पॉलिटॉक्स ब्यूरो. हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले माना जा रहा था कि दोनों राज्यों में भाजपा ‘क्लिन स्वीप‘ करेगी लेकिन हुआ उलटा. कांग्रेस ने ऐसी पलटी मारी कि भाजपा को बहुमत के लाले पड़ गए. खुद कांग्रेस आलाकमान को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ भी हो सकता है. दरअसल, हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की गैर मौजूदगी के बावजूद स्थानीय नेताओं ने जनता के सामने केवल लोकल मुद्दों को उठाया और भुनाया. उन्होंने अपने चुनावी भाषण में केवल और केवल लोकल इश्यूज को सामने रखा और परिणाम आज सबके सामने है. एक समय मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस ने दोनों राज्यों में भाजपा की हालत पतली कर दी. अब इसी रणनीति को अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनाने की तैयारी में हैं और केजरीवाल ने इसकी शुरुआत भी कर दी है.
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जैसाकि हरियाणा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में देखा गया, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गड़करी सहित अन्य सभी भाजपा नेताओं ने राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर चुनावी सभाएं की. यहां उन्होंने केवल अनुच्छेद 370, अयोध्या, कश्मीर, एनआरसी और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर जनता से वोट अपील की. यहां तक की मनोहर लाल खट्टर और देवेंद्र फडणवीस के साथ अन्य स्थानीय नेता भी इसी विचारधारा के साथ जनता के बीच गए लेकिन कांग्रेस की बुर्जुग रणनीतिकारों की राजनीति यहां भाजपा के दिग्गजों पर भारी पड़ गयी. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एंव एनसीपी प्रमुख शरद पवार राष्ट्रीय नहीं बल्कि पानी, नौकरी, सड़क, प्रदेश का विकास और अन्य स्थानीय मुद्दों पर जनता से वोट अपील करते नजर आए.
अब दिल्ली के मुख्यमंत्री (Delhi CM) अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने महिलाओं को मंगलवार से दिल्ली परिवहन निगम (DTC) और कलस्टर बसों में ‘मुफ्त यात्रा’ का तोहफा देते हुए इसी रणनीति पर काम शुरू किया. यह व्यवस्था अगले साल मार्च तक के लिए अमल में रहेगी. महिला सुरक्षा को देखते हुए बसों में 13 हजार मार्शल भी तैनात रहेंगे जिसकी भर्ती पहले ही की जा चुकी है. सरकार के इस फैसले का फायदा दिल्ली की उन तमाम महिलाओं को होगा जो प्रतिदिन बस में सफर करती हैं. अनुमान है कि डीटीसी और कलस्टर बसों में यात्रा करने वाले कुल यात्रियों में एक तिहाई महिलाएं होती हैं. इस तरह महिलाओं और उनकी सुरक्षा को लेकर दिल्ली सरकार का ये एक अहम फैसला साबित हो सकता है.
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महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा के लिए गुलाबी रंग का एकल यात्रा का पास लेना होगा जो बस संवाहक से मिल सकेगा. पास के लिए कोई भुगतान नहीं करना होगा. ये पास दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में चलने वाली डीटीसी की एसी और नॉन एसी बसों के अलावा कलस्टर बसों में भी मान्य होगा. फ्री सफर के लिए महिला का दिल्ली निवासी होना जरूरी नहीं है. डीटीसी को इस घाटे से उबारने के लिए दिल्ली सरकार इस पास के एवज में 10 रुपये प्रति पास का भुगतान करेगी. योजना के तहत 10 लाख गुलाबी पास जारी किए जाएंगे.
इससे पहले केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) ने राजधानी में बिजली की दरों को कम करने के साथ फ्री वाईफाई की सुविधा भी प्रदान की थी. सरकारी स्कूलों में 12वीं तक की शिक्षा, उसके बाद शिक्षित युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए सरकारी दरों पर ट्रेनिंग सेंटर और बेहद कम दरों पर रोजगार ऋण की सुविधा भी केजरीवाल सरकार प्रदान कर चुकी है. इनके अलावा, अन्य स्थानीय मुद्दों पर भी आम आदमी पार्टी सरकार की पूरी नजर है और संभावना यही जताई जा रही है कि आगामी चुनावों में केजरीवाल इन्हीं मुद्दों के सहारे चुनावी मैदान में उतरेगी.
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दूसरी ओर, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवाड़ी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और जाहिर सी बात है कि वो वहीं रटे रटाये भाषण बोलेंगे जो बीजेपी के आलाकमान या मोदी व शाह कहेंगे. मोदी-शाह की जोड़ी पिछले कुछ चुनाव केवल नेशनल इश्यूज पर ही लड़ते आयी है और जिनमें उन्हें कामयाबी भी मिली. लोकसभा में शानदार प्रदर्शन इसका उम्दा उदाहरण है लेकिन उसके कुछ महीनों बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में केंद्र की सत्ताधारी भाजपा की प्रदेश इकाईयों का जो हश्र हुआ है, उससे उनकी रणनीति में अब बदलाव होना पक्का है.
राजधानी दिल्ली में पिछले साढ़े चार सालों में केजरीवाल सरकार के समय जो कुछ भी हुआ, उससे स्थानीय जनता खुश दिखाई दे रही है. यहां तक की उनके विवादित ऑड-ईवन सिस्टम को भी कई लोगों की सराहना मिली लेकिन विपक्ष के दवाब के चलते वो कामयाब न हो सका. अब देखना ये होगा कि केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के साथ देश के अधिकांश राज्यों को जीतने वाली भाजपा दिल्ली में भगुवा पताका फहरा पाती है या फिर केजरीवाल की पार्टी उनके सपनों पर झाडू फेरने में कामयाब होती है.