Politalks.News/Delhi. दीवाली का त्यौहार हो और पटाखे नहीं फूटें ऐसा कभी नहीं होता था, लेकिन पिछले कुछ सालों से कुछ राज्य सरकारों ने प्रदूषण को देखते हुए पटाखों पर बैन लगाना शुरू किया है. पिछले कुछ सालों से दिल्ली की आम आदमी पार्टी नीत अरविंद केजरीवाल सरकार लगातार निरंतर पटाखों पर बैन लगा रही है. लेकिन इस बार राज्य सरकार के फैसले पर बयानबाजी शुरू हो गई है. यही नहीं दिल्ली के साथ साथ अन्य राज्य सरकारों ने भी इस बार पटाखों पर बैन लगा दिया है जिसके बाद से सियासी पारा गर्म है. भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा के बाद अब राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से संबंधित संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने भी प्रदेश की केजरीवाल सरकार पर सवाल उठाए हैं. मंच ने कहा कि, ‘यह अनुचित और भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से उठाया गया कदम है. इससे देशभर में पटाखों के उत्पादन और वितरण में लगे लाखों श्रमिकों और अन्य लोगों के रोजगार को झटका लगा है.’
स्वदेशी जागरण मंच ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि, ‘हमने दिल्ली के साथ साथ अन्य राज्य सरकारों से दीपावली के अवसर पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध से बचने का आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने इसे पटाखों के दुष्प्रभावों को दरकिनार करते हुए झूठा प्रचार कहा.’ मंच ने कहा कि, ‘पिछले कुछ समय से बिना किसी तथ्यात्मक जानकारी के सरकारें दिवाली के मौके पर सभी तरह के पटाखों पर प्रतिबंध लगाने जैसी कार्रवाई कर रही हैं, जो पूरी तरह से अनुचित और अवैज्ञानिक है और लोगों की भावनाओं पर हमला है. राज्य सरकारों द्वारा लिया गया यह फैसला अनुचित और भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से उठाया गया कदम है. इससे देशभर में पटाखों के उत्पादन और वितरण में लगे लाखों श्रमिकों और अन्य लोगों के रोजगार को झटका लगा है.’
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मंच ने अपने बयान में आगे कहा कि, ‘हमें यह जानने की जरूरत है कि पटाखों से होने वाला प्रदूषण मुख्य रूप से चीन से अवैध रूप से आयातित पटाखों के कारण होता है, न कि भारत के ग्रीन पटाखों के कारण. यह उल्लेखनीय है कि चीनी पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर के मिश्रण के कारण प्रदूषण हुआ है. हालांकि, भारत में बने प्रदूषण मुक्त ग्रीन पटाखों में आज पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर मिश्रित नहीं होते हैं, अन्य प्रदूषक जैसे एल्यूमीनियम, लिथियम, आर्सेनिक और पारा आदि को न्यूनतम तक कम कर दिया गया है. ये ग्रीन पटाखे, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रमाणित हैं, यह कहते हुए कि यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है कि ग्रीन पटाखे 30 प्रतिशत कम प्रदूषण करते हैं.’
स्वदेशी जागरण मंच ने आगे कहा कि, ‘हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि दस लाख से अधिक लोगों की आजीविका पटाखा उद्योग पर निर्भर करती है. किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि तमिलनाडु (शिवकाशी), पश्चिम बंगाल और देश के कई अन्य हिस्सों में दस लाख से अधिक लोगों की आजीविका पटाखा उद्योग पर निर्भर करती है. ये लोग साल भर अपने पटाखे बेचने के लिए दीपावली का इंतजार करते हैं. ऐसे में बिना किसी वैज्ञानिक आधार के ग्रीन पटाखों पर प्रतिबंध लगाना समझदारी नहीं है जो काफी कम प्रदूषण फैलाने वाले हों.’
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पराली का जिक्र करते हुए मंच ने अपने बयान में कहा कि, ‘यह बहुत खेद की बात है कि सरकारी एजेंसियां पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में पराली जलाने की समस्या को हल करने में विफल रही हैं. यह बिना किसी संदेह के साबित होता है कि पराली जलाना राष्ट्रीय स्तर पर वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत है. राजधानी और आसपास के उत्तरी राज्यों में, और दीपावली के अवसर पर वे पटाखों पर प्रतिबंध लगाने पर ध्यान केंद्रित करके, प्रदूषण के वास्तविक कारण से ध्यान हटाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं. अतः हम राज्य सरकार से अनुरोध करते हैं कि, ‘वे पराली जलाने से होने वाली प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करें.’