों के धरने हटा दिया गया है. शिअद ने भी कृषि विधेयक के खिलाफ चक्का जाम का समर्थन किया है.
पार्टी प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बताया कि पार्टी नेताओं से कहा गया है कि वे किसानों, खेत मजदूरों, आढ़तियों के साथ सभी निर्वाचन क्षेत्रों में चक्का जाम करें. इसके लिए सुबह 11 से दोपहर 2 बजे तक का समय तय किया है. हालांकि सब पार्टी कार्यकर्ताओं को आपातकालीन सेवाओं को न रोकने को कहा गया है.
इधर, अन्य राज्यों में भी किसान बिल का व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन हो रहा है. भाकियू के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि विधेयकों के विरोध में पूरे देश में 25 सितंबर को चक्का जाम रहेगा, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत तकरीबन पूरे देश के किसान संगठन अपनी विचारधाराओं से ऊपर उठकर एकजुट होंगे.