Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच सरकार ने सीबीआई जांच को लेकर अहम फैसला लिया है. अब सीबीआई सीधे तौर पर राजस्थान में किसी भी केस की जांच नहीं कर सकेगी. सीबीआई को जांच करने से पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेनी होगी. राज्य के गृह विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. इसे केंद्रीय भाजपा नेताओं की कथित ऑडियो टेप के मामले में सीबीआई जांच को लेकर की गई मांग से जोड़ा जा रहा है. वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने सीबीआई जांच को लेकर गहलोत सरकार के इस फैसले पर कहा है कि दाल में कुछ काला है.
बता दें, भारत सरकार और राजस्थान सरकार के बीच 21 जनवरी 1989 को समझौता हुआ था. इसके तहत दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाब्लिसमेंट एक्ट 1946 के तहत सीबीआई जांच पर सहमति को लेकर शर्तें तय हुई थीं. इस बीच राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के दौरान रविवार 19 जुलाई को गृह विभाग की ओर से अधिसूचना जारी की गई. इसमें पूर्व में दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाब्लिसमेंट एक्ट के तहत जारी अधिसूचनाओं को खत्म कर दिया गया
राज्य सरकार ने अधिसूचना के जरिए पिछली सभी सामान्य सहमति की शर्तों को निरस्त कर दिया. अब धारा 3 के तहत किसी विशेष अपराध या किसी अपराध वर्ग की जांच के लिए राजस्थान सरकार की पूर्व सहमति आवश्यक होगी. हालांकि दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टाब्लिसमेंट एक्ट 1946 की धारा 6 के तहत विशिष्ट व्यक्तिगत मामलों में राजस्थान सरकार द्वारा पूर्व में दी गई सभी सहमति मान्य बनी रहेगी अर्थात व्यक्तिगत मामलों में सीबीआई जांच कर सकेगी.
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राज्य सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना के संबंध में सतीश पूनियां ने कहा कि पहले कुछ विशेष मामलों में सीबीआई प्रदेश सरकार की पूर्वानुमति के बिना भी सीधे तौर पर जांच कर सकती थी, लेकिन 19 जुलाई को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर अब सभी मामलों में राज्य सरकार की पूर्वानुमति अनिवार्य कर दी है. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि दाल में कुछ काला है और मुख्यमंत्री ने कुछ छिपाने के लिये ऐसा फैसला लिया है.
वहीं प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के तहत कांग्रेस नेताओं द्वारा बीजेपी पर दिए जा रहे बयानों को लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष पूनिया ने कहा कि राजस्थान के इस राजनीतिक ड्रामे में नायक और खलनायक दोनों कांग्रेस है, लेकिन वह तोहमत भाजपा पर लगाते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सचिन पायलट के खिलाफ दिये गये बयान पर उन्होंने सवाल किया कि अगर कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष अपनी पार्टी छोड़ता है तो इसमें भाजपा का हाथ कैसे हो सकता है. यह कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी झगड़ा है जो अब सबके सामने आ चुका है, मुख्यमंत्री के अहंकार के कारण प्रदेश में कांग्रेस का बिखराब हुआ है.
पूनिया के मानेसर जाने को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत की टिप्पणी पर भाजपा नेता ने कहा कि ना तो मैं मानेसर गया और ना ही सचिन पायलट खेमे के किसी विधायक से मिला. मुख्यमंत्री गहलोत का यह बयान तथ्यहीन और आधारहीन है. चाहे तो किसी भी सरकारी एजेंसी से जांच करा लें.