पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. एसआईआर प्रक्रिया को लेकर पहले से ही ममता सरकार और केंद्र सरकार में ठनी हुई है. इसी बीच एक नया बखेड़ा आ खड़ा हुआ है. वो है बाबरी मस्जिद. वही बाबरी मस्जिद, जिसे कुछ सालों पहले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय के बाद समाप्त मान लिया गया था. अब लगता है कि बंद बोतल में सालों से बंद ‘बाबरी मस्जिद का जिन’ फिर से बाहर आने को बैचेन हो रहा है. माना ये भी जा रहा है कि पश्चिम बंगाल का चुनावी खेल अब इसी मुद्दे पर खेला जाना है.
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दरअसल, बिहार के चुनावी परिणामों को देखते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस अपने मुस्लिम मतदाताओं को साधने की पूरजोर कोशिश कर रही है. इस दौरान पार्टी के विधायक हुमायूं कबीर ने घोषणा की है कि 6 दिसंबर, यानी अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने की तिथि पर, बांग्लादेश सीमा से सटे मुस्लिम बहुल मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा क्षेत्र में नई बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखी जाएगी. मुर्शिदाबाद में करीब 75 फीसदी आबादी मुस्लिम है और टीएमसी हर साल 6 दिसंबर को संहति दिवस मनाती रही है. इस बार पार्टी भी इस आयोजन को विशेष महत्व दे रही है और कोलकाता में बड़ी रैली की तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है. अब इस मुद्दे को जातिवाद से जोड़ा जा रहा है.
अयोध्या में हो रहा बयान का विरोध
टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर द्वारा ‘बाबरी मस्जिद’ नाम से मस्जिद निर्माण के भूमि पूजन की घोषणा के बाद अयोध्या से विरोध आना शुरू हो गया है. तर्क ये है कि ‘बाबरी’ नाम स्वीकार्य नहीं है और इस तरह की घोषणा पुराने विवादों को दोबारा उभारने का प्रयास है. तर्क यह भी है कि इस तरह की घोषणा से समाज में अनावश्यक तनाव पैदा हो सकता है इस मामले में केंद्र से प्रकरण और फंडिंग की जांच की मांग भी की गयी है.
विश्व हिंदू परिषद ने भी जताई नाराजगी
इधर, संत समाज ने विदेशी आक्रांता बाबर के नाम पर कहीं भी मस्जिद बनाने का विरोध किया है और विधायक हुमायूं कबीर पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है. वहीं विश्व हिंदू परिषद के विनोद बंसल ने तीख तंज कसते हुए कहा, ‘टीएमसी के विधायक व राज्य के पूर्व मंत्री हुमायूं कबीर ने आगामी 6 दिसंबर को विदेशी आक्रांता बाबर के नाम पर एक मस्जिद की नींव रखने की घोषणा की है. वहीं दूसरी ओर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने उसी दिन धूल धूसरित बाबरी पर 33 वर्ष बाद घड़ियाली आंसू बहाने का मन बनाया है. इतने वर्ष तक इन्होंने बाबरी को फ्रीजर में बंद कर रखा था. अब वे बाबरी के जिन्न को बाहर निकाल कर अपने जिहादी वोट बैंक को तराशने का कुत्सित प्रयास करेंगी.’
उन्होंने ये भी कहा कि बाबर के नामक पर भारत माता के पवित्र भू-भाग पर हम कहीं भी कोई नई मस्जिद नहीं बनने देंगे. ऐसे में इस प्रकार का भारत विरोधी षड्यंत्र पूरी तरह से अस्वीकार्य है. अब देखना होगा कि विरोध की इस आंधी के बीच 6 दिसंबर को संहति दिवस में किस तरह से जातिवाद का रंग घुल पाता है.



























