Politalks.News/Maharastra. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के 96वें स्थापना दिवस के मौके पर देश की बढ़ती जनसंख्या से लेकर ड्रग्स तस्करी, सीमा पर घुसपैठ और सोशल मीडिया के खतरे से देश को आगाह किया. तो पाकिस्तान और चीन पर निशाना साधा, जम्मू-कश्मीर में फिर से टारगेट किलिंग शुरू होने पर चिंता जताई. भागवत ने कहा कि, ‘हम ऐसी संस्कृति नहीं चाहते हैं जो विभाजन को चौड़ा करे, बल्कि ऐसी संस्कृति हो जो राष्ट्र को एक साथ बांधे और प्रेम को बढ़ावा दे’. साथ ही ये भी कहा कि, ‘मंदिर, पानी, श्मसान एक हों. भाषा ऐसी होनी चाहिए जिससे समाज जुड़े. समाज में भेद पैदा करने वाली भाषा नहीं होनी चाहिए. नई पीढ़ी को इतिहास जानना चाहिए. स्वतंत्रता के साथ ही हमें विभाजन का दर्द भी मिला. साथ ही इस बात पर जोर दिया कि हिंदुओं को संगठित होने की जरूरत है. विजयदशमी के अवसर पर RSS ने नागपुर में अपने मुख्यालय में “शस्त्र पूजन” किया. इस दौरान मंच पर RSS प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे.
जनसंख्या नीति पर होना चाहिए विचार
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि, ‘बढ़ती आबादी से देश में कई तरह की परेशानियां हैं. इसलिए जनसंख्या नीति पर दोबारा विचार की जरूरत है’. भागवत ने कहा कि, ‘जनसंख्या नीति होनी चाहिए. हमें ऐसा लगता है कि इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए. पचास साल आगे तक का विचार कर एक नीति बनानी चाहिए और उस नीति को सब पर समान रूप से लागू करना चाहिए, क्योंकि जैसे जनसंख्या समस्या बन रही है उसी तरह जनसंख्या का असंतुलन भी समस्या बन रही है देश और दुनिया में. इसमें किसी के प्रति बुरा भाव नहीं है’.
जनसंख्या दर में अंतर के चलते बढ़ी मुस्लिम आबादी
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि, ‘साल 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88% से घटकर 83.8% रह गया है. वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8% से बढ़कर 14.24% हो गया है.
पाकिस्तान-चीन के खिलाफ अपनी तैयारी रखना जरूरी
मोहन भागवत ने कहा कि, ‘तालिबान फिर से खड़ा हो गया. उसे लेकर कभी कहा जाता है कि वह बदल गया है, कभी कहता है कि पहले जैसा है. उसका समर्थन करने वालों में रूस भी था, चीन और पाकिस्तान तो आज भी हैं. तालिबान बदला भी होगा, पाकिस्तान बदला है क्या, ऐसा तो बिल्कुल नहीं है. चीन का इरादा भारत के प्रति बदला है क्या, ऐसा तो बिल्कुल नहीं है. प्रेम, अहिंसा से सब ठीक होता है, इसे मानना चाहिए, लेकिन अपनी तैयारी भी पूर्ण रखें. सीमा सुरक्षा और चाक चौबंद करना है’
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आतंकियों का करना होगा बंदोबस्त
जम्मू-कश्मीर में आंतकी हमलों को लेकर भागवत ने कहा कि, ‘मैं जम्मू-कश्मीर होकर आया. वहां 370 हटने के सामान्य जनता को अच्छे लाभ मिल रहे हैं. भारत से किसी भी भारतीय का रिश्ता लेन-देन का नहीं है, हम भारत माता के पुत्र हैं. हम भारत के अंदर हैं, लेकिन घाटी में हिन्दुओं की टारगेट किलिंग की जा रही है. आतंकियों की गतिविधियों का बंदोबस्त भी करना पड़ेगा, चुन-चुन कर जैसे पहले करते थे. मनोबल गिराने के लिए वे लक्षित हिंसा कर रहे हैं. उनका उद्देश्य एक ही है कि अपना डर पैदा करना. शासन को भी बड़ी चुस्ती से इसका बंदोबस्त करना पड़ेगा.
OTT प्लेटफॉर्म पर साधा निशाना
भागवत ने कहा कि, ‘OTT प्लेटफॉर्म पर कोई नियंत्रण नहीं है. नियंत्रण विहीन व्यवस्था से अराजकता का संकट होता है, इन सब पर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है. साइबर सिक्योरिटी का मामला भी खड़ा हो गया है. उसके बारे में हमें बहुत आगे जाना पड़ेगा और हम जाएंगे.
‘युवाओं को जानना होगा देश का इतिहास’
देश के विभाजन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘विभाजन की टीस अभी तक गई नहीं है. वह अत्यंत दुखद इतिहास है, लेकिन इस इतिहास का सामना करना चाहिए. खोई हुई एकता और अखंडता को दोबारा लाने के लिए इस इतिहास को जानना चाहिए. उस इतिहास को विशेषकर नई पीढ़ी को जानना चाहिए, ताकि उसकी पुनरावृत्ति न हो. खोया हुआ वापस आ सके. पहले हमने अपने स्व, स्वजनों को भुला दिया तो भेद जर्जर हो गए. इसलिए दूर देशों से मुठ्ठी भर लोग आए और हम पर आक्रमण कर दिया. ऐसा एक बार नहीं बार-बार हुआ. ब्रिटिशर्स के अपने यहां राजा बनने तक यही इतिहास हुआ.
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‘स्वतंत्रता के लिए करना पड़ा लंबा संघर्ष’
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि, ‘स्वतंत्रता के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है. हर वर्ग के लोगों ने आजादी में अमूल्य योगदान दिया है. अब फिर विविधता की चौड़ी खाई बनी है’. महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि, ‘गांधी ने नमक उठाकर सत्याग्रह की शुरुआत की थी. विदेशियों ने हमारे कमजोर समाज का लाभ उठाया. एकता और अखंडता की पहली शर्त है मजबूत समाज होना’.
‘सोशल मीडिया फैला रहा देश में अराजकता’
भागवत ने आगे कहा कि, ‘विभिन्न जातियों, समुदायों और विभिन्न क्षेत्रों के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के लिए महान बलिदान और तपस्या की. समाज ने भी इन बहादुर आत्माओं के साथ एक एकीकृत इकाई के रूप में गुलामी का दंश सहा’. उन्होंने कहा कि, ‘कोरोना संकट से सीखने की जरूरत है’. भागवत ने कहा कि, ‘सोशल मीडिया आग में घी डालने का काम कर रहा है. देश में अराजकता फैलाने का काम हो रहा है’
‘समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना वाले प्रयास करने होंगे’
नागपुर में संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि, ‘समाज की आत्मीयता व समता आधारित रचना चाहने वाले सभी को प्रयास करने पड़ेंगे. सामाजिक समरसता के वातावरण को निर्माण करने का कार्य संघ के स्वयंसेवक सामाजिक समरसता गतिविधियों के माध्यम से कर रहे हैं’. उन्होंने आगे कहा कि, ‘इस वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज का 400वां प्रकाश पर्व है. वह धार्मिक कट्टरता के खिलाफ खड़े होने के लिए शहीद हो गए थे. जो भारत में बहुत प्रचलित था. उन्हें “हिंद की चादर” या “हिंद की ढाल” की उपाधि से सराहा गया’.