असम में जब से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी हुई है, लाखों लोगों पर रिफ्यूजी मानकर प्रदेश से बाहर निकाले जाने का खतरा मंडराने लगे था. इसी बीच विदेश मंत्रालय की तरफ से एक बड़ा बयान आया है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया की टिप्पणी पर जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता (Foreign Ministry spokesman) रवीश कुमार (Raveesh Kumar) ने कहा कि जिन लोगों का नाम एनआरसी की अंतिम लिस्ट में नहीं है, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. वे स्टेट लैस नहीं हैं और न नहीं उन्हें हिरासत में लिया जाएगा.
रवीश कुमार ने कहा, ‘भारत सरकार ने असम के नागरिकों के हितों का ध्यान रखते हुए 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. ऐसे में जिन लोगों के नाम एनआरसी लिस्ट में नहीं हैं, उन्हें सभी अधिकार मिलते रहेंगे, जब तक कि कानून के तहत सभी विकल्प खत्म नहीं हो जाते. उन्हें हिरासत में नहीं लिया जाएगा.’
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दरअसल, विदेश मंत्रालय का ये बयान संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रेंडी ने रविवार को जिनेवा में दिए बयान के बाद आया जिसमें उन्होंने कहा, ‘कोई भी प्रक्रिया जिसमें बड़ी संख्या में लोग बिना किसी राष्ट्र की नागरिकता के छूट जाते है तो वह देशविहीनता को समाप्त करने के वैश्विक प्रयासों के लिए एक बहुत बड़ा झटका होगा.’ ग्रेंडी ने भारत से एनआरसी से लोगों को बाहर किये जाने के बाद किसी व्यक्ति को राष्ट्र विहीन न करने की अपील भी की.
इस पर रवीश कुमार ने कहा कि 2015 में असम में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई. यह एक कार्यकारी संचालित प्रक्रिया नहीं है. प्रक्रिया की निगरानी सीधे सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जा रही है और सरकार कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कार्य कर रही है. एनआरसी को अपडेट करना सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिवार्य, पारदर्शी और कानूनी प्रक्रिया है.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची को लेकर विदेशी मीडिया द्वारा कुछ भ्रामक बातें कही जा रही हैं, जो सरासर गलत हैं. विदेश मंत्रालय ने विदेशी मीडिया से NRC की अंतिम सूची को लेकर भ्रम न फैलाने का गुजारिश की है.
गौरतलब है कि असम में शनिवार को एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की गयी जिसमें 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है. असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट www.nrcaasam.nic.in पर देखी जा सकती है.
इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने जानकारी देते हुए बताया कि जिन लोगों के नाम लिस्ट में नहीं हैं, वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के आगे 120 दिनों के भीतर याचिका दाखिल कर सकते हैं. इसके लिए असम सरकार प्रदेश में 400 विदेशी न्यायाधिकरणों की स्थापना करेगी, ताकि उन सभी मामलों से निपटा जा सके, जिन्हें अंतिम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से बाहर रखा गया है.