दिल्ली में विधानसभा चुनाव करीब हैं और यहां की राजनीति में उबार देखने को मिल रहा है. कुछ समय की खामौशी के बाद शराब नीति मामला फिर से बाहर आने लगा है. इसी कड़ी में एलजी वीके सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की इजाजत दे दी है. अब जल्दी ही दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. इस पर आम आदमी पार्टी और एलजी सक्सेना के बीच जुबानी जंग सी छिड़ गयी है. केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति पर मनीष सिसोदिया ने सीधे कहा है कि या फिर इस संबंध में पेपर दिखाओ या फिर जुमलेबाजी बंद करो.
यह भी पढ़ें: महिलाओं पर दांव खेलकर दिल्ली जीत की तैयारी कर रहे हैं केजरीवाल!
मंजूरी की कॉपी नहीं दिखा रही ईडी
आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ केस चलाने की अनुमति पर आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि ईडी मंजूरी की कॉपी क्यों नहीं दिखा रही है. बाबा साहब के अपमान के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इन्हें जुमलेबाजी बंद करनी चाहिए. इसके जवाब में दिल्ली सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली के लोगों को इसकी उम्मीद थी. सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से केजरीवाल को सजा दे ही दी है. अब वे सीएम नहीं हैं. शराब घोटाले की सजा उन्हें अब मिलेगी.
ईडी ने मांगी थी ट्रायल की अनुमति
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल मार्च में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के तहत केस दर्ज किया था. 21 मार्च को 4 घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को अरेस्ट किया गया था. उन्होंने 156 दिन तिहाड़ जेल में बिताए थे. केजरीवाल को इस केस में 13 सितंबर को जमानत मिल गई, लेकिन ईडी ट्रायल शुरू नहीं कर पाई थी. इस संबंध में 5 दिसंबर को एलजी से केजरीवाल के खिलाफ ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी गयी थी. अब एलजी वीके सक्सेना की मंजूरी के बाद लग रहा है कि केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ने वाली है.
चुनाव करीब, क्या सब चक्रव्यूह
दिल्ली में फरवरी के मिड में विधानसभा चुनाव होने हैं. अरविंद केजरीवाल की तैयारी पूरी है और उन्होंने 30 से अधिक सीटों पर चुनावी उम्मीदवारों को मैदान में उतार भी दिया है. मुकाबला कड़ा है लेकिन राजधानी में अभी भी लहर आम आदमी की बताई जा रही है. कहने को तो यह मुद्दा अलग लग रहा है लेकिन आम आदमी पार्टी की माने तो यह निर्देश राजनीति से प्रेरित है. केजरीवाल को चुनावी प्रचार से दूर रखने के लिए ऐन वक्त पर ऐसा किया जा रहा है. आम चुनाव और हरियाणा विस चुनावों के दौरान भी केजरीवाल भी जेल में थे, जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा था. अब अगर दिल्ली विस चुनावों के आसपास केजरीवाल गिरफ्त में जाते हैं तो इसका नुकसान आम आदमी पार्टी को निश्चित तौर पर चुकाना पड़ेगा.