Politalks.News/AssemblyElections. देश के चार बड़े राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम व केरल और एक केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी मंगलवार को वोट डाले गए. वहीं दूसरी ओर आज ही भारतीय जनता पार्टी अपना 41वां स्थापना दिवस खूब उल्लास व उमंग के साथ मना रही है. भाजपा की स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करते हुए एकजुटता का संदेश भी दिया. पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है, ठीक इसी प्रकार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी असम और केरल जीतने के लिए अपना पूरा जोर लगा दिया है.
अपने ही असंतुष्ट नेताओं से घिरी हुई कांग्रेस पार्टी और उससे भी ऊपर गांधी परिवार के लिए असम और केरल यह दोनों राज्य जीतने बहुत महत्वपूर्ण हैं. कांग्रेस में पिछले वर्ष से जारी उठापटक अभी भी बरकरार है. पार्टी के 23 असंतुष्ट नेता भी इन्हीं विधानसभा चुनावों पर निगाहें लगाए हुए हैं. सही मायने में ‘असम और केरल के चुनाव परिणाम गांधी परिवार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगे.’ यही नहीं यह दोनों राज्य कांग्रेस में गांधी परिवार के वर्चस्व और सियासी भविष्य की पटकथा भी लिखेंगे.
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यही नहीं खुद सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी भी अब समझ रहे हैं कि यह विधानसभा चुनाव के नतीजे निर्णायक होंगे. इसीलिए पिछले 2 महीनों से राहुल गांधी दक्षिण भारत में अपनी और पार्टी की सियासी जमीन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं. राहुल गांधी ने तो केरल के वायनाड को ही अपनी नई अमेठी मान लिया है. यहीं से राहुल दक्षिण के राज्यों में पार्टी का जनाधार को बढ़ाने में लगे हुए हैं.
इसी को ध्यान में रखते हुए प्रियंका गांधी ने भी असम में कई ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं की हैं. हालांकि खराब स्वास्थ्य होने की वजह से कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी इन पांचों राज्यों में प्रचार करने के लिए नहीं जा सकीं. कांग्रेस पार्टी के दो चेहरे, राहुल और प्रियंका गांधी इन चुनाव में खुद को दो राज्यों पर केंद्रित करके चुनाव प्रचार कर रहे थे. बता दें कि कांग्रेस की वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद से ही पार्टी अपने नेतृत्व की लड़ाई लड़ती आ रही है. तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था और तब से लेकर अभी तक पार्टी अपने पूर्णकालिक अध्यक्ष का इंतजार ही कर रही है. कांग्रेस के नेतृत्व पर पार्टी में आपसी गुटबाजी, विद्रोह और बगावत से गांधी परिवार जकड़ा हुआ है.
कांग्रेस का इन चुनावों में खराब प्रदर्शन रहा तो असंतुष्ट नेता बढ़ाएंगे राहुल की मुश्किलें
पिछले लगभग आठ महीनों से पार्टी में उठते विद्रोह और बढ़ते असंतोष के बीच सोनिया गांधी फिलहाल औपचारिक रूप से नेतृत्व संभाले हुए हैं. अब असम और केरल में जहां कांग्रेस सबसे ज्यादा उम्मीद लगाए बैठी है. अगर इन राज्यों में पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो राहुल प्रियंका और सोनिया गांधी के लिए पार्टी को संभालना आसान नहीं होगा, क्योंकि असंतुष्ट नेताओं का एक बड़ा तबका आज भी गांधी परिवार की खुलकर खिलाफत करने में लगा हुआ है. गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा समेत कई दिग्गज नेता राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं. हालांकि पार्टी ने भी इन नेताओं को पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार से दूर ही रखा.
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यहां हम आपको बता दें कि कांग्रेस ने पिछले महीने असम, केरल और पश्चिम बंगाल के चुनाव में प्रचार के लिए 30 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की थी. गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी समेत आदि नेताओं को स्थान नहीं दिया गया, जिससे इन नेताओं की नाराजगी को और बढ़ा दिया है. बता दें कि जी-23 कांग्रेस के उन नेताओं का समूह है जो पार्टी में आंतरिक चुनाव की मांग कर रहा है. फिलहाल यह असंतुष्ट नेता इन राज्यों के चुनाव परिणाम तक ‘खामोश‘ नजर आ रहे हैं. ऐसे में केरल और असम में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन रहा तो गांधी परिवार के लिए और मुश्किलें बढ़ेंगी. यानी सही मायने में ये चुनाव परिणाम राहुल और प्रियंका के लिए भविष्य की सियासत में निर्णायक भूमिका निभाएंगे.
ऐसे में 2 मई को आने वाले चुनाव परिणामों में अब देखना होगा राहुल गांधी और प्रियंका इन राज्यों में हारी हुई पार्टी को कितना मजबूत बना पाए हैं और क्या जनादेश पार्टी के पक्ष में ला पाने में सफल हो पाते हैं. वहीं अगर असम और केरल में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहता है तो गांधी परिवार के करिश्मे के अंत की पटकथा पार्टी के विद्रोही नेता ही लिख देंगे, जिसके बाद कांग्रेस में काफी तोड़फोड़ भी देखने को मिल सकती है.